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टाउन प्लानर ही नहीं तो कैसे सुधरेगा शहर

पटना: राजधानी पटना को सुंदर बनाने के लिए पहली बार मास्टर प्लान 1961 में बनाया था. यह मास्टर प्लान 1981 तक मान्य रहा. उस समय तक 40 साल पूर्व बने बिल्डिंग बायलॉज के आधार पर राजधानी में भवन निर्माण होता रहा. तब 10 लाख और एक लाख की आबादी पर आवासीय भूखंड का निर्धारण और […]

पटना: राजधानी पटना को सुंदर बनाने के लिए पहली बार मास्टर प्लान 1961 में बनाया था. यह मास्टर प्लान 1981 तक मान्य रहा. उस समय तक 40 साल पूर्व बने बिल्डिंग बायलॉज के आधार पर राजधानी में भवन निर्माण होता रहा. तब 10 लाख और एक लाख की आबादी पर आवासीय भूखंड का निर्धारण और भवनों के आकार-प्रकार का निर्धारण किया गया था.

1985 में दूसरा मास्टर प्लान आने के बाद इसमें कई परिवर्तन हुए. फिर तो भवनों के निर्माण में जो अराजकता शुरू हुई, वह अब तक जारी है. यह कहना है कि 1982 से 1994 तक राजधानी पटना के टाउन प्लानर रहे एसके सिन्हा का. टाउन प्लानिंग पर उन्होंने कहा कि जब टाउन प्लानर ही नहीं रहेगा, तो बेतरतीब शहर बसेगा ही.

ऐसे में तो नहीं बदलेगी सूरत
अपने कार्यकाल की चर्चा करते हुए एसके सिन्हा ने कहा कि तब टाउन प्लानर की अनुमति के बिना मकान बनाने को कोई सोच नहीं सकता था. वर्तमान में राज्य के जिला मुख्यालय से लेकर नगर निगम के क्षेत्र में जिस तरह से मकान बन रहे हैं, इससे भविष्य में और परेशानी बढ़ेगी. एसके सिन्हा ने कहा कि शहर को बचाने और सुंदर बनाये रखने के लिए उत्तर और दक्षिण बिहार के लिए एक-एक टाउन प्लानर के साथ-साथ इस विभाग को पुनर्जीवित करने का सुझाव दिया. अन्यथा बिल्डिंग बायलॉज बनाने मात्र से शहर की सूरत बदलने वाली नहीं है.

15 वर्षो से पद है खाली
एसके सिन्हा ने कहा कि पटना में 15 साल से कोई टाउन प्लानर नहीं है. इसका स्थान कंसल्टेंट ले लिया है. कंसल्टेंट के कारण ही अराजकता फैली है. अब तो नक्शा बनाने वाले नक्शा पास करते हैं. इससे किसी टाउन के हाल को समझा जा सकता है. पहले नगर निगम में टाउन प्लानिंग एक बड़ा विभाग होता था. आज यह विभाग है ही नहीं. प्लानिंग के तहत बनी पीसी कॉलोनी, कंकड़बाग, राजेंद्र नगर, एसके पुरी आदि में परेशानी कम है.

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