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2009 के पहले शिक्षकों की मौत तो आश्रितों को स्थायी नौकरी
पटना : स्थायी वेतनमान वाले शिक्षकों की 2009 के पहले मौत हुई हो, तो उनके आश्रितों को स्थायी वेतनमान वाले पद पर की जायेगी. पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को यह व्यवस्था दी है. राज्य सरकार ने 2009 में एक संकल्प जारी किया था, इसके मुताबिक 2009 के बाद अनुकंपा के आधार पर बहाली संविदा के […]
पटना : स्थायी वेतनमान वाले शिक्षकों की 2009 के पहले मौत हुई हो, तो उनके आश्रितों को स्थायी वेतनमान वाले पद पर की जायेगी. पटना हाइकोर्ट ने शुक्रवार को यह व्यवस्था दी है. राज्य सरकार ने 2009 में एक संकल्प जारी किया था, इसके मुताबिक 2009 के बाद अनुकंपा के आधार पर बहाली संविदा के तहत ही की जानी है.
कैमूर जिले के एक स्कूल के स्थायी शिक्षक की 2005 में मौत हो गयी थी. पांच साल तक उनके परिजनों को अनुकंपा पर नौकरी नहीं दी गयी. इस बीच परिजनों ने हाइकोर्ट में गुहार लगायी. कोर्ट ने इस मामले में कैमूर के जिला शिक्षा अधिकारी और शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को तलब भी किया. बाद में उसे संविदा पर बहाली का पत्र दे दिया. इस पर जावेद अली के परिजन पुन: हाइकोर्ट गये. हाइकोर्ट ने शुक्रवार को स्थायी पद पर नियुक्ति का निर्देश दिया.
क्यों नहीं हुआ मुकदमा : पटना. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से नालंदा मेडिकल काॅलेज अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन खरीद मामले में दोषी डाॅक्टर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दायर नहीं होने पर गहरी नाराजगी जतायी है. जस्टिस एके त्रिवेदी की कोर्ट ने शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई की और छह अक्तूबर तक यह बताने को कहा कि डाॅ संतोष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कब हाेगी.
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