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आखिर कब होगी परीक्षा, कोई तो बताये
ऊहापोह. नौवीं व 10वीं की अर्ध वार्षिक परीक्षा को लेकर अनिश्चितता की स्थिति नौवीं-10वीं की वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षाओं को लेकर असमंजस बरकरार है. इसके बारे में छात्र, तो दूर स्कूलों व अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है. इस कारण तैयारी भी नहीं हो पा रही है. पटना : स्कूलों नौवीं-10वीं की वार्षिक और अर्धवार्षिक […]
ऊहापोह. नौवीं व 10वीं की अर्ध वार्षिक परीक्षा को लेकर अनिश्चितता की स्थिति
नौवीं-10वीं की वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षाओं को लेकर असमंजस बरकरार है. इसके बारे में छात्र, तो दूर स्कूलों व अधिकारियों को भी जानकारी नहीं है. इस कारण तैयारी भी नहीं हो पा रही है.
पटना : स्कूलों नौवीं-10वीं की वार्षिक और अर्धवार्षिक परीक्षाएं होनी हैं, लेकिन बड़ा सवाल कि यह परीक्षा कब होगी? इसकी कोई जानकारी न तो स्कूलों को है और न ही जिला के अफसरों को. ऐसे में स्कूलों में होनेवाली परीक्षाओं के लिए भी स्कूल प्रशासन को विभाग के आदेश का इंतजार है.
प्रतिवर्ष जुलाई में ली जाती है परीक्षा : स्कूलों की मानें, तो प्रतिवर्ष अर्ध वार्षिक परीक्षा जुलाई में ली जाती है. इसके लिए विभाग द्वारा परीक्षा की तिथि भी निर्धारित की जाती है.
लेकिन, इस बार परीक्षा ली जानी है या नहीं, इसकी कोई सूचना अब तक स्कूलों को नहीं मिल पायी है. इससे स्कूल स्तर से भी अब तक परीक्षा की तैयारी नहीं हो सकी है.
330 स्कूलों में से मात्र 22 स्कूल में ही परीक्षा : पटना जिला में हाइ और प्लस टू विद्यालयों की संख्या कुल 330 है.इनमें राजकीय विद्यालय मात्र 22 हैं. ऐसे में मात्र 22 स्कूलों में ही नौवीं की परीक्षा फरवरी माह में ली गयी है. शेष 310 विद्यालयों में नौवीं कक्षा के छात्र-छात्राएं बिना परीक्षा के ही 10वीं कक्षा में प्रोमोट कर दिये गये हैं. इसका कारण है कि पूर्व में नौवीं की परीक्षा स्कूल स्तर से ली जानी थी. बाद में विभाग द्वारा जारी निर्देशानुसार नौवीं परीक्षा ली जानी थी. ऐसे में जो स्कूल नौवीं की परीक्षा नहीं ले सके, वे विभागीय परीक्षा के इंतजार में रहे और स्कूल स्तर की परीक्षा नहीं ले सके. बाद में विभाग ने परीक्षा रद्द कर दी. इस तरह 310 विद्यालयों के बच्चे 10वीं में प्रोमोट कर दिये गये.
कोट
विभागीय स्तर पर आदेश आने के बाद परीक्षा ली जायेगी. हालांकि विभाग की ओर से इस संबंध में कोई सूचना नहीं मिली है. परीक्षा के लिए स्कूल को अगस्त तक इंतजार करना होगा.
– एम दास, डीइओ
पटना : लाइब्रेरी है तो किताबें नहीं, जिस लाइब्रेरी में किताबें हैं तो वह खुलती ही नहीं. यह हाल है जिला के हाइ और प्लस टू स्कूलों का. जहां लाइब्रेरी सिर्फ स्कूल की शोभा बढ़ाने का काम कर रहे हैं. लगभग सभी स्कूलों में लाइब्रेरियन की नियुक्ति भी की गयी है, लेकिन स्थिति यह है कि न तो स्कूल की लाइब्रेरी समय पर खुलती है और न ही उसे अपडेट ही रखा जाता है.
बस स्कूल के रूटीन में शामिल है लाइब्रेरी क्लास: पटना जिला में हाइ और प्लस टू स्कूलों की संख्या 330 है. लगभग सभी स्कूलों में लाइब्रेरी की सुविधा है. यहां तक
कि स्कूलों की रूटीन चार्ट में भी लाइब्रेरी क्लास शामिल है. लेकिन यदि यहां पढ़ रहे बच्चों से पूछें तो
उन्हें याद नहीं कि वे पिछली बार लाइब्रेरी में कब गये थे. यहां तक कि कुछ स्कूलों के लाइब्रेरियन दूसरे विषयों शिक्षक के रूप में क्लास लेने में ही मशगूल रहते हैं. बांकीपुर गर्ल्स हाइ स्कूल की छात्राओं के अनुसार उनके स्कूल में लाइब्रेरी तो है, पर उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाता है. इसके लिए कई बार उन्होंने क्लास टीचर को बताया लेकिन फिर भी कोई सुनवाई नहीं होती.
लाइब्रेरियन नहीं निभाते अपनी ड्यूटी : अशोक राजपथ स्थित बीएन कॉलेजिएट हाइ स्कूल में लाइब्रेरी और लाइब्रेरियन दोनों हैं, पर इसका उपयोग केवल लाइब्रेरियन तक ही सीमित है. क्योंकि न तो स्कूल के बच्चे लाइब्रेरी में क्लास करते हैं और न ही लाइब्रेरी में रखी पुस्तकों से पढ़ाई ही करते हैं. इसका कारण है लाइब्रेरी में रखीं पुरानी किताबें सिलेबस से संबंधी ज्ञान बढ़ाने के लिए उपयुक्त नहीं है. स्कूल प्रशासन की अनदेखी से स्कूल की लाइब्रेरी बस स्कूल की उपलब्धियों में ही शामिल है.
छात्राओं से ज्यादा, शिक्षकों के इस्तेमाल में : शास्त्रीनगर गर्ल्स हाइ स्कूल में छात्राओं के लिए बनी लाइब्रेरी का ज्यादातर इस्तेमाल स्कूल के शिक्षक ही करते हैं. इससे लड़कियां यदि अपने पीरियड में लाइब्रेरी पहुंच भी जाती हैं, तो उन्हें लाइब्रेरी में बैठ कर पढ़ने की जगह नहीं मिल पाती है. वे वापस क्लास रूम में आकर बैठ जाती हैं. इसके अलावा लाइब्रेरी में रखी किताबें इतनी पुरानी हो चुकी हैं कि बच्चों के सिलेबस से वे बाहर हो चुके हैं.
नहीं आया फंड, कैसे रखें नयी किताब : स्कूलों की मानें, तो वित्तीय वर्ष 2013-14 के बाद लाइब्रेरी के लिए कोई फंड नहीं मिला है. इससे लाइब्रेरी में दो साल पहले की पुरानी किताबें ही रखी हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से स्कूलों के लाइब्रेरी के लिए प्रतिवर्ष 25 हजार रुपये दिये जाते हैं. लेकिन स्कूलों को यह फंड पिछले दो वर्षों से नहीं मिला है.
ये बोले
विद्यालय में लाइब्रेरी का इस्तेमाल प्लस टू स्कूल की छात्राएं नहीं कर पा रही है. क्याेंकि मॉर्निंग क्लास होने के कारण उन्हें लाइब्रेरी क्लास का मौका नहीं मिल पा रहा है. लेकिन इसके लिए प्रयास किया जा रहा है कि वे सप्ताह में कम से कम एक दिन लाइब्रेरी क्लास कर सकें.
विजया कुमारी, प्राचार्या, बांकीपुर गर्ल्स हाइ स्कूल
विद्यालय में ऊपरी तल्ला पूरी तरह से विद्यार्थियों के लिए प्रतिबंधित हो गया है. निगरानी अाॅफिस और जिला शिक्षा कार्यालय चल रहे हैं. इसी तल्ले में लाइब्रेरी भी है. इस वजह से ज्यादातर समय इसे बंद रखना पड़ता है.
गायत्री सिंह, प्राचार्या, बीएन कॉलेजिएट
स्कूल द्वारा उपयोगिता प्रमाण-पत्र जमा नहीं कराने के कारण स्कूलों को लाइब्रेरी के लिए फंड नहीं मिल रहा है. इस संबंध में स्कूलों को निर्देश दिया गया है, ताकि लाइब्रेरी मद में स्कूलों को राशि मिल सके और बच्चों को नयी किताबें पढ़ने को मिल सके.
एम दास, डीइओ
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