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सड़ा दीं 25 लाख रुपये की मशीनें

खुलासा : नगर निगम की इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट में सामने आयीं कई गड़बड़ियां प्रधान महालेखाकार कार्यालय की टीम ने ऑडिट के दौरान कई गड़बड़ियां पकड़ीं पटना : मच्छर के साथ ही नगर निगम की अफसरशाही भी जनता का खून चूस रही है. इसका खुलासा नगर निगम की इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. मच्छर के […]

खुलासा : नगर निगम की इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट में सामने आयीं कई गड़बड़ियां
प्रधान महालेखाकार कार्यालय की टीम ने ऑडिट के दौरान कई गड़बड़ियां पकड़ीं
पटना : मच्छर के साथ ही नगर निगम की अफसरशाही भी जनता का खून चूस रही है. इसका खुलासा नगर निगम की इंटरनल ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है. मच्छर के प्रकोप को दूर करने के लिए वर्ष 2013 में नगर निगम ने करीब 25 लाख रुपये की लागत से 59 फॉगिंग मशीनों की खरीदारी की थी.
अॉडिट में पता लगा है कि इसकी खरीद में अनियमितता बरती गयी. खराब गुणवत्ता की मशीन एक साल भी नहीं चल सकी. इन तमाम मशीनों को स्टोर में डाल दिया गया है. नगर निगम ने न तो इसकी खुद ही मरम्मत करायी और न ही बिक्री करने वाली एजेंसी की सेवा ली.
निगम कार्यालय में प्रधान महालेखाकार कार्यालय की टीम ने ऑडिट का काम किया है. ऑडिटर ने दर्जनों संचिकाओं में वित्तीय अनियमितता का खुलासा किया है
और इन पर नगर आयुक्त से जवाब मांगा है. ऑडिटर की आपत्तियों पर नगर आयुक्त जय सिंह ने निगम मुख्यालय से लेकर अंचल कार्यालय केसभी आलाधिकारियों से जवाब की मांग की है.
ग्रांट की राशि नहीं कर पाये खर्च
राज्य सरकार से वित्तीय वर्ष 2014-15 में दो करोड़, 49 लाख, 71 हजार रुपये मिले. लेकिन, निगम इसे खर्च नहीं कर पाया और इसे लौटाना पड़ा. इतना ही नहीं, 8.79 करोड़ रुपये की राशि सरकार से ग्रांट के रूप में मिली. इसे अब तक खर्च नहीं किया जा सका है. इस राशि को खर्च करने की जिम्मेवारी अपर नगर आयुक्त (योजना) और मुख्य नगर अभियंता की थी.
31 लाख की क्षति
नगर निगम के मुख्य नगर अभियंता की शाखा में भुगतान की संचिकाओं को लटका कर रखा गया है. इससे संचिका से संबंधित भुगतान विलंब से हुआ. ऐसे में निगम को 25.17 लाख रुपये अधिक सरचार्ज देना पड़ा. यह अतिरिक्त व्यय है, जो निगम राजस्व की क्षति है. वहीं, बस स्टैंड में चुग्गी कर वसूली के लिए कियोस्क नहीं लगने से निगम को 6.23 लाख रुपये की क्षति हुई है. इतना ही नहीं, बिहार राज्य पथ परिवहन निगम पर 78.61 लाख रुपये की राशि बकाया है. इसकी वसूली नहीं की गयी है.
कार्रवाई के बदले सिर्फ पत्राचार
निगम में प्रत्येक वित्तीय वर्ष में आंतरिक अंकेक्षण किया जाता है, जिसमें दर्जनों की संख्या में वित्तीय अनियमितताएं उजागर होती हैं. इन आपत्तियों पर विभागीय प्रधान सचिव से लेकर नगर आयुक्त तक संबंधित अधिकारियों से पत्राचार कर जवाब मांगते हैं, लेकिन जवाब नहीं मिलता है. पिछले ऑडिट रिपोर्ट की आपत्तियों का जवाब अब तक मांगा जा रहा है, लेकिन कार्रवाई नहीं की गयी है.
ऑडिट में जितनी भी आपत्तियां आयी हैं, उन आपत्तियों से संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा जा रहा है. निर्धारित समय सीमा में आपत्ति का जवाब नहीं मिलेगा, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
जय सिंह, नगर आयुक्त, नगर निगम
किसी भी मद में पूरी अनुदान राशि नहीं खर्च कर पाया निगम
पटना. नगर निगम को विकास मद में राज्य सरकार से अनुदान की राशि उपलब्ध करायी गयी, लेकिन निगम प्रशासन की अनदेखी के कारण किसी भी मद में शत प्रतिशत राशि खर्च नहीं की जा सकी है. सोमवार को नगर आयुक्त जय सिंह ने नगर आवास विकास विभाग के प्रधान सचिव को उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजा है.
नगर आयुक्त ने पत्र में स्वीकार किया है कि चतुर्थ राज्य वित्त आयोग से 47.49 प्रतिशत, 13वें वित्त आयोग से 87.95 प्रतिशत, 14वें वित्त आयोग से 34.45 प्रतिशत और राज्य योजना से 67.74 प्रतिशत राशि खर्च की गयी है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री स्वच्छता अनुदान से 52.20 प्रतिशत राशि ही खर्च की गयी है. खर्च का यह ब्योरा फरवरी 2016 तक का है.
ठोस कचरा प्रबंधन पर किया जा रहा है कार्य
नगर आयुक्त ने प्रधान सचिव को भेजे पत्र में कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन पर हाल के दिनों में बेहतर कार्य किया जा रहा है. हाल में सफाई उपकरणों की खरीदारी करने के साथ साथ डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को लेकर टेंडर निकाल दिया गया है. साथ ही बुडको के माध्यम से बैरिया में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित करने की प्रक्रिया पूरी की जा रही है.
वहीं मुख्यमंत्री जनता दरबार से 2225 शिकायत प्राप्त हुई, जिसमें 1721 शिकायतों का निष्पादन किया जा चुका है. इसमें 30 शिकायत निगम से संबंधित नहीं थे. उन शिकायतों को मुख्यमंत्री सचिवालय वापस कर दिया गया है.

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