पटना: राजधानी में डेढ़ लाख होल्डिंग (लगभग 40 फीसदी) अब भी टैक्स दायरे से बाहर हैं. लाख अभियान चलाये जाने के बावजूद इन छूटी होल्डिंगों को टैक्स के दायरे में नहीं लाया जा सका है. इनमें कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी शामिल हैं. इनमें अधिकतर वैसे लोग हैं, जिन्होंने बिना नक्शा पास कराये नगर निगम क्षेत्र में मकान बनाया है.
मकान बनाने के बाद न तो अपने मकान का असेसमेंट करा रहे हैं और न ही नगर निगम को टैक्स दे रहे हैं. अब निगम टीम गठित कर इन भवनों को टैक्स के दायरे में लाने की तैयारी कर रहा है. इस टीम में कर संग्राहक के साथ एक अन्य कर्मी की भी प्रतिनियुक्ति की जा रही है. इसके अलावा निजी एजेंसी को वसूली में लगाने प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है. इसके लिए विभाग ने टेंडर निकाल एजेंसी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
मूलभूत सुविधाएं नहीं, तो टैक्स कैसा
इनमें से अधिकतर मकान वैसे क्षेत्र में बने हैं, जहां नगर निगम मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा सका है और उन इलाकों को नगर निगम क्षेत्र में शामिल कर लिया गया है. इनमें रूपसपुर, रूकनपुरा, निराला नगर, विजय नगर, रानीपुर, बेगमपुर, कसवा आदि क्षेत्र शामिल हैं. इसके अलावा शहर में हजारों ऐसे मकान भी हैं, जिन्हें समय के साथ काफी डेवलप कर लिया गया है, मगर टैक्स अब भी पुरानी दर पर जमा हो रहा है.
हर वर्ष हो रहा करोड़ों का नुकसान
नगर निगम के अधिकारियों की मानें, तो 1.5 लाख होल्डिंग को टैक्स के दायरे में नहीं लाये जाने से हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में 1,96,953 होल्डिंग चिह्न्ति हैं, जिनसे सलाना 22 से 23 करोड़ रुपये की वसूली टैक्स के रूप में की जा रही है. अगर इन डेढ़ लाख होल्डिंग को चिह्न्ति कर टैक्स के दायरे में लाया जाये, तो नगर निगम को सालाना 30-35 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी, क्योंकि होल्डिंग टैक्स की वसूली अब बढ़ी दर पर की जानी है. इससे निगम का आर्थिक संकट काफी हद तक कम जायेगा और कई काम हो सकेंगे.