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जीएम सरसों का विरोध किया जदयू सांसदों ने

पटना : जदयू नेताओं ने बुधवार को नई दिल्ली में जीएम सरसों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. इसके साथ ही पार्टी नेताओं की टीम ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और मौसम विभाग के मंत्री अनिल माधव दवे से मुलाकात करके एक ज्ञापन सौंपा. इसमें जीएम सरसों बीज के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने […]

पटना : जदयू नेताओं ने बुधवार को नई दिल्ली में जीएम सरसों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया है. इसके साथ ही पार्टी नेताओं की टीम ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और मौसम विभाग के मंत्री अनिल माधव दवे से मुलाकात करके एक ज्ञापन सौंपा. इसमें जीएम सरसों बीज के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की मांग की गयी है.
जदयू की इस टीम में लोकसभा में जदयू सांसद कौशलेंद्र कुमार व अफाक अहमद खान (जदयू के राष्ट्रीय सचिव) और कार्यकारिणी के सदस्य अनिल हेगड़े शामिल थे. ज्ञापन में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस के सेंटर फॉर जेनेटिक मैनिपुलेशन ऑफ क्रॉप प्लांट (सीजीएमसीपी) ने सरसों का जो जेनेटिक स्तर पर हाइब्रिड सरसों का बीज तैयार किया है, उसे लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैलायी जा रही हैं. कहा जा रहा है कि इसमें खर-पतवार निरोध क्षमता होने के साथ-साथ उच्च पैदावार क्षमता भी है. परंतु हकीकत में जब इस बीज को सिविल सोसायटी ने जब टेस्ट किया, तो पाया कि ये तमाम दावे पूरी तरह से गलत हैं.
इस बीज से जुड़े दस्तावेज को जीइएसी की सब-कमेटी ने सिर्फ अनुमति प्रदान की है. इससे जुड़े तमाम तथ्यों और आम लोगों से जुड़े बॉयोसेफ रिपोर्ट पर आम लोगों से कोई फीडबैक भी नहीं ली गयी है. आम जन से सहमति लेने में कोई खास रुचि नहीं दिखायी गयी है.
जीएम सरसो से जुड़े कुछ बेहद महत्वपूर्ण समस्याएं
– बॉयोटेक्नोलॉजी पर गठित स्वामीनाथन टास्क फोर्स, संसदीय स्टैंडिंग कमेटी और सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी की अधिकांश रिपोर्ट के अनुसार, किसी फसल की उत्पत्ति केंद्र और विभेद से जुड़ी मॉडिफिकेशन को लेकर किसी तरह का कोई जेनेटिक मोडिफिकेशन नहीं किया जायेगा. इस तरह के शोध पर भी परहेज होगा.
– इस उत्पाद से जुड़ी कोई शोध और किसानों के उपयोग से जुड़े किसी हित को लेकर कोई स्टडी नहीं की गयी है. यह सिर्फ बीज उत्पादकों को ही लाभ पहुंचाने वाला है.
– इस जीएम सरसो से जुड़ी बॉयोसेफ्टी डाटा किसी वैज्ञानिक की तरफ से जारी नहीं की गयी है. इससे जुड़ी सेंट्रल इंफॉरमेशन कमीशन (सीआइसी) ने अपनी रिपोर्ट जारी करने से मना कर दिया है. इस डाटा को सार्वजनिक किया जाये.
– सरसों उत्पाद करने वाले कई बड़े राज्यों ने इस जीएम सरसों को अपनी खेतों में टेस्ट करने से साफ मना कर दिया है. इस वजह से इसे महज कुछ ही स्थानों पर टेस्ट किया जा सका है, जो पर्याप्त नहीं है. कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री इस मामले को लेकर जनवरी 2016 में ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जता चुके हैं.
– सबसे महत्वपूर्ण है कि बिहार के किसान को इस तरह के जहरीली तकनीक को अपनाने के स्थान पर एग्रो-इकोलॉजिकल प्रैक्टिस का उपयोग कराया जाये, तो काफी बेहतर होगा. इसमें सरसो तीव्रकरण जैसे सुरक्षित तकनीक शामिल किये जा सकते हैं.

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