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नीतीश को भाजपा का साथ नहीं : मोदी

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि अब नीतीश कुमार लाख नाक रगड़ लें, लेकिन न उन्हें भाजपा का साथ मिलेगा, न पुराने दिन लौटने वाले हैं. उन्हेांने कहा कि नीतीश कुमार जब 10 साल से राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री बने हुए हैं, तब स्पीडी ट्रायल में सुस्ती और शस्त्र […]

पटना : पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि अब नीतीश कुमार लाख नाक रगड़ लें, लेकिन न उन्हें भाजपा का साथ मिलेगा, न पुराने दिन लौटने वाले हैं. उन्हेांने कहा कि नीतीश कुमार जब 10 साल से राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री बने हुए हैं, तब स्पीडी ट्रायल में सुस्ती और शस्त्र कानून के तहत सजा का ग्राफ गिरने पर उन्हें खुद जवाब देना चाहिए.
उन्हें पुलिस महानिदेशक से जवाब मांगने की बजाय इसकी जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए. माेदी ने कहा कि सत्तारूढ़ गंठबंधन के विधायक बलात्कार, अपहरण, छेड़खानी और हत्या की धमकी जैसे मामलों में घिरे हैं. उन्हें थाने से ही छोड़ दिया जाता है. जब शहाबुद्दीन को लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह देती है और नीतीश सरकार के मंत्री इस बाहुबली नेता से मिलने जेल पहुंच जाते हैं, तब पुलिस से कानून का राज का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जवाब देना चाहिए. मुख्यमंत्री ने लालू प्रसाद का साथ लेकर पुलिस का मनोबल तोड़ दिया है.
इस पर डीजीपी क्या जवाब देंगे ? चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद और कई घोटालों में आकंठ डूबी कांग्रेस से मिल कर सरकार चलाने वाले नीतीश कुमार हेलीकाॅप्टर सौदा दलाली में सोनिया गांधी के पक्ष में बोल कर केवल ड्यूटी बजा रहे हैं. वे आर्थिक अपराधियों और देशद्रोहियों तक के समर्थन से पीएम बनने को बेताब हैं. दूसरी तरफ एक सर्वे में 70 फीसद लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भरोसा कर नीतीश कुमार को आईना दिखा दिया है.
किसानों के साथ धोखा
पटना : वरिष्ठ भाजपा नेता सह लोक लेखा समिति के सभापति नंदकिशोर यादव ने कहा कि राज्य सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है. एक तरफ तो हजारों किसानों को अब तक धान का मूल्य नहीं मिल पाया है, तो दूसरी तरफ पैक्सों और व्यापार मंडलों में गेहूं की बिक्री करने जा रहे किसान खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.
राज्य स्तर पर गेहूं की खरीद का लक्ष्य तो निर्धारित कर दिया गया है, पर कई बिक्री केंद्रों को अब तक कोई आदेश दिया ही नहीं गया. इस वजह से किसान खरीद केंद्रों तक गेहूं ले तो जा रहे हैं, पर उन्हें बिना बेचे वापस लौटना पड़ रहा है.
धान के मूल्य के लिए भी किसान बार–बार पैक्सों और व्यापार मंडलों का चक्कर लगाने को विवश हैं. सरकार के स्तर पर समस्या के समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये जाने के कारण किसानों में निराशा के भाव व्याप्त हो रहे हैं.

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