पटना : वीआर एजुकेशनल ट्रस्ट के प्रमुख व वीआर कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ अमित कुमार उर्फ बच्चा राय की चल-अचल संपत्ति की जांच पुलिस ने शुरू कर दी है. एजुकेशनल ट्रस्ट और बच्चा के पर्सनल बैंक एकाउंट को पुलिस ने फ्रीज कर दिया है. इन बैंक एकाउंट की संख्या करीब 24 है और इसमें राशि भी बड़ी है.
हालांकि, राशि का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन पुलिस ने एकाउंट के लेन-देन पर रोक लगा दी है. अनुसंधान जारी है. दूसरी ओर गंगा देवी महिला कॉलेज, पटनाके क्लर्क देव नारायण सिंह को एसआइटी ने हिरासत में लिया है. एसआइटी ने उसे घर से उठाया है. देव नारायण सिंह को संदीप और अजीत के निशानदेही पर उठाया गया है. देव नारायण को कॉलेज की प्राचार्य व लालकेश्वर की पत्नी उषा सिन्हा का करीबी बताया जा रहा है. रिजल्ट घोटाले में उषा सिन्हा के साथ उसकी भूमिका होने का शक है. पुलिस उससे पूछताछ में उषा सिन्हा की संलिप्तता और घोटाले के पूरे खेल को कुरेद रही है.
इओयू व आयकर की मदद : पुलिस बच्चा राय के बैंक खाते फ्रीज कर यह देख रही है कि परीक्षा की प्रक्रिया से एक माह पहले, परीक्षा के दौरान और परीक्षा के बाद रिजल्ट से पहले बच्चा के बैंक एकाउंट में कितने रुपये डाले आैर निकाले गये हैं. कुल राशि कितनी है, पैसे एक नंबर के हैं या दो नंबर के, इस पर जांच जारी है. इसमें आर्थिक अपराध शाखा और इनकम टैक्स की मदद ली जा रही है.
वैशाली में दिन भर की छापेामरी : बच्चा राय के कुछ खास लोगों की तलाश पुलिस ने तेज कर दिया है. इसके लिए सोमवार को वैशाली में कई स्थानों पर छापेमारी की गयी है. स्कूल के क्लर्क, चपरासी समेत कुछ अन्य लोगों की तलाश जारी है. पुलिस की टीम देर रात तक वहां छापेमारी की. जिन लोगों का कनेक्शन रिजल्ट घोटाले से जुड़ हुआ है, वह पुलिस के टारगेट पर हैं.
जिन छात्रों से लिया गया है पैसा, वह दे सकते हैं पुलिस को बयान : जिन छात्रों से परीक्षा पास कराने, ज्यादा नंबर दिलवाने के नाम पर पैसा लिया गया है, उन्हें पटना पुलिस ने बयान के लिए आने की अपील की है. ऐसे छात्र पुलिस के सामने आये, तो उनके बयान को गंभीरता से लेकर आरोपितों से पहले पूछताछ होगी और फिर दोषी पाये जाने पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
इधर एफआइआर में अप्राथमिक अभियुक्त के रूप में पूर्व विधायक व लालकेश्वर की पत्नी उषा सिन्हा का नाम जुड़ जाने के बाद पुलिस उनकी और उनके खास लोगों की तलाश कर रही है.
सोमवार को इसके लिए रामकृष्ण नगर, पटना सिटी इलाके में पुलिस ने छापेमारी की है. हालांकि, उषा सिन्हा अपने कॉलेज में अवकाश पर चल रही हैं, लेकिन वह अब तक पुलिस के सामने नहीं आयी हैं. पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के बजाय उनके लोगों को उठाने में जुटी है. पुलिस पहले करीबियों के जरिये सबूत जुटाने में लगी है. करीबियों के बयान, दस्तावेज, गवाह, मोबाइल फोन के कॉल डिटेल, बैंक एकाउंट में मौजूद राशि सब पुलिस के जांच के दायरे में है.
विकास चंद्रा भी हुआ अंडरग्राउंड, पुलिस लगातार दे रही दस्तक
रिजल्ट घोटाला मामले में लालकेश्वर के बड़े बेटे का साला विकास चंद्रा अंडरग्रांउड हो गया है. एसआइटी उसकी तलाश कर रही है. उसके घर अलकापुरी में लगातार दबिश दी जा रही है, पर पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा है.
उसका मोबाइल नंबर सर्विलांस पर है. लेकिन, कोई लिंक नहीं मिला है. पुलिस की एक टीम कोलकाता भी गयी है. विकास के अलावा और भी लोग हैं जो लालकेश्वर के करीबी हैं, उनकी खोज हो रही है. जबकि पुलिस लालकेश्वर, उषा सिन्हा और बच्चा राय इन सबके खास लोगों पर पुलिस की नजर है.
पुलिस की अपील, जिन छात्रों से लिये गये पैसे, वे बयान दें
लालकेश्वर के करीबी हिलसा के पूर्व प्रमुख गिरफ्तार
हिलसा (नालंदा) : टॉपर घोटाले में एसआइटी की टीम ने सोमवार को स्थानीय बिहारी रोड से हिलसा के पूर्व प्रमुख अनिल कुमार और उनके पुत्र शिवलोक कुमार को गिरफ्तार कर लिया. हिलसा की पूर्व विधायक प्रो उषा सिन्हा और उनके पति डॉ लालकेश्वर प्रसाद इसी विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं.
डॉ लालकेश्वर प्रसाद करायपरशुराय थाना (वर्तमान में चिकसौरा थाना) के निरिया गांव के निवासी है, जबकि प्रो उषा सिन्हा का मायके भी इसी थाना क्षेत्र के सांध गांव में है. बोर्ड अध्यक्ष का पदभार ग्रहण के बाद डॉ लालकेश्वर प्रसाद ने अपने चहेते हिलसा के पूर्व प्रमुख अनिल कुमार को बोर्ड कार्यालय में प्रतिनियोजित करवा दिया था. उस समय अनिल कुमार मुंगेर जिले के एक हाइस्कूल में नियोजित शिक्षक के रूप में पदस्थापित थे.
बताया जाता है कि प्रतिनियोजन के बाद श्री कुमार बोर्ड के अध्यक्ष कार्यालय में बैठ कर चल रहे गोरखधंधे संलिप्त था. वह इंटर परीक्षा के दौरान फेल छात्रों को पास कराने, स्क्रूटनी में अच्छा अंक दिलवाने, कॉलेजों को प्रस्वीकृति प्रदान कराने, कमेटी का गठन करने, अनुदान दिलवाने समेत कई प्रकार के अवैध कारोबार में शामिल था. बताया जाता है कि इस गिरफ्तारी के बाद श्री कुमार से कड़ी पूछताछ की जायेगी. पूछताछ के दौरान इस घोटाले से जुड़े अन्य कई सफेदपोशों के बेनकाब होने की संभावना है.
लालकेश्वर का कारनामा, छह माह में दे दी 200 स्कूल-कॉलेजों को मान्यता
पटना : बिहार बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने पिछले छह महीने में कुल दो सौ स्कूल-कॉलेज को संबंद्धता दे दी. लेकिन, संबंद्धता देने से पहले न ही जांच की गयी और न ही स्कूल-कॉलेज का स्पॉट विजिट करवाया गया.
बस पैसे लेकर सभी को संबंद्धता दे दी गयी. संबंद्धता के लिए स्कूल-कॉलेजों को पहले आवेदन देना होता है. इसके बाद बोर्ड की ओर से उसकी जांच होती है. जांच के लिए छह महीने का समय दिया जाता है. इसके बाद ही किसी स्कूल और कॉलेज को संबंद्धता दी जाती है. बोर्ड सूत्रों की मानें, तो लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने 26 जुलाई, 2014 को अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाला था. जुलाई, 2014 से अक्तूबर 2015 तक सिर्फ 10 स्कूल-कॉलेज को ही संबंद्धता गयी. लेकिन, अक्तूबर, 2015 से मार्च, 2016 के बीच हर 10 दिनों पर संबंद्धता की बैठक की जाती थी. इस दौरान 200 स्कूल-कॉलेज को मान्यता दे दी गयी.
200 स्कूल और कॉलेज ने किया था आवेदन : 2015 सत्र की मान्यता के लिए प्रदेश भर से दो सौ स्कूल और कॉलेज ने समिति के पास संबंद्धता के लिए आवेदन दिया था. आवेदन साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स तीनों ही संकायों के लिए दिया गया था. इन स्कूल और कॉलेजों ने आवेदन, 2015 अक्तूबर में दिया.
इन स्कूल और काॅलेजों की जांच भी बोर्ड ने नहीं करवायी गयी और सभी को मार्च, 2016 तक कई बैठकों में दे दिया गया.
आवेदन के साथ देना होता है 75 हजार से डेढ़ लाख तक फी : संबंद्धता लेन के लिए आवेदन के साथ स्कूल और कॉलेज को फी भी देना होती है. समिति की मानें, तो आवेदन के लिए स्कूल और कॉलेज को फी भी अदा करनी पड़ती है. पांच सौ तक के नामांकन के लिए 75 हजार, पांच सौ से 750 सौ तक के नामांकन के लिए एक लाख और 750 सौ से अधिक नामांकन के लिए एक लाख 50 हजार रुपये आवेदन के समय देना पड़ता है.
तीन स्तरों पर होती है संबंद्धता की जांच : संबंद्धता के लिए तीन स्तरों पर जांच कराने का प्रावधान है.पहला, स्तर डीइओ द्वारा होता है. दूसरा स्तर प्राइवेट एजेंसी करती है. तीसरा स्तर पर कॉलेज और स्कूल के आवेदन की जांच बोर्ड अपने स्तर पर करता है. इन तीनों ही स्तर पर जांच करने में छह महीने के ऊपर लग जाते हैं. बोर्ड सूत्रों की मानें, तो जिन दो सौ स्कूल और कॉलेज को संबंद्धता दी गयी, उसके लिए जांच प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.
लालकेश्वर प्रसाद के आदेश पर डीइओ के फर्जी हस्ताक्षर करवा कर जांच प्रक्रिया पूरा कर दी गयी. वहीं, एजेंसी जांच नहीं करवायी गयी.
बोर्ड के अध्यक्ष अानंद किशोर ने बताया कि जिस भी स्कूल और कॉलेज को मान्यता बिहार बोर्ड से से दी गयी है. उन तमाम स्कूल कॉलेजों की हम जांच करेंगे. जो भी मान्यता की शर्तों को पूरा नहीं कर रहे होंगे, उन स्कूल और कॉलेजों की मान्यता को समाप्त कर दिया जायेगा.
पूर्व विधायक उषा सिन्हा की डिग्री पर उठे सवाल
पटना : लालकेश्वर प्रसाद िसंह की पत्नी और पूर्व जदयू विधायक उषा सिन्हा की डिग्री पर भी सवाल खड़े हो गये हैं. उषा सिन्हा नालंदा जिले के हिलसा विधानसभा क्षेत्र से 2010 में विधायक निर्वाचित हुई थी. उस समय उन्होंने जो शपथ पत्र दायर किया था, उसके मुताबिक 2010 में उनकी उम्र 49 वर्ष थी.
उन्होंने शपथ पत्र में बताया है कि 1969 में यूपी बोर्ड से मैट्रिक पास किया. इसके मुताबिक उषा सिन्हा का जन्म 1961 में हुआ और वह आठ साल बाद यूपी बोर्ड से 1969 में मैट्रिक पास कर गयी. इसी प्रकार 1971 में उन्होंने इंटर परीक्षा पास की. शपथ पत्र के मुताबिक, दो साल बाद 1973 में गोरखपुर से स्नातक और इसके अगले साल 1974 में इसी विवि से बीएड की परीक्षा पास की. उषा सिन्हा 1976 में अवध विवि से दो पोस्ट ग्रेजुएट की परीक्षा पास की, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट का पाठयक्रम दो साल का होता है और अवध विवि की स्थापना 1975 में हुआ है. हाल के दिनों जब मगध विवि के प्राचार्यों की नियुक्ति का घोटाला सामने आया था, उस समय भी उषा सिन्हा की पीएचडी डिग्री पर सवाल उठे थे. शपथ पत्र के मुताबिक उषा सिन्हा ने 1984 में मगध विवि बोधगया से पीएचडी की डिग्री हासिल की है.