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अगले दो साल में सर्जरी नहीं, दवा से ही होगा पेट के अधिकतर रोगों का इलाज

आयोजन. इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी की 24वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस एम्स दिल्ली और चंडीगढ़ में पेट की बीमारियों पर शोध कार्य चल रहा है. पटना : आनेवाले दो सालों में पेट की अधिकांश बीमारियों के इलाज के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. दवा के जरिये ही उपचार संभव हो सकेगा. यह बात कोलकाता से आये […]

आयोजन. इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी की 24वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस
एम्स दिल्ली और चंडीगढ़ में पेट की बीमारियों पर शोध कार्य चल रहा है.
पटना : आनेवाले दो सालों में पेट की अधिकांश बीमारियों के इलाज के लिए ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. दवा के जरिये ही उपचार संभव हो सकेगा. यह बात कोलकाता से आये डॉ संजय मंडल ने कही.
उन्होंने बताया कि इसके लिए ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट दिल्ली व चंडीगढ़ में शोध चल रहा है. इसमें डॉक्टरों ने 80 प्रतिशत तक सफलता पा ली है. डॉ संजय शनिवार को इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी बिहार व झारखंड की ओर से आयोजित 24 वीं दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे. कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन चीफ गेस्ट आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास, डॉ वीके अग्रवाल व डॉ मनीष मंडल ने किया. इस दो दिवसीय सेमिनार में बिहार के अलावा अलग-अलग राज्यों से गैस्ट्रोलॉजी के डॉक्टर शिरकत कर रहे हैं.
सिगरेट-बीड़ी से बढ़ा आंत के कैंसर का खतरा : इलाहाबाद से आये डॉ एसपी मिश्रा ने कहा कि इन दिनों युवा आंत के कैंसर से अधिक पीड़ित हो रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण बीड़ी व सिगरेट है. इससे 25 से 40 साल की उम्र के लोग छोटी व बड़ी दोनों आंतों के कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी हाल ही में साउथ के कोल्लम जिले के कुरुनागापल्ली में वर्ष 2009-15 के बीच 30 से 40 वर्ष की आयु के करीब 65 हजार लोगों पर अध्ययन किया गया है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग सिगरेट व बीड़ी पीते है, उनमें आंत के कैंसर का खतरा ज्यादा रहता है.
कार्यक्रम में हैदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी से सर्जरी का लाइव वीडियो प्रसारित किया गया. वीडियो के माध्यम से इआरसीपी, इंडोस्कोपी और लेप्रोस्कोपी विधि से सर्जरी के बारे में बताया गया. इसमें हैदराबाद के गैस्ट्रो के बड़े डॉक्टरों ने सर्जरी के माध्यम से आंत के कैंसर, पैंक्रियाज व पीत की थैली के ऑपरेशन के बारे में बताया. इसके अलावा माइक्रो सर्जरी से जहर से पीड़ित लोगों की सर्जरी कैसे की जाती है और कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए इसके बारे में दिखाया गया.
सभी जिला अस्पतालों में हो मशीन
आइजीआइएमएस व कॉन्फ्रेंस सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ मनीष मंडल ने बताया कि पटना के आइजीआइएमएस व पीएमसीएच में इआरसीपी मशीन तो है, लेकिन जिला अस्पतालों में नहीं है. यही वजह है कि पेट की कई बीमारियों का ऑपरेशन नहीं हो पाता है. समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से मरीजों की मौत भी हो जाती है. सभी जिला अस्पतालों में इआरसीपी व माइक्रो सर्जरी मशीन की सुविधा होनी चाहिए.
अस्पतालों में बढ़ रहे एसिड पीनेवाले मरीज
अस्पतालों में एसिड यानी जहर पीने वाले मरीजों की संख्या अधिक देखने को मिल रही है. कोलकाता में रोजाना 20 ऐसे मामले आते हैं. उन्होंने बताया कि इन मरीजों के परिजन, दोस्त उल्टी कराने का प्रयास करते हैं.
इससे प्रेशर अधिक बढ़ जाता है और ब्लड की उल्टी होने लगती है. ऐसे में जान जाने की संभावना अधिक हो जाती है. उन्होंने कहा कि एसिड पीनेवाले मरीजों को सीधे अस्पताल लेकर आना चाहिए, ताकि उनकी जान बच सके. डॉ संजय ने बताया कि एसिड पीनेवाले मरीजों का इंडोस्कोपी व लेप्रोस्कोपी के माध्यम से ऑपरेशन किया जाता है.

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