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वैशाली की डीएम से होगी पूछताछ
बिहार बोर्ड घोटाले में आ सकते हैं कई सफेदपोश अधिकारियों के नाम पटना : किस परिस्थिति या कारण से विशुनदेव राय कॉलेज का परीक्षा केंद्र कुछ दिन पहले बदल दिया गया था? यह सवाल एसआइटी अब वैशाली की जिलाधिकारी रचना पाटिल से करेगी. एसआइटी जानना चाहती है कि आखिर परीक्षा केंद्र को गुरुकुल विद्यालय हाजीपुर […]
बिहार बोर्ड घोटाले में आ सकते हैं कई सफेदपोश अधिकारियों के नाम
पटना : किस परिस्थिति या कारण से विशुनदेव राय कॉलेज का परीक्षा केंद्र कुछ दिन पहले बदल दिया गया था? यह सवाल एसआइटी अब वैशाली की जिलाधिकारी रचना पाटिल से करेगी. एसआइटी जानना चाहती है कि आखिर परीक्षा केंद्र को गुरुकुल विद्यालय हाजीपुर से बदल कर जीए इंटर कॉलेज क्यों कर दिया गया? सूत्रों के अनुसार वैशाली की जिलाधिकारी रचना पाटिल के निर्देश के बाद इंटर परीक्षा के कुछ दिन पहले ही विशुनदेव राय कॉलेज का परीक्षा केंद्र बदला गया था. बिहार बोर्ड द्वारा पहले परीक्षा केंद्र गुरुकुल विद्यालय हाजीपुर को बनाया गया था, लेकिन फिर परीक्षा केंद्र बदल कर जीए इंटर कॉलेज हाजीपुर को बना दिया गया था.
इस मामले को लेकर एसआइटी अब जिलाधिकारी रचना पाटिल से पत्र के माध्यम से यह पूछेगी कि उन्होंने किस परिस्थिति या कारण से विशुनदेव राय कॉलेज के परीक्षा केंद्र को बदलने का निर्देश दिया था. अगर इस पत्र का जवाब एसआइटी को संतोषजनक नहीं लगेगा, तो फिर पुलिस टीम उनसे पूछताछ करने जायेगी या फिर तिथि निश्चित कर उन्हें पूछताछ के लिए बुलायेगी. इस मामले को लेकर हाजीपुर के डीइओ से भी पूछताछ हो चुकी है. हालांकि सूत्रों के अनुसार जिलाधिकारी ने नोट शीट में इस बात का जिक्र किया है कि वरीय पदाधिकारी के मौखिक निर्देश पर परीक्षा केंद्र में स्थानांतरण का निर्देश दिया जाता है.
कौन है वो वरीय अधिकारी
नोट शीट में जिस वरीय अधिकारी का जिक्र कर परीक्षा केंद्र का स्थानांतरण किया गया था, वो कौन है. एसआइटी भी यह जानना चाहती है कि किसके मौखिक निर्देश पर जिलाधिकारी ने परीक्षा केंद्र के स्थानांतरण का निर्देश दिया था. लेकिन, अब यह स्पष्ट हो चुका है कि बिहार बोर्ड घोटाले में किसी बड़े अधिकारी का भी नाम सामने आ सकता है, जिसके निर्देश से परीक्षा केंद्र में बदलाव किया गया था. जीए इंटर कॉलेज केंद्राधीक्षक शैल कुमारी को कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है. शैल कुमारी को जिलाधिकारी व डीइओ के हस्ताक्षर से प्रशस्ति पत्र भी मिल चुका है.
पटना : कॉलेज के पास कमरा हैं कि नहीं, छात्राें की संख्या है या नहीं, लैब व लाइब्रेरी की स्थिति क्या हैं. इसमें से किसी भी मानक को पूरा नहीं किया गया. बिहार बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद ने कॉलेजों की कोई जांच भी नहीं करवायी. बस कागज पर ही संबद्धता दे दिया. 208 कॉलेजों की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आयी कि केवल आठ कॉलेज है, जो मानक को पूरा कर रहे हैं. बाकी, कॉलेजों में अधिकांश के पास जमीन तक नहीं है. गैरेज में कॉलेज खोल दिया गया है. इन कॉलेजों को कागज पर ही पूर्व अध्यक्ष ने मान्यता दे दी है.
डीइओ ने जिसकी दी निगेटिव रिपोर्ट, उसे भी दे दी मान्यता : संबद्धता के लिए जिले के अनुसार कॉलेजों की रिपोर्ट संबंधित डीइओ से मांगी गयी थी. पटना सहित कई जिलों के डीइओ ने कॉलेजों की निगेटिव रिपोर्ट दी थी. जिसमें स्पष्ट लिखा हुआ है कि इन कॉलेजों को कोई अस्तित्व नहीं है. कॉलेज का नाम बस कागजों पर है. डीइओ के निगेटिव रिपोर्ट के बावजूद पूर्व अध्यक्ष ने मनमरजी से काॅलेजों को मान्यता दे दी थी.
तीन जिलों से सबसे अधिक कॉलेज : 208 में सबसे ज्यादा वैशाली, मुजफ्फरपुर, पटना और छपरा जिलाें के कॉलेज शामिल है. समिति के कर्मचारियों ने बताया कि इन जिलों से कॉलेजों की संबंद्धता सबसे अधिक है. 208 में सौ से अधिक ऐसे कॉलेज हैं, जो मान्यता की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे. बैठक के बाद इन सभी को बुला कर पूर्व अध्यक्ष ने मान्यता दे दी थी.
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