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एक और फर्जी जमानत का मामला आया सामने, बेल रद्द

मामले की हाेगी सीबीआइ जांच पटना : पटना उच्च न्यायालय में एक और फर्जी तरीके से जमानत हासिल करने का मामला प्रकाश में आया है. जस्टिस पीके झा की कोर्ट में गुरुवार को ऐसा ही एक मामला आया, जिसमें दोहरे हत्या के एक अभियुक्त ने दो बार जमानत याचिका रद्द हो जाने की सूचना दिये […]

मामले की हाेगी सीबीआइ जांच
पटना : पटना उच्च न्यायालय में एक और फर्जी तरीके से जमानत हासिल करने का मामला प्रकाश में आया है. जस्टिस पीके झा की कोर्ट में गुरुवार को ऐसा ही एक मामला आया, जिसमें दोहरे हत्या के एक अभियुक्त ने दो बार जमानत याचिका रद्द हो जाने की सूचना दिये बगैर तीसरी बार याचिका दायर कर दी. उसने प्राथमिकी के तथ्य को बदल कर मुख्य अभियुक्त की जगह अपने को सह अभियुक्त घोषित कर लिया. इस आधार पर कोर्ट में उसे जमानत मिल गयी. इसके पहले की वह जमानत के आधार पर जेल से रिहा हो जाता, निचली अदालत को शक हुआ और उसने तहकीकात की तो पता चला कि रामप्रवेश सहनी नाम का यह अभियुक्त पटना के बाइपास थाने में दर्ज दोहरे हत्याकांड का सह अभियुक्त नहीं बल्कि मुख्य अभियुक्त है.
निचली अदालत ने तत्काल पटना हाईकोर्ट को सूचित किया. गुरुवार को इस संबंध में विशेष सुनवाई हुई. कोर्ट ने पहले अभियुक्त को पूर्व में स्वीकृत की गयी जमानत को रद्द कर दिया और इस संबंध में निचली अदालत को पूरी छानबीन का भी आदेश दिया. अभियुक्त रामप्रवेश सहनी फिलहाल जेल में बंद है.
बाइपास थाने में दर्ज 2011 के एक दोहरे हत्याकांड का वह मुख्य अभियुक्त है. उसने पहली बार एक अक्तूबर, 2013 कोजमानत याचिका दायर की थी. इसके रद्द हो जाने के बाद दूसरी बार 27 अगस्त, 2014 को याचिका दायर किया. जब यह भी रद्द हो गया तो तीसरी बार उसने प्राथमिकी के तथ्यों में हेराफेररी कर अपने को सह अभियुक्त बताते हुए जमानत याचिका दायर किया.
इस बार उसे जमानत मिल गयी थी. गौरतलब है कि इसके पूर्व भी फरजी कागजात के आधार पर जमानत याचिका दायर करने के मामले में पटना उच्च न्यायालय ने सीबीआइ जांच के आदेश दे चुकी है.

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