पटना : राज्य में जिलों से लेकर मुख्यालय स्तर तक सहकारिता विभाग में ऑडिटर के 406 पद रिक्त हैं. वर्षों से रिक्त इन पदों में विभाग के मुख्यालय स्तर के शीर्ष 17 पद भी रिक्त हैं. जिसमें अपर निबंधक अंकेक्षण के एक, संयुक्त निदेशक अंकेक्षण के आठ और उपमुख्य अंकेक्षक के आठ पद के अलावा अंकेक्षक के 247 पद रिक्त हैं. ऑडिटर कम होने की वजह से पैक्सों की ऑडिट के लिए सहकारिता विभाग सालों भर प्रक्रिया जारी रखता है.
इस साल 8463 पैक्सों में से सिर्फ सात हजार पैक्स का ही ऑडिट हो सका है, जबकि तीन माह बाद पुन: नया वित्तीय वर्ष शुरू हो जायेगा. विभागीय अधिकारी ने बताया कि जिला स्तर पर जिला अंकेक्षण पदाधिकारी के 40 पदों में सिर्फ 26 पदाधिकारी ही काम कर रहे हैं. वहीं प्रखंडों में 419 स्वीकृत पदों के खिलाफ 172 ही काम कर रहे हैं. यानी 247 पद रिक्त हैं. इसके कारण वित्तीय वर्ष की समाप्ति के साथ ही पैक्सों की ऑडिट के बजाय सालों भर ऑडिट होता रहता है. इससे ऑडिट की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है.
विभागीय अधिकारी ने बताया कि अनुमंडल अंकेक्षक के 101 पदों में 10 पद रिक्त है. वरीय अंकेक्षण पदाधिकारी के 209 स्वीकृत पदों के खिलाफ 103 पद पर नियुक्ति हो सकी है. सहकारी अंकेक्षण पदाधिकारी संघ के महामंत्री अभय कुमार वर्मा ने कहा कि पदों के खाली रहने से ऑडिट का काम प्रभावित हो रहा है.
वर्मा ने कहा कि जिला स्तर पर खाली पदों व सभी पदों को प्राेन्नति से भरना चाहिए.वित्तीय वर्ष की समाप्ति के बाद ऑडिट के बजाय छह माह और इससे भी अधिक दिनों तक ऑडिट होता रहता है. ऊपर के पदों के खाली रहने के कारण कोई दिशा-निर्देश भी नहीं मिल पाता है. वर्मा ने कहा कि जिला स्तर पर खाली पदों व सभी पदों को प्राेन्नति से भरना चाहिए. इससे निचले स्तर पर ऑडिटरों को दिशा निर्देश मिल सकेगा.