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अध्यात्म व विज्ञान से स्वच्छ होगा वातावरण
कार्यक्रम. पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन पर बल खत्म हो कूड़ा जलाने की प्रवृत्ति सम्मानित किये गये पर्यावरणविद गाडगिल पटना सिटी : अध्यात्म व विज्ञान को जोड़ वातावरण को स्वच्छ बनाएं. ज्ञान को चेतना में लाने पर ही अनुसंधान संभव है. तभी समाज को प्रदूषणमुक्त किया जा सकता है. यह बात बुधवार को अगमकुआं स्थित राजेंद्र […]
कार्यक्रम. पर्यावरण संरक्षण व संवर्धन पर बल
खत्म हो कूड़ा जलाने की प्रवृत्ति
सम्मानित किये गये पर्यावरणविद गाडगिल
पटना सिटी : अध्यात्म व विज्ञान को जोड़ वातावरण को स्वच्छ बनाएं. ज्ञान को चेतना में लाने पर ही अनुसंधान संभव है. तभी समाज को प्रदूषणमुक्त किया जा सकता है. यह बात बुधवार को अगमकुआं स्थित राजेंद्र स्मारक चिकित्सा विज्ञान अनुसंधान संस्थान में आयोजित कार्यक्रम में पुणे से आये पर्यावरणविद पद्मभूषण से सम्मानित प्रो माधव डी गाडगिल ने कही.
उन्होंने किस तरह मानव सभ्यता, विज्ञान व भाषा का विकास हुआ इस पर अपनी बातों को रखा. प्रो ने कहा कि अध्यात्म व विज्ञान वातावरण से जुड़ा है,. भगवान बुद्ध ने भी भूमि स्पर्श से ज्ञान पाया. वातावरण से जुड़ कर ज्ञान व तरक्की हासिल की जा सकती है.
दरअसल प्रो को राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी की ओर से पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन पर शोध व बेहतर प्रस्तुतीकरण के लिए प्रो शालिग्राम सिन्हा मेमोरियल लेक्चर एवार्ड 2016 के लिए चयनित किया गया. राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी की पटना चैप्टर की ओर से बुधवार को संस्थान में एवार्ड प्रदान किया गया. इससे पहले कार्यक्रम का उद्घाटन संस्थान के निदेशक व एकेडमी के चेयरमैन डॉ प्रदीप दास व सचिव प्रो आरके सिन्हा, इलाहाबाद से आये कार्यकारी सचिव डॉ नीरज कुमार ने संयुक्त रूप से दीप जला कर किया. इसके बाद प्रो माधव डी गाडगिल ने अपनी शोध को को प्रोजेक्टर के माध्यम से दिखाया .
कार्यक्रम का संचालन डॉ सीएम लाल व अतिथियों का स्वागत संयोजक डॉ दिवाकर सिंह दिनेश ने किया. धन्यवाद ज्ञापन डॉ वीएन आर दास ने किया. इस मौके पर डॉ कृष्ण पांडे,डॉ नीना वर्मा, डॉ बांके बिहारी सिंह, डॉ आरके टोप्पो, डॉ विजय कुमार समेत अन्य चिकित्सक उपस्थित थे. सचिव प्रो रवींद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि समाज में आज कूड़ा जलाने की प्रवृत्ति बढ़ गयी है. कूड़ा को छांटने के बदले जलाने की प्रवृत्ति से वातावरण में फैल रहे केमिकल गैस से दमा, कैंसर जैसी बीमारी बढ़ रही है. उन्होंने गंगा की तट पर बस रही आबादी व गंगा के प्रदूषित होने के बारे में विचार रखते हुए कहा कि शहर के गंदा नाला का पानी गंगा में गिर रहा है.
इससे गंगा प्रदूषित हो रही है. उन्होंने डॉल्फिन के बारे में अपनी बातों को रखा, जबकि प्रो गाडगिल ने बिहार में हर वर्ष बाढ़ की तबाही व जलजमाव से किसानों को रही परेशानी के बारे में बताया. आयोजन को लेकर संजय कुमार चौबे, उदय कुमार, नरेश कुमार सिन्हा व राकेश बिहारी वर्मा सक्रिय थे.
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