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आपके कूलर के हनी पैड और घास में छुपा है डेंगू

पटना: अगर आप के कूलर में एक साल से अधिक पुरानी घास या फिर खस की जगह हनी पैड लगे हैं, तो सावधान हो जाएं. क्योंकि इस स्थिति में आपको डेंगू हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने माना है कि इन दोनों ही स्थिति में कूलर में डेंगू का लार्वा छिपे होने की आशंका रहती […]

पटना: अगर आप के कूलर में एक साल से अधिक पुरानी घास या फिर खस की जगह हनी पैड लगे हैं, तो सावधान हो जाएं. क्योंकि इस स्थिति में आपको डेंगू हो सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने माना है कि इन दोनों ही स्थिति में कूलर में डेंगू का लार्वा छिपे होने की आशंका रहती है. हनी पैड के बीच में जानलेवा लार्वा पनपने की स्थितियां ज्यादा मुफीद रहती हैं. ऐसे तथ्य शहर के तमाम मोहल्लों में जांच के बाद सामने आया है. स्वास्थ्य विभाग ने भी लोगों को सावधान रहने की नसीहत दी है.
इस तरह से होता है हनी पैड पर डेंगू : कूलर में लगाये जाने वाले घास या खस के पैड एक बरस में खराब हो जाते हैं, लेकिन हनी पैड कई साल तक काम करते हैं. ऐसे में लोगों ने हनी पैड को तरजीह देना शुरू कर दिया है. यह बचत घातक है. इसकी वजह यह कि सामान्य पैड के मुकाबले हनी पैड में नमी ज्यादा होती है. ऐसे में हनी पैड में डेंगू के लार्वा खस और सामान्य घास के पैड की तुलना में आसानी से विकसित होते हैं. उपयोग के बाद जब कूलर बंद रखते हैं तो लार्वा पैड में दुबका रहता है और जब उसमें पानी मिलता है, तो वह सक्रिय हो जाता है. नतीजा उसमें पनपे मच्छर डेंगू का रूप देते हैं. हनी पैड को विशेष प्रकार के गत्ते और फाइबर रेशों (कृत्रिम घास) से तैयार किया जाता है.

सामान्य घास के पैड जहां दो सेंटीमीटर चौड़े होते हैं वहीं हनी पैड की
मोटाई दो से तीन इंच तक होती है. एक बार लगाने पर पांच साल तक यह खराब नहीं होने के साथ ही महंगे भी होते हैं. नतीजा लोग इसे अधिक पसंद करते हैं और उनको यह घातक साबित होती है.
डेंगू का डंक : दो महीने के अंदर आंकड़ा करीब 700 के पार
पटना सहित पूरे बिहार में डेंगू के मरीजों की संख्या अधिक हो रही है. दो महीने के अंदर आंकड़ा करीब 700 के पहुंच गयी है. सिविल सर्जन ऑफिस से मिली रिपोर्ट के अनुसार शहर के गर्दनीबाग, ट्रांसपोर्ट नगर, पाटलिपुत्र व कंकड़बाग एरिया में डेंगू के मरीज अधिक मिल रहे हैं. बड़ी बात तो यह है कि विभाग ने जब मरीजों से कारण जाना, तो अधिकांश मरीज कूलर से डेंगू होने की बात स्वीकारी. कुछ मरीजों ने कहा कि कूलर में पानी जमा हुआ था, तो कुछ ने हनी पैड व घास नहीं बदलने की बात कही. नतीजा 20 प्रतिशत मरीजों को कूलर से डेंगू होने की आशंका है.
वहीं बुधवार को पीएमसीएच के माइक्रोबॉयलॉजी विभाग में 12 नये लोगों को डेंगू होने की पुष्टि हुई है. पटना सहित पूरे बिहार में डेंगू रुकने का नाम नहीं ले रहा है. पीएमसीएच सहित शहर के सरकारी व निजी अस्पतालों में लगातार मिल रहे डेंगू के मरीज ने स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा दिया है. पीएमसीएच में 10 बेड बनाया गया है जहां छह मरीज भरती है. वहीं चार अन्य गंभीर मरीज को इमरजेंसी और दो मेडिसिन वार्ड में भरती कराया गया है. इस सीजन में रोजाना पीएमसीएच में आठ से 10 मरीज डेंगू के आ रहे हैं.
इनका कहना है
लोगों को चाहिए वह अपने कूलर में पुराना पानी निकाल दे या फिर हनी पैड को बदल दें. हर साल नये घास भी लगाये. मच्छरदानी, माॅस्कीटो क्वॉइल सोने से पहले इस्तेमाल करें.
डॉ सुनील सिंह, आइएमए उपाध्यक्ष
डेंगू से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग निगम के सहयोग से दवाएं लगातार छिड़कवा रहा है. लोगों को भी सावधानी बरतनी होगी. कूलर के पुराने पानी को बदलें. कहीं गंदगी की समस्या हो, तो शिकायत करें.
डॉ गिनेंद्र शेखर सिंह, सिविल सर्जन

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