पटना: राज्य सरकार ने पूर्व आइपीएस अधिकारी और अरवल के तत्कालीन एसपी गंधेश्वर प्रसाद सिन्हा के खिलाफ निगरानी अन्वेषण ब्यूरो से जांच कराने का फैसला लिया है. उन पर लोकसभा चुनाव के दौरान अरवल में टेंट लगाने के नाम पर 55 लाख रुपये के गबन का आरोप है.
श्री सिन्हा राज्य अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो के डीआइजी के पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं. निगरानी के अधिकारियों ने सरकार से आदेश मिलने की पुष्टि की. बताया, जांच की प्रक्रिया जल्द शुरू की जायेगी. इसके लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया जायेगा. जांच में मामला प्रमाणित होने पर उन पर प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है.
टेंट कांट्रैक्टर के पक्ष में जारी किया था प्रमाणपत्र
गृह विभाग के आदेश के अनुसार, अरवल के तत्कालीन एसपी गंधेश्वर प्रसाद सिन्हा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में मेसर्स जमुरत लाल अब्दुल रसीद , पटना को बिना कार्यादेश के अरवल जिले के दो विधानसभा क्षेत्रों में केवल पुलिस व अर्धसैनिक बल से संबंधित निर्वाचन कार्यो के लिए लगभग 55 लाख 55 हजार 915 रुपये के टेंट लगाने के कार्य का सत्यापन प्रमाणपत्र जिला निर्वाचन शाखा को दे दिया, जिसके आधार पर उसके विपत्र 55 लाख रुपये का भुगतान किया गया.
इससे 55 लाख रुपये की क्षति सरकार को हुई है. यह मामला द बिहार पब्लिक वर्कस कांट्रैक्ट डिस्पुट ऑर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में लंबित है. सरकार ने श्री सिन्हा के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्णय लेते हुए इस पूरे मामले की जांच निगरानी से कराने का निर्णय लिया है. जांच के बाद दोषी पाये जाने पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी.