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निजी हाथों में सौंपने की साजिश!

पटना: कभी गांधी, नेहरू और जेपी जैसे नेताओं को आंदोलन की जमीन देने वाला गांधी मैदान आज बड़ा बेबस महसूस कर रहा है. अब तक इस जमीन पर होनेवाली रैलियां और मेले ही इसका सीना छलनी किया करते थे, मगर सरकार के नये फैसले ने इस मैदान के पूरी तरह डंपिंग यार्ड बनने का रास्ता […]

पटना: कभी गांधी, नेहरू और जेपी जैसे नेताओं को आंदोलन की जमीन देने वाला गांधी मैदान आज बड़ा बेबस महसूस कर रहा है. अब तक इस जमीन पर होनेवाली रैलियां और मेले ही इसका सीना छलनी किया करते थे, मगर सरकार के नये फैसले ने इस मैदान के पूरी तरह डंपिंग यार्ड बनने का रास्ता खोल दिया है. भवन निर्माण विभाग और जिला प्रशासन ने वर्षो पुराने इस मैदान के एक चौथाई भाग को दो साल के लंबे अंतराल के लिए निजी कंपनी को आवंटित कर दिया है.

इस भाग को टीन के शेड से घेर कर उसके अंदर बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चलाया जा रहा है. उनके इस निर्णय ने गांधी मैदान के निजीकरण का रास्ता खोल दिया है. वह दिन भी दूर नहीं, जब कोई नया प्रोजेक्ट बना कर सरकार इस मैदान पर ऊंची इमारत खड़ी कर दे और हम बेबस देखते रहे. इस ऐतिहासिक मैदान की दुर्दशा को देखते हुए ‘प्रभात खबर’ ने कई बार और सबसे पहले इसकी बेहतरी को लेकर आवाज बुलंद की. ‘प्रभात खबर’ की परिचर्चाओं में हर वर्ग के लोगों ने मैदान की स्थिति को सुधारने को लेकर अपने बहुमूल्य सुझाव दिये, जिन्हें अखबार में जगह भी दी गयी.

फिर जांच का राग
सोमवार को गांधी मैदान बचाओ समिति के प्रतिनिधिमंडल ने डीएम डॉ एन सरवणन कुमार से मुलाकात की. इसमें समिति के संयोजक मृत्युंजय तिवारी सहित नौ लोग शामिल थे. डीएम ने स्वीकार किया कि निर्माणाधीन कन्वेंशन हॉल की निर्माण सामग्रियों को रखने के वास्ते दो साल के लिए भवन निर्माण विभाग को इसका आवंटन किया गया. अगर मैदान में कोई स्थायी निर्माण हो रहा है, तो यह जांच का विषय है. विभाग के इंजीनियर को जांच के लिए कहा गया है. इंजीनियर की रिपोर्ट पर ही हम कुछ कह सकते हैं.

आज बनेगी रणनीति
डीएम के जवाब पर समिति ने असंतुष्टता जतायी. संयोजक मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मैदान की स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट बात नहीं कही गयी. कन्वेंशन हॉल निर्माण में दो साल लगेंगे या दस साल, कोई नहीं जानता. ऐसे में यह निर्णय न्यायसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि जब तक गांधी मैदान के अंदर से अवैध निर्माण नहीं हटेगा, आंदोलन जारी रहेगा. मंगलवार को आगे की रणनीति बनायी जायेगी. जरूरत पड़ी, तो हम लोग आमरण अनशन भी करेंगे. उन्होंने बताया कि मांगों को लेकर 19 फरवरी को विधानसभा मार्च निकाला जायेगा. इस मार्च में कई लोग शामिल होंगे. समिति की तरफ से राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा जायेगा.

..तो नयी कमेटी करेगी देख-रेख
गांधी मैदान की देख-रेख व उसका विकास अब प्रमंडलीय आयुक्त की अध्यक्षता में गठित कमेटी करेगी. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने यह निर्णय लिया है. हालांकि, उसका अनुमोदन होना बाकी है. गांधी मैदान में किसी कार्यक्रम को लेकर लिये जानेवाले निर्धारित शुल्क पहले राजस्व विभाग में जमा होता था. नये निर्णय के अनुसार अब शुल्क राशि श्रीकृष्ण मेमोरियल कमेटी के पास रहेगी, ताकि किसी तरह के कार्य के लिए होनेवाला खर्च उस राशि से हो सके. हालांकि, इस पर अभी वित्त विभाग से अनुमोदन मिलना बाकी है. अनुमोदन के बाद ही इस पर अंतिम मुहर लगेगी.

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