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महिला विकास निगम व यूनिसेफ ने संभाली कमान
पटना : बेटियों की मानसिक, शारीरिक अौर शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब बिहार के तीन जिलों में बाल-विवाह रोकथाम कार्यक्रम चलाये जायेंगे. महिला विकास निगम और यूनिसेफ की आेर से बाल विवाह रोकथाम की दिशा में जनवरी से तीन जिलों में इसे पाॅयलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दिया […]
पटना : बेटियों की मानसिक, शारीरिक अौर शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब बिहार के तीन जिलों में बाल-विवाह रोकथाम कार्यक्रम चलाये जायेंगे. महिला विकास निगम और यूनिसेफ की आेर से बाल विवाह रोकथाम की दिशा में जनवरी से तीन जिलों में इसे पाॅयलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दिया जायेगा.
बाल विवाह रोकथाम अधिनियम के तहत यूनिसेफ के सहयोग से बिहार के तीन जिलों गया, नवादा और वैशाली के नौ प्रखंडों में 72 ग्राम पंचायतों में पंचायत समन्वयक का चयन किया गया है. कानून के बावजूद बिहार में बाल विवाह रुक नहीं रहा है. ऐसे में कार्यक्रम के जरिये अब तीन जिलों के सभी पंचायताें में जागरूकता कार्यक्रम चलाये जायेंगे ताकि, बाल विवाह को कम किया जा सके.
ऐसे करेगा काम : जिले के ग्राम पंचायत स्तर पर किशोर-किशोरियों का एक ग्रुप तैयार किया जायेगा. इसके बाद ग्रुप नुक्कड़ नाटक व प्रभातफेरी के जरिये बाल विवाह कानून के बारे में बतायेंगे. साथ ही इसकी भी जानकारी देंगे कि बाल विवाह होने से क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं.
महिला विकास निगम की ओर से गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से पंचायत प्रतिनिधियों के साथ मासिक बैठक कर पंचायतों में होनेवाली शादियों की जानकारी रखेंगे. साथ ही अांगनबाड़ी व आशा को भी इसमें शामिल किया जायेगा. इनकी मदद से होनेवाले बाल विवाह पर नजर रखी जायेगी. सूचना मिलने पर बाल विवाह को रोका जायेगा. साथ ही स्कूलों में नामांकित छात्राओं की भी अलग से डायरी तैयार की जायेगी ताकि, ड्राप आउट होने पर महिलाएं उनकी जानकारी रख सकें.
विवाह का कराया जायेगा निबंधन : साथ ही कार्यक्रम के जरिये वार्ड स्तर पर होनेवाली शादियों का निबंधन भी कराया जायेगा. बिहार विशेष विवाह नियमावली 2006 के तहत वार्ड पार्षदों के मदद से होनेवाली शादियों का भी निबंधन कराया जायेगा. ताकि, सरकारी योजनाओं के लाभ से उन्हें जोड़ा जा सकें. साथ ही इससे बाल विवाह की जानकारी भी मिल सकेगी. विवाह निबंधन के लिए आयु प्रमाणपत्र जरूरी है.
एसडीओ ने की कानूनी कार्रवाई : बाल विवाह रोकथाम अधिनियम के तहत अनुमंडल पदाधिकारी को नामित किया गया है. इसके तहत यदि बाल विवाह होने की सूचना मिलती है, तो अनुमंडल पदाधिकारी की ओर से इसे रोका जायेगा. साथ ही अधिनियम के तहत कानूनी कारवाई भी की जायेगी. इसमें दो साल तक का कारावास व एक लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है़
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