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मानव कर्तव्य आयोग भी बने
नसीहत : विश्व मानवाधिकार दिवस पर बोले राज्यपाल सचिवालय परिसर में किया गया कार्यक्रम का आयोजन. पटना : राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा है कि राज्य में मानवाधिकार आयोग की तरह ‘मानव कर्तव्य आयोग’ का गठन होना चाहिए. इसके लिए राज्य सरकार को पहल करने की जरूरत है. हम रोजाना सिर्फ अधिकार की बात करते […]
नसीहत : विश्व मानवाधिकार दिवस पर बोले राज्यपाल
सचिवालय परिसर में किया गया कार्यक्रम का आयोजन.
पटना : राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने कहा है कि राज्य में मानवाधिकार आयोग की तरह ‘मानव कर्तव्य आयोग’ का गठन होना चाहिए. इसके लिए राज्य सरकार को पहल करने की जरूरत है. हम रोजाना सिर्फ अधिकार की बात करते रहते हैं. इसके साथ कर्तव्य की भी बात होनी चाहिए. वर्तमान में कर्तव्य की बात कोई नहीं करता है, जबकि अधिकार के साथ कर्तव्य भी बेहद जरूरी है. इसके लिए सभी सरकारी कार्यालय और विश्वविद्यालय स्तर पर चर्चा होनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि साहित्यकारों को भी सम्मेलन करके विमर्श करना चाहिए. राज्यपाल अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के मौके पर बिहार मानवाधिकार आयोग की तरफ से सचिवालय परिसर में मौजूद अधिवेशन भवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में 15 नवंबर तक इसने सात हजार 486 मामलों का निष्पादन किया है. इससे पहले बीएचआरसी ने आठ हजार 687 मामलों का निष्पादन किया था.
2015-16 के दौरान 15 करोड़ 82 लाख रुपये का मुआवजा विभिन्न मामलों में पीड़ित लोगों को दिलवाया है. राज्यपाल ने कहा कि संविधान में 1978 में संशोधन करके अनुछेद 51-ए जोड़ा गया था, जिसमें मौलिक अधिकारों के साथ-साथ मौलिक अधिकारों का भी उल्लेख है. इसे आज सभी लोग भूल गये हैं. इस कार्यक्रम को चाणक्या विधि विश्वविद्यालय के कुलपति ए. लक्ष्मीनाथ, आयोग के सचिव संजीव कुमार सिन्हा ने भी संबोधित किया. संचालन अभिजीत कुमार ने किया.
बीएचआरसी को मानवाधिकार से संबंधित शोध एवं प्रशिक्षण के अलावा इसका आम लोगों के बीच व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार करने की जरूरत है. मानवाधिकार का एक कोर्स मॉड्यूल तैयार करके इसे कोर्स में शामिल करना चाहिए. सभी शिक्षण संस्थानों में इससे संबंधित कोर्स शुरू करने की पहल की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा कि पुलिस हाजत में मौतों के मामले में राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का 14वां स्थान है, लेकिन यह काफी नहीं है. आदर्श स्थिति यह होगी कि इस तरह की एक भी घटना नहीं घटे. मानवाधिकार आयोग को असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों और उपेक्षित वर्ग के अधिकारों के प्रति खासतौर से ख्याल रखना चाहिए. वर्तमान में मानवाधिकार का दायर काफी व्यापक हो गया है.
अनुशंसाओं का पालन करे राज्य सरकार : नीलमणी
आयोग के पूर्व सदस्य नीलमणी ने कहा कि बिहार सरकार मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा का पालन करने में अव्वल है. परंतु कुछ अनुशंसाएं बची हुई हैं, जिनका पालन करना चाहिए. इसमें प्रवासी मजदूर के मामलों में उन राज्य में एक-एक प्रशासनिक अधिकारी तैनात करना चाहिए, जिन राज्यों में काफी संख्या में बिहार के प्रवासी मजदूर काम करते हैं.
इसके अलावा बिहार के बाहर के रिमांड होम में रह रहे बच्चों को राज्य वापस लाने की पूरजोर तरीके से पहल करनी चाहिए. पुलिस स्टेशन और हाजत में सफाई का प्रबंधन हो. बलात्कार और एसिड पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता के अलावा उचित काउंसेलिंग सेंटर का बंदोबस्त होना चाहिए.
शराबबंदी कानून से होगी मानवाधिकार की रक्षा : जस्टिस राजेन्द्र
राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य जस्टिस राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कि राज्य में शराबबंदी बहुत अच्छी पहल है. इसे सभी लोगों को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए. इसकी मदद से मानवाधिकार की रक्षा होगी. इतने सख्त कानून के बाद भी काफी मात्रा में अवैध शराब पकड़ी जा रही है. कानून को और ज्यादा सख्त करना चाहिए. उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर मौजूदा कानून एकदम सही है. जहां तक सख्त सजा की बात है, तो क्या बच्चा खराब आचरण करता है, तो क्या उसे सजा नहीं देते हैं. ठीक वैसा ही इस कानून में भी है. राज्य में सभी को इस कानून को समर्थन करना चाहिए. अगर कोई इसका समर्थन नहीं करता है, तो स्थिति गड़बड़ हो सकती है.
35 % लोग जीते गुलाम की जिंदगी : जस्टिस मानधाता
राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य जस्टिस मानधाता सिंह ने कहा कि एक सर्वे के मुताबिक, दुनिया में तीन करोड़ 60 लाख लोग आज भी गुलाम की जिंदगी जीते हैं. इसमें 35 फीसदी लोग भारत में हैं. इस स्थिति को बदलने के लिए संवेदनशील बनने की जरूरत है. बिहार सरकार मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा को मानने में अव्वल है.
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