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केंद्र ने लटकायी बिहार की नदी जोड़ परियोजना

केंद्रीय जल आयोग की बैठक में जल संसाधन मंत्री ने जतायी नाराजगी नदी जोड़ योजना से बिहार में सुखाड़ व बाढ़ की समस्या का होगा निदान : ललन सिंह पटना : बूढ़ी गंडक-नोन बाया गंगा लिंक योजना तथा कोसी-महानंदा (मेची) लिंक योजना का काम दो वर्षों से केंद्र द्वारा लटकाये जाने पर जल संसाधन मंत्री […]

केंद्रीय जल आयोग की बैठक में जल संसाधन मंत्री ने जतायी नाराजगी
नदी जोड़ योजना से बिहार में सुखाड़ व बाढ़ की समस्या का होगा निदान : ललन सिंह
पटना : बूढ़ी गंडक-नोन बाया गंगा लिंक योजना तथा कोसी-महानंदा (मेची) लिंक योजना का काम दो वर्षों से केंद्र द्वारा लटकाये जाने पर जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने केंद्रीय जल आयोग के प्रति गहरी नाराजगी जतायी है. बुधवार को दिल्ली में विकास अभिकरण और केंद्रीय जल आयोग की पांचवी विशेष बैठक में उन्होंने दोनों योजनाओं को वक्त पर पूरा कराने का मांग की. उन्होंने कहा कि अभिकरण ने गठन के समय से ही बिहार के अंदर की इंटर स्टेट नदियों
को जोड़ने की योजना के तहत दो योजनाओं क्रमश: बूढ़ी गंडक-नोन बाया गंगा लिंक योजना तथा कोसी-महानन्दा (मेची) लिंक का डीपीआर तैयार कर केन्द्रीय जल आयोग को 2014 में ही समर्पित कर दिया गया था, किंतु आज तक योजनाओं को मूर्त रुप देने में आयोग सफल नहीं हो सका.
राज्य के सिंचाई मंत्री ने राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्वारा सूबे की सात नदी जोड़ योजनाओं के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाये जाने पर भी नाराजगी जतायी. बैठक में उन्होंने इन योजनाओं पर कालबद्ध कार्यक्रम के तहत बिहार सरकार के पदाधिकारियों से समन्वय स्थापित कर पुनर्विचार करने की जरुरत बतायी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण द्नदियों को जोड़ने की योजना का मुख्य उदेश्य सुखाड़ और बाढ़ की समस्या का निदान का जो प्रस्ताव किया गया है, उसमें भी स्पष्ट कहा गया है कि भविष्य में किसी
भी योजना का विस्तृत योजना प्रतिवेदन तैयार करने का कार्य परामर्श सेवा के तहत किया जायेगा. बैठक में उन्होंने एेसे राज्यों के लिए इस प्रस्ताव को शिथिल करने की मांग की, जहां नदियों को जोड़ने की योजना का मुख्य उदेश्य सुखाड़ और बाढ़ की समस्या का निदान करना है. विडंबना यह है कि हम अपने राज्य में बाढ़ की विपदा और सुखाड़ की त्रासदी साथ-साथ झेलते रहते हैं. उत्तर में नेपाल से आने वाली नदियों की बाढ़ से पूरा उत्तर बिहार बिहार प्रभावित होता है. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाले बिहार में बेहतर जल प्रबंधन द्वारा सिंचाई क्षमता में वृद्धि और बाढ़ प्रबंधन के द्वारा ही एक संपन्न और समृद्ध बिहार का निर्माण संभव है.
बैठक में उन्होंने साफ कर दिया कि योजनाओं के प्रतिवेदन तैयार करने में बिहार सरकार के अधिकारियों की प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप में कोई भी सहभगिता नहीं रही है. केन्द्रीय जल आयोग की आपत्तियों का निराकरण भी एनडब्लूडीए के अधिकारियों के द्वारा ही किया जाना चाहिए. बैठक में उन्होंने यह भी शिकायत की कि एनडब्लूडीए का पटना कार्यालय का कार्यबल सुदृढ़ नहीं है.
मार्च, 2011 से ही एनडब्लूडीए का अंचल कार्यालय पटना में कार्यरत है, किन्तु कार्यालय को निर्धारित तकनीकी पदाधिकारियों के पदस्थापन के अभाव में अंचल कार्यालय
खुल जाने के बावजूद इसकी पूरी उपयोगिता नहीं हो पा रही है. राज्य सरकार अपनी ओर से एनडब्लूडीए को इस कार्य
हेतु हर संभव सहयोग करने के लिए कटिबद्ध है. उन्होंने आयोग से एनडब्लूडीए, पटना कार्यालय का उन्नयन मुख्य अभियन्ता स्तर के कार्यालय के रुप में करने तथा और अधिक प्रमंडलों का सृजन करने की मांग की, ताकि नदी जोड़ की राज्य की अन्य सात योजनाओं पर अविलम्ब कार्य शुरु कर विस्तृत योजना प्रतिवेदन तैयार कराया जा सके.
बिहार की किन-किन नदी जोड़ योजनाओं पर राष्ट्रीय जल विकास अभिकरण ने की है आपत्ति
॰ कोसी बागमती-अधवारा लिंक तथा बागमति नदी पर कटौंझा पर द्वितीय बराज के निर्माण पर
॰ बक्सर में पंप नहर योजना द्वारा गंगा नदी के जल को दक्षिण बिहार को ओर मोड़ने पर
॰ बढ़ुआ-चंदन बेसिन वकास योजना
॰ बाढ़ नहर सिंचाई प्रक्षेत्र का कोहरा-चंद्रावत लिंक
॰ बाढ़ नहर सिंचाई प्रक्षेत्र का बागमती-बूढ़ी लिंक
॰ कोसी-गंगा लिंक
(नोट: खबर दोबारा पढ़ी गयी है)

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