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पांच हाइस्कूल बनेंगे मॉडल

कवायद. लागू होगा शिक्षा का अधिकार, मिलेगी बेहतर शिक्षा आधारभूत सरंचना और शिक्षकों की संख्या को देखते हुए चयन किया गया है. पटना : सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अब जिले के पांच हाइस्कूलों को मॉडल स्कूल बनाया जायेगा. ये मॉडल स्कूल सभी सुविधाओं से लैस होंगे. यहां बच्चों को बेहतर शिक्षा […]

कवायद. लागू होगा शिक्षा का अधिकार, मिलेगी बेहतर शिक्षा
आधारभूत सरंचना और शिक्षकों की संख्या को देखते हुए चयन किया गया है.
पटना : सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से अब जिले के पांच हाइस्कूलों को मॉडल स्कूल बनाया जायेगा. ये मॉडल स्कूल सभी सुविधाओं से लैस होंगे. यहां बच्चों को बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए तमाम तरह की सुविधाएं उपलब्ध करायी जायेंगी. कमला नेहरू विद्यालय गर्दनीबाग, रवींद्र बालिका, राजेंद्रनगर, शास्त्री नगर गर्ल्स हाइ स्कूल, राजकीय बालक उच्च विद्यालय, शास्त्री नगर व गर्ल्स हाइ स्कूल बांकीपुर का चयन मॉडल स्कूल के लिए किया गया है. आधारभूत सरंचना और शिक्षकों की संख्या को देखते हुए इन स्कूलों का चयन किया गया है.
मॉडल स्कूल में शिक्षा के अधिकार कानून का पूरी तरह पालन होगा. इसके लिए जिला शिक्षा पदाधिकारी गाइडलाइन तैयार कर रहे हैं. बच्चों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की व्यवस्था होगी. खेलकूद के मैदान, कॉमन रूम , छात्रावास, कंप्यूटर क्लास, लाइब्रेरी, कैंटीन व साइकिल पार्किंग आदि की भी सुविधा मुहैया करायी जायेगी. इसके अलावा शिक्षकों- अभिभावकों की प्रतिमाह बैठक भी होगी, ताकि बच्चों का प्रतिमाह एसेसमेंट हो सके.
मॉडल मध्य विद्यालयों के लिए मांगी गयी सूची : जिले के पांच मध्य विद्यालयों को भी मॉडल स्कूल बनाया जाना है. इसके लिए बीइओ से विद्यालयों की सूची मांगी गयी है. विद्यालयों में आधारभूत सरंचना युक्त स्कूलों को ही मॉडल स्कूल बनाया जाना है.
इसके अलावा विद्यालय में नामांकित बच्चों की उपस्थिति आदि भी चयन का आधार होगा.
इन स्कूलों में हैं पर्याप्त शिक्षक : कमला नेहरू हाइ स्कूल, गर्दनीबाग में हाइ और प्लस टू शिक्षकों की कुल संख्या 23 है. स्कूल का अपना भवन है. रवींद्र बालिका में 14 शिक्षक हैं. शास्त्रीगनर गर्ल्स हाइ स्कूल में 34, ब्यॉज हाइ स्कूल में 25 और बांकीपुर गर्ल्स हाइ स्कूल में कुल 46 शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं. इसके अलावा जिन विषयों के शिक्षकों की कमी होगी, उसमें नियुक्ति की जायेगी.
अधिकारी बोले
पांच विद्यालय काे मॉडल स्कूल बनाना है. इसके लिए विद्यालय का चयन हुआ है. इसके संचालन के लिए गाइडलाइन तैयार किया जा रहा है.
एमदास, डीइओ, पटना
पटना : पंचायत स्तर पर बच्चों को हाइस्कूल की शिक्षा मिले, इसके लिए हर पंचायत में हाइस्कूल की स्थापना होनी थी. लेकिन, घोषणा के तीन साल बाद भी 140 पंचायतों में हाइस्कूल की स्थापना नहीं हो सकी है. इन पंचायतों में स्कूल के लिए अब तक जमीन नहीं मिल पायी है. वर्ष 2013 में मुख्यमंत्री ने प्रत्येक पंचायत में हाइस्कूल खोलने का निर्देश दिया था.
सूत्रों की मानें तो पटना जिले की 327 पंचायतों में से मात्र 187 पंचायतों में ही हाइस्कूल बन पाया है. ऐसे में हाइस्कूल विहीन 140 पंचायतों के बच्चों को हाइस्कूल की पढ़ाई के लिए दूसरे पंचायत या फिर प्रखंड मुख्यालय में जाना पड़ता है. सूत्रों की मानें तो इन 140 में से 124 ऐसी पंचायतें तो ऐसी हैं, जहां स्कूल के लिए जमीन उपलब्ध ही नहीं हो सकी है. वहीं 16 पंचायतों में जमीन है, पर एनओसी नहीं मिल पाया है. हाइस्कूल का निर्माण एक एकड़ जमीन में किया जाना है.
यहां एनअोसी मिले, तो बात बने
दुल्हिन बाजार की काब पंचायत, दनियावां की बांकीपुर मछरियावां, संपतचक की कनौजी कछुअारा, पुनपुन की परथु पंचायत, पंडारक की बरौनी बोठाई, कुशलचक, पारसमान, रैली, दोभवां, पूर्वी पंडारक व लेमुआबाद, बिहटा की बेला, मसौढ़ी की भदौरा, बाढ़ की सहरी, खुसरूपुर की सुकरबेगचक तथा धनरूआ की विजयापुर पंचायत में मध्य विद्यालयों में जमीन उपलब्ध हुई है, लेकिन इन्हें एनओसी का इंतजार है. इन मध्य विद्यालयों में 20 एकड़ से लेकर 100 डिसमिल तक ही जमीन मिल पायी है. ऐसे में एनओसी का मामला फंसा हुआ है.
नहीं तैयार हैं ग्रामीण
जमीन की बढ़ती कीमत को देखते हुए ग्रामीण इलाके के लोग अब स्कूल के लिए भूमि दान नहीं देना चाहते हैं. साथ ही सरकार की ओर से जमीन दान देनेवाले लोगों के नाम से विद्यालय का नाम नहीं रखना भी एक बड़ी बाधा बनती जा रही है.
यदि कोई व्यक्ति विद्यालय के नाम पर जमीन दान देते हैं, तो विद्यालय के सूचना पट में बस जमीन मालिक का नाम दर्ज किया जाता है. ऐसे में लोगों को मानना है कि जब उनके या परिजन के नाम से स्कूल होगा ही नहीं, तो जमीन दान में देने से क्या फायदा है.

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