सेहत अच्छी नहीं है, तो गाड़ी, बंगला, पैसा सब बेकारतीन दिवसीय ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन की हुई शुरुआतस्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने का है उद्देश्यलाइफ रिपोर्टर पटनास्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन की तरफ से तीन दिनों के हेल्थ एंड वेलनेस फेस्टिवल 2016 की शुरुआत शुक्रवार को हुई. अधिवेशन भवन में आयोजित उद्घाटन फंक्शन में बोलते हुए प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं सामाजिक कार्यकर्ता मनीषा कोईराला ने कहा कि अगर आप के पास अच्छी सेहत नहीं हो तो गाड़ी, बंगला, पैसा सब बेकार है. इस बात का एहसास मुझे तब हुआ, जब मैं कैंसर के कारण मौत के करीब आ गयी थी और जिंदगी के लिए तरस रही थी. इस आयोजन में पटना हाइकाेर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी, न्यायूमर्ति अंजना प्रकाश, बीपीएससी के चेयरमैन आलोक कुमार सिन्हा, लोकसभा सांसद शुत्रुघ्न सिन्हा, वरीय आइएएस एसएम राजू, डॉक्टर जीतेंद्र कुमार, एके चौहान, फाउंडेशन की प्रमुख स्नेहा राउत्रे समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे. लोगों को जागरूक करने का लिया संकल्पकैंसर और उसके बाद की जिंदगी के बारे में बात करते हुए मनीषा ने आगे कहा कि जब मुझे कैंसर हुआ और धीरे-धीरे जब रिकवरी होने लगी उसी वक्त मैंने यह फैसला किया कि इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करूंगी ताकि लोग पहले ही सचेत हो सकें और बीमारी के जानलेवा होने के पहले ही बेहतर इलाज कर सकें. इस अवसर पर एके चौहान ने कहा कि कैंसर का इलाज और दवाइयां दोनों महंगी हैं, सीमित आय वालों के लिए इसका इलाज कराना बहुत बड़ी बात हो जाती है. साथ ही यह हॉस्पिटल बेस्ड इलाज होता है. इसलिए सरकार को गरीबों की मदद के लिए आगे आना चाहिए. अगर किमोथेरेपी की व्यवस्था घर पर ही हो जाती है तो हॉस्पिटल का खर्च बच जाएगा. इसके अलावा कैंसर के इलाज में लंबा समय लगने से पूरे परिवार की आर्थिक स्थिति चरमरा जाती है. इस लिहाज से भी इनके पुनर्वास की व्यवस्था होनी चाहिए. वरीय आइएएस एसएम राजू ने अपने अनुभव को बताते हुए कहा कि बड़ी बीमारियों का इलाज अल्टरनेटिव मेडिसिन में भी खोजने की जरूरत है. मेरे साथ दो घटनाएं हुई जिससे आयुर्वेद के प्रति मेरी जिज्ञासा बढ़ी. 2008 में पिताजी की दोनों किडनी में दिक्कत आयी. इसके दो साल बाद 2010 में मेरे बेटे को दिक्कत हुई. इलाज के लिए बात बोन मैरो तक चली आयी. इसी के बाद मेरा झुकाव आयुर्वेद की तरफ हुआ. मानसिक रूप से मजबूत होने की जरूरतइस आयोजन में चीफ गेस्ट के तौर पर हिस्सा लेते हुए पटना हाइकाेर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति इकबाल अहमद अंसारी ने कहा कि सचेत रहकर लाइलाज बीमारियों से बचा जा सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि एक तरफ हम तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है जैसा स्लोगन बनाते हैं और दूसरी तरफ उसे बचने की इजाजत देते हैं. इस पर देश की संसद में बहस होनी चाहिए. एक आंदोलन खड़ा होना चाहिए ताकि देश में तंबाकू का सेवन बंद हो. उन्होंने मानसिक रूप से मजबूत रहने तथा खुुद को बुलंद करने की सलाह दी. जब सेलिब्रेटी बोलते हैं तो ज्यादा लोग सुनते हैं. जब यह लोग ऐसा कर सकते हैं तो हम लोग क्यों नहीं कर सकते हैं? ऐसी हालात में मानसिक रूप से मजबूत रहने की जरूरत है साथ ही खुद पर विश्वास रखना चाहिए. वहीं न्यायमूर्ति अंजना प्रकाश ने कहा कि हमारे पास संसाधन सीमित हैं. इसलिए मरीजों को बीमारी की शुरुआत में ही ध्यान देना चाहिए ताकि वे महंगे इलाज से बच सकें.ऐसे कार्यक्रम का आयोजन अच्छी पहलइस आयोजन में बोलते हुए प्रसिद्ध सिने अभिनेता और भाजपा सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि देश का स्वास्थ्य ही देश की संपत्ति है. उन्होंने तंबाकू को कैंसर के लिए खतरनाक बताते हुए उसे छोड़ने की सलाह दी और समाज के हर तबके को बेहतर समाज के लिए चिंता करने की सलाह दी. श्री सिन्हा ने कहा कि बेहतर जीवनशैली योग और व्यायाम के जरिये हम स्वस्थ्य रह सकते हैं. इस मौके पर एक जर्नल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले चार सालों में देश में सबसे ज्यादा तंबाकू के कारण लोगों की मौत होगी. ओरल कैंसर की सबसे बड़ी संख्या अपने देश में है और उसमें भी बीमारू नाम से जाने जाने वाले राज्याें में यह संख्या ज्यादा है. तन, मन और धन से सोचें. आज कैंसर हौव्वा नहीं रहा. आज करीब सत्तर प्रतिशत कैंसर का इलाज संभव है. उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि आज जहां पुराने लोग तंबाकू छोड़ रहे हैं वही नयी पीढ़ी तेजी से इसके तरफ आकर्षित हो रही है. इस मौके पर उन्होंने अपनी बीमारी और मुंबई में हुए उसके इलाज के बारे में भी जानकारी दी. कैंसर केयर इंडिया के प्रमुख डॉक्टर जीतेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में दुनिया में सबसे बड़ा चैलेंज कैंसर होगा. कैंसर की बीमारी पर जितनी रिसर्च हुई है, उतनी रिसर्च किसी और बीमारी पर नहीं हुई है. क्योंकि आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा लोग कैंसर से ही मरने वाले हैं. कैंसर के इलाज में हर पद्धति का समावेश होना चाहिए. इस मौके पर सभी अतिथियों ने एक पत्रिका का विमोचन भी किया.बॉक्स मैटरइस आयोजन में मनीषा कोइराला ने एक मोबाइल एप स्नेह को लांच किया. यह एप गूगल प्ले स्टोर और आइओएस पर उपलब्ध है. इस एप के जरिये कैंसर, उसके प्रकार, बीमारी, बचाव के साथ ही चैट की भी सुविधा है. इस एप के लांच होने के बाद उसे शुक्रवार से फ्री में इंस्टॉल किया जा सकता है.पैनल डिस्कशन का हुआ आयोजनउत्सव के दूसरे सेशन में योग गुरू और अध्यक्ष एस व्यासा बंगलुरू डाक्टर एचआर नागेन्द्र, जो की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भी योगगुरू हैं, ने स्वस्थ रहने में योग के महत्व के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने अपने संबोधन में इस बात की जानकारी दी कि कैसे योग के माध्यम से हम निरोग रहकर सुखी जीवन जी सकते हैं. इसके बाद इस डिस्कसन में विभिन्न थेरेपियों, आहार और स्वस्थ जीवन शैली के बारे में चर्चा की गई. इस पैनल में मनीषा कोइराला, वर्ल्ड युनाइटेड डॉक्टर एणंड हीलर्स एसोसिएशन गोवा के सचिव डैरिल डिसूजा, आयुर्वेद विशेषज्ञ और वरीय आइएएस एसएम राजू और मैक्स हॉस्पिटल दिल्ली की मेडिकल डायरेक्टर सह ग्रामीण स्नेह फाउन्डेशन की दिल्ली चैप्टर की पैट्रॉन डॉक्टर मीनू वालिया भी उपस्थित थे.लगे कई तरह के स्टॉलइस आयोजन में हेल्थ और उससे जुड़े कई तरह के स्टॉल को भी लगाया गया था. जिसमें मुफ्त में डॉक्टर से परामर्श, प्रेरक किताबों का स्टॉल के अलावा कोरियन पद्धति से इलाज की मशीनों का डेमो किया गया. कोरिशन डेमो सेंटर पर लोगों की सबसे ज्यादा मौजूदगी देखी गयी. इस पद्धति में शरीर के हर अंग की मशीन के द्वारा विशेष तरह से मसाज के अनुभव का लोगों ने लाभ उठाया. इसके अलावा शाम को कल्चरल प्रोग्राम का भी आयोजन किया गया, जिसमें सुहैल अहमद ने शहनाई पर और चंदन कुमार ने तबले पर प्रस्तुति दी.बॉक्स मैटरकैंसर से लड़ कर जीती जंगजिंदगी का वह दिन मेरे लिए सबसे कष्टदायी था, जब मुझे इस बात की जानकारी मिली कि मुझे कैंसर है. यह कहना है कैंसर से लड़ कर सामान्य जिंदगी जी रही स्नेहा राउत्रे का. ग्रामीण स्नेह फाउंडेशन की प्रमुख स्नेहा कहती है. करीब दो साल पहले 24 जून को यह डाइगनोस हुआ कि मुझे कैंसर है. हालांकि मेरा ब्रेस्ट कैंसर 27 स्टेजों में से अभी स्टेज वन ए में ही था लेकिन इसे जानने के बाद मेरी हालत ही बदल गयी. अचानक सब कुछ सूना-सूना से लगने लगा. मैं इस बात को स्वीकार ही नहीं कर पा रही थी कि मुझे कैंसर है. तब मुझे कैंसर डाइगनोस हुआ तब मेरी उम्र केवल 32 साल थी. मैं डिप्रेशन में चली गयी थी. मैं केवल यही सोचती थी कि यह कैसे हो सकता है? मेरे साथ ही ऐसा क्याें हुआ? मेरी इस खबर को सुनकर मेरे हसबैंड भी डिप्रेस हो गये. खैर बाद में जानकारी मिली कि यह क्या है? क्यों होता है? पति ने हर कदम पर किया सपोर्टमुझे जब कैंसर हुआ तब मेरे हर कदम पर पति ने सपोर्ट किया. उन्हाेंने मेरे कदमों के साथ अपने कदम को मिलाया. जब हमने कैंसर को लेकर गांव का दौरा किया, सर्वे किया तो देखा कि पूरी तसवीर ही अलग है. वहां की औरतें, लड़कियों की हालत कैंसर से और ज्यादा खराब है. तब मुझे लगा कि हम उनसे बेहतर हैं. मुझे एक नयी प्रेरणा मिली जीवन के प्रति. कैंसर से लड़ने के लिए नयी ऊर्जा मिली. हम दोनों नये जोश से इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हुए. पति गंगा कुमार के अलावा मेरे देवरों ने मेरी हिम्मत बढ़ाई. इसके अलावा घर के सभी लोग हर लम्हा हर बात का ख्याल रखते थे. खैर … पहले मेरा इलाज मुंबई में एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी में हुआ. जहां मेरी सर्जरी हुई और ब्रेस्ट के गांठ को निकाला गया. इसके बाद फेसर कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेश आडवाणी ने मेरा इलाज किया. अागे के इलाज के लिए हमने मैक्स हॉस्पीटल दिल्ली का रूख किया जहां डॉक्टर मीनू वालिया ने मेरा इलाज किया. लंबे इलाज के बाद करीब तीन माह पहले मेरा ट्रीटमेंट पूरा हुआ है. आज मैं खुश हूं क्योंकि मैं कैंसर के चंगुल से आजाद हूं. अब मेरी कोशिश इस रोग के प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने की है.
सेहत अच्छी नहीं है, तो गाड़ी, बंगला, पैसा सब बेकार
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