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आइ सुपर अस्पताल में सुपर लापरवाही, नजर तो उठाओ

जांच की सुविधा ठप, बाहर से लेना पड़ रहा है लेंस आनंद तिवारी पटना : राजेंद्र नगर सुपर स्पेशियलिटी आइ हॉस्पिटल मरीजों को समुचित उपचार मुहैया कराने की जगह खुद बीमार प्रतीत हो रहा है. डॉक्टर नदारद हैं. जांच मशीनें खराब हैं. बेड फटे हैं और परिसर में गंदगी का अंबार लगा है. मरीजों का […]

जांच की सुविधा ठप, बाहर से लेना पड़ रहा है लेंस
आनंद तिवारी
पटना : राजेंद्र नगर सुपर स्पेशियलिटी आइ हॉस्पिटल मरीजों को समुचित उपचार मुहैया कराने की जगह खुद बीमार प्रतीत हो रहा है. डॉक्टर नदारद हैं. जांच मशीनें खराब हैं. बेड फटे हैं और परिसर में गंदगी का अंबार लगा है. मरीजों का समय पर इलाज नहीं हो रहा है. जिनका इलाज हो भी रहा है वे भी बाहर से लेंस खरीदने और जांच कराने को मजबूर हैं.
बंद हैं जांच सुविधा, लुट रहे हैं मरीज
मरीजों की सुविधा के लिए यहां पैथोलॉजी जांच के लिए ऑटो केमेस्टरी एनालाइजर मशीन लगायी गयी है. लेकिन, मशीन पिछले कई महीनों से खराब है. इस वजह से मरीजों को बाहर से जांच कराना पड़ रहा है. इससे उनका बजट गड़बड़ा रहा है. अस्पताल सूत्रों की माने तो छह महीने से बीएमएसआइसीएल से कैमिकल की सप्लाई नहीं हो रही है.
मौजूद नहीं रहते हैं डॉक्टर
आंख के मरीजों को लेंस लगाने के लिए डॉक्टर ही मौजूद नहीं हैं. अस्पताल के कुछ स्टाफ भी मरीजों को बाहर की दुकानों में भेज देते हैं. ऐसे में मरीज बाहर से लेंस लेने को मजबूर हो जाते हैं. मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराये लोग भरती होने के बजाये बाहर कही प्राइवेट रूम या फिर अपने घर चले जाते हैं. अस्पताल के सभी बेड फट चुके हैं. साफ-सफाई और हाइजीन का भी ध्यान नहीं रखा जाता है. स्थिति यह है कि पूरे परिसर में गंदगी का अंबार फैला हुआ है.
अस्पताल के एक कर्मचारी ने खास दुकान से लेंस लेने को कहा था. कहा गया कि कहीं और से लेंस लेना ठीक नहीं रहेगा. अस्पताल में लेंस उपलब्ध हैं, लेकिन ये मिलते नहीं हैं.
अंशु कुमार
मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए पिछले 15 दिनों से अस्पताल का गुहार लगा रहा था. 16वें दिन ऑपरेशन किया गया. बहुत असुविधा है. मरीजों का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा जाता है.
रामजीत प्रसाद
केमिकल की कमी के चलते मशीन नहीं चल पा रही है, यही वजह है कि जांच सिस्टम बंद है. अगर पूरी मात्रा में केमिकल मिलती है तो सभी व्यवस्था दुरुस्त हो जायेगी.
डॉ नरेश कुमार भीमसारिया
निदेशक, राजेंद्र नगर अस्पताल
अस्पताल एक नजर में
– 2008 में आइ हॉस्पीटल बनाने की हुई थी घोषणा
– 400 मरीज पहुंचते हैं रोज
– मोतियाबिंद का ऑपरेशन और लेंस प्रत्यारोण होता है

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