पटना : आरटीइ के तहत नामांकन लेने का मन करेगा तो करेंगे और नहीं मन करेगा तो नहीं करेंगे. कुछ इसी फॉर्मूला को पटना के स्कूल फॉलो कर रहे हैं. बिहार में 2011 से ही आरटीइ लागू है, लेकिन छह साल बीत जाने के बाद भी स्कूलों तक पहुंच नहीं सका है.
अगर हम बात राजधानी की करें तो, राजधानी में अब भी 32 ऐसे स्कूल हैं जिन्हाेंने एक भी नामांकन शिक्षा के अधिकार के तहत नहीं लिया है. स्कूल अपनी मरजी से काम करते हैं.
नामांकन नहीं लेने के कारण इन स्कूलों पर जुर्माना भी लगाया गया, लेकिन इन स्कूलों ने ना तो अब तक जुर्माना दिया है और ना ही नामांकन ही लिया है. शिक्षा के अधिकार के तहत इन 32 स्कूलों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था. इन स्कूलों से स्पष्टीकरण मांगा गया था. लेकिन इन स्कूलों ने इसकी कोई जानकारी नहीं दी.
नामांकन नहीं लेने के कारण आरटीइ अधिनियम 2009 की धारा 12 (एक) (सी) के तहत ऐसे निजी विद्यालयों पर आरटीइ के तहत कार्रवाई की जायेगी. कार्रवाई के तौर पर एक लाख रुपये का जुर्माना स्कूलों पर लगाया जायेगा. अगर यह जुर्माना स्कूल जमा नहीं करता है, तो 10 हजार प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लिया जायेगा. लेकिन, अब तक स्कूलों पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. स्कूलों द्वारा आरटीइ के तहत नामांकन नहीं लेने का मामला अब राज्य सूचना आयोग पहुंच गया है. इसको लेकर तीन अगस्त को राज्य सूचना आयुक्त वीके वर्मा के पास सुनवाई भी हुई.