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नीरा के कॉमर्शियल उत्पादन के गुर सीखेंगे ताड़ी उत्पादक
27 को नीरा के कॉमर्शियल प्रोडक्शन पर पटना में होगी एक दिवसीय कार्यशाला पटना : ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोग और उद्योग विभाग के अधिकारी-कर्मचारी नीरा के कॉमर्शियल उत्पादन के गुर सीखेंगे. कर्मचारी-अधिकारी और ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को उद्योग विभाग और खादी-बोर्ड विशेष प्रशिक्षण देगा. 27 अगस्त को पटना के अधिवेशन-भवन में पूरे […]
27 को नीरा के कॉमर्शियल प्रोडक्शन पर पटना में होगी एक दिवसीय कार्यशाला
पटना : ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोग और उद्योग विभाग के अधिकारी-कर्मचारी नीरा के कॉमर्शियल उत्पादन के गुर सीखेंगे. कर्मचारी-अधिकारी और ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को उद्योग विभाग और खादी-बोर्ड विशेष प्रशिक्षण देगा. 27 अगस्त को पटना के अधिवेशन-भवन में पूरे दिन विशेष प्रशिक्षण सत्र चलेगा. सभी जिलों के उद्योग महाप्रबंधकों को प्रशिक्षण सत्र में हर-हाल में रहने का निर्देश उद्योग निदेशक ने जारी किया है.
शराब पर प्रतिबंध के बाद से ही बिहार में ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोग हंगामा कर रहे थे. इस बीच सरकार ने ताड़ी उत्पादन पर लगी रोक का आदेश वापस तो ले लिया, किंतु पहले की तरह पूरी तरह ताड़ी की खरीद-बिक्री की छूट नहीं मिली है. अब उद्योग विभाग और खादी बोर्ड मिल कर ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों व उद्यमियों को नीरा व इससे जुड़े प्रोडक्ट्स तैयार करने की विधा सिखायेगा. ताड़ पेड़ के उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए 20 अप्रैल,2016 को ही उद्योग विभाग ने कार्य योजना बनायी थी.उस कार्य योजना पर उद्योग विभाग अब काम करने जा रहा है.
पहले चरण में उद्योग विभाग और खादी बोर्ड पटना में ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोगों को नीरा और ताड़ के पेड़ के उत्पादों के निर्माण का विशेष प्रशिक्षण देगा. उसके बाद सभी जिलों में उद्योग विभाग और खादी बोर्ड विशेष प्रशिक्षण सत्र व कार्यशालाएं आयोजित करेगा.
ताड़ पेड़ से जुड़े ये प्रोडक्ट हो सकते हैं तैयार
गुड़: ताड़ के रस से गुड़ का निर्माण किया जायेगा. इसके निर्माण को लघु व कुटीर उद्योग के रूप में बढ़ावा दिया जायेगा
मिठाई: नीरा से तरह-तरह की मिठाइयों का निर्माण होगा. फिलहाल आदिवासी बहुल इलाकों में इससे मिठाइयों का निर्माण हो रहा है. उद्योग विभाग नीरा की विभिन्न वेराइटिजों की मिठाई बनाने की तकनीक लोगों को बतायेगा.
सूरन-पेड़ा : नीरा से सूरन-पेड़ा का भी निर्माण किया जा सकता है. इसके लिए दूध की ही तरह नीरा को सूखा कर चीनी मिक्स कर सूरन-पेड़ा का निर्माण होगा.
लड्डू : नारियल की लड्डू के तर्ज पर नीरा की लड्डू भी बनेगी, हालांकि इसके निर्माण में उद्यमियों को कुछ अधिक परिश्रम करना होगा. नीरा को सूखा कर उसे बेसन और चीनी-गुड़ में मिला कर लड्डू बनेंगे.
आइसक्रीम: उद्योग विभाग आइसक्रीम का निर्माण कर रहे उद्योगों को नीरा की आइसक्रीम बनाने की तकनीक डेवलप करने को तैयार करेगा. फिलहाल आइसक्रीम फैक्टरियां दूध-मक्कन से आइसक्रीम बना रहें हैं.
पत्ता: सखुआ के पत्ते की तरह ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोग ताड़-खजूर के पत्तों की बुनाई करेंगे. सखुआ के पत्तों के प्लेट की तरह ताड़-खजूर के पत्तों का प्लेट निर्माण की भी तकनीक ताड़ी व्यवसाय से जुड़े लोग सीखेंगे.
खिलौना: ताड़-खजूर के पत्तों से बच्चों के लिए खिलौना का निर्माण किया जायेगा. वर्तमान में ताड़-खजूर के पत्तों से सिर्फ हांथ-पंखा और शादी-विवाह के लिए सूप-टोकड़ी आदी का निर्माण ही हो रहा है.
इस सबके अलावा नीरा से जैम, जेली आंटा, रवा, दलिया और झाड़ू आदि के निर्माण की तकनीक भी डेवलप की जायेगी.
राज्य में शराबबंदी के बाद ताड़ी पर भी रोक लगाने के पूर्व नीरा और अन्य उत्पादन बनाने की तैयारी तेज हो गयी है. इसके पहले चरण में राज्य में ताड़, खजूर व नारियल के पेड़ की गिनती का काम पूरा कर लिया गया है. गिनती के अनुसार राज्य के 8405 पंचायतों के 42334 गांवों में 9012480 ताड़, 3804539 पेड़ खजूर व 373483 नारियल के पेड़ हैं. जीविका समूहों के सदस्यों द्वारा इन पेड़ों से निर्धारित समय पर ताड़ी का संग्रह किया जायेगा. इसे उद्योग विभाग द्वारा तय इकाई में जमा कर नीरा, गुड़ समेत अन्य उत्पाद तैयार किये जायेंगे.
इससे जहां ताड़, खजूर व नारियल पर जीविका चलाने वालों को नये सिरे से इस काम में कंफेड उद्योग विभाग को तकनीकी सहयोग देगा. सरकार की तैयारी से उम्मीद है कि आने वाले वैशाख से राज्य में ताड़ी नहीं मिलेगा. सबसे अधिक ताड़ वाले जिलों में गया में 1457410, बांका में 647886, भागलपुर में 508245, मुजफ्फरपुर में 399877 और नवादा में 865097 ताड़ का पेड़ हैं. वहीं सबसे अधिक खजूर के पेड़ वाले जिलों में मुजफ्फरपुर में 551370, बांका में 592130, समस्तीपुर में 405662, गया में 353037 और दरभंगा में 209000 पेड़ हैं. नारियल की सबसे अधिक पेड़ वाले जिलों में मधुबनी में 20020, भागलपुर में 18652, सुपौल में 49047, मधेपुरा में 34353 और पूर्णिया में 32671 पेड़ हैं.
कृषि विभाग के अधिकारी ने बताया कि इन पेड़ों की संख्या में थोड़ी और वृद्धि होगी, क्योंकि मधुबनी जिले के पांच प्रखंड और जमुई जिले के छह प्रखंड व खगड़िया के एक प्रखंड इन पेड़ों की गिनती का काम पूरा नहीं हो सका है.
कंफेड के एमडी सीमा त्रिपाठी ने कहा कि कंफेड उद्याेग विभाग के उत्पादन इकाई चलाने में सहयोग करेगा. उद्योग विभाग द्वारा तैयार गुड़, कैंडी आदि प्रोडक्ट सुधा के बूथ से बिक्री किया जा सकता है. विदित हो कि राज्य सरकार ने शराबबंदी के बाद राज्य में ताड़ी पर भी रोक लगायेगी.
इसके लिए तामिलनाडु के तर्ज पर ताड़ी पर जीविका चलाने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाया जायेगा. राज्य सरकार की तैयारी के अनुसार ताड़ी की बिक्री पर होने वाली आमदनी से नयी व्यवस्था में कई गुणा अधिक आमदनी होगी. इसके लिए कृषि, कंफेड और उद्योग विभाग के अधिकारियों की टीम का कोयंबटूर का दौरा भी किया गया.
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