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लोकतंत्र में कार्यपालिका का विशेष महत्व है : तेजस्वी

पटना. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने दिल की बात श्रृंखला में रविवार को अपने साढ़े सात महीने के कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक अनुभवों को साझा किया. उन्होंने कहा कि 20 नवंबर, 2015 को जब मैंने बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला तब शुरू-शुरू में अधिकारियों को लेकर मेरे मन मे कौतूहल था […]

पटना. उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने दिल की बात श्रृंखला में रविवार को अपने साढ़े सात महीने के कार्यकाल के दौरान प्रशासनिक अनुभवों को साझा किया. उन्होंने कहा कि 20 नवंबर, 2015 को जब मैंने बिहार के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला तब शुरू-शुरू में अधिकारियों को लेकर मेरे मन मे कौतूहल था .

वे कौन है, किस पृष्ठभूमि से आते हैं, कैसी सोच रखते होंगे, उनसे कितना सहयोग मिलेगा और जाने कौन-कौन से, कैसे-कैसे सवाल मेरी जिज्ञासा को जगाये हुआ था. लोकतंत्र में कार्यपालिका का अपना ही विशेष महत्व है. भले ही कार्यपालिका के सदस्य लोक अथवा जनता से सीधे तौर पर नहीं चुने जाते हैं, इसके बावजूद लोकतंत्र की सफलता का बड़ा दारोमदार उनके कंधों पर होता है. सबसे अधिक जनता के करीब कार्यपालिका ही होती है.

तेजस्वी ने कहा कि बिहार इस मामले में सौभाग्यशाली है कि बिहार के ईमानदार, कर्मठ, सजग, तत्पर और प्रभावशाली अफसर देश में अपनी प्रतिभा का डंका बजाये हुए हैं. विधायिका सीधे तौर पर जनता के प्रति जवाबदेह होती है. जनता की नजरों में अगर वे खरे नहीं उतरते है तो जनता उन्हें नकार भी देती है. प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अगर अच्छा काम करते हैं तो उसका सीधा असर जनता के जीवन और जनप्रतिनिधि के भविष्य पर पड़ता है. बिहार की जनता आज चौतरफा विकास को देख रही है, अनुभव कर रही है तो इसका श्रेय जनप्रतिनिधियों और सरकार के साथ अधिकारियों को भी जाता है.

उनकी कार्यशैली और काम करने का सामर्थ्य अद्भुत है . यह देखकर सुखद लगता है कि प्रशासनिक अधिकारी बिहार की जनता के जीवन को सहज और सुविधाजनक बनाने में व्यवस्थापिका के साथ पूर्ण सहयोग कर रहे है . अक्सर इनपर अफसरशाही का आरोप लगता है, पर मैंने नजदीक से देखा है वे खुद अपने कार्यक्षेत्र की सीमा में रहकर जनता का हर काम सुलभ और सुगम बनाने का प्रयत्न कर रहे हैं .

कई अफसर लीक से हटकर अपने विभाग से संबंधित जनता की समस्याओं का निपटारा कर रहे हैं. और तो और वे अपनी ओर से दो कदम आगे बढ़कर ऐसा काम तब करते है जब उनपर ऐसा करने का ना कोई दबाव होता है और ना ही चुनाव में जनता द्वारा नकारे जाने का कोई डर. जिनपर काम का बोझ होता है, उससे यह स्वाभाविक है कि किसी काम में कोई देर हो जाये या कमी रह जाये. पर मुझे पूर्ण विश्वास है कि बिहार के पदाधिकारी अपने कर्तव्य का पालन करने का भरसक प्रयास करते हैं. बिहार के प्रशासनिक अधिकारियों ने समय-समय पर अपनी कार्यकुशलता, कर्मठता और समर्पण को साबित किया है .

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