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अस्पतालों की सेहत की अब होगी ऑनलाइन मॉनीटरिंग

अस्पतालों की सेहत की अब होगी ऑनलाइन मॉनीटरिंगफरवरी से अस्पतालों की बदल जायेगी रिपोर्टिंग सिस्टमआरा, जमुई, बांका व मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक डाक्टर रहते हैं गैरहाजिर संवाददाता,पटनाउप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अनुमंडलीय अस्पतालों से लेकर जिला अस्पतालों तक अब पारदर्शी व्यवस्था शुरू की गयी है. किस अस्पताल में कितने रोगी आये, किसको कौन-सी दवा […]

अस्पतालों की सेहत की अब होगी ऑनलाइन मॉनीटरिंगफरवरी से अस्पतालों की बदल जायेगी रिपोर्टिंग सिस्टमआरा, जमुई, बांका व मुजफ्फरपुर में सबसे अधिक डाक्टर रहते हैं गैरहाजिर संवाददाता,पटनाउप स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अनुमंडलीय अस्पतालों से लेकर जिला अस्पतालों तक अब पारदर्शी व्यवस्था शुरू की गयी है. किस अस्पताल में कितने रोगी आये, किसको कौन-सी दवा दी गयी, किस डाॅक्टर का तबादला कहां कर दिया गया, अस्पताल में कितने बच्चों का टीकाकरण किया गया और कितनी संख्या में प्रसव कराया गया, इन सभी बातों की जानकारी सॉफ्टवेयर के माध्यम से राज्य स्वास्थ्य समिति के वेबपोर्टल पर डाली जायेगी. अलग-अलग रिपोर्ट के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर तैयार किये गये हैं. अस्पतालों से राज्य मुख्यालय को इ-मेल या फैक्स से भेजी जानेवाली रिपोर्ट अब स्वीकार नहीं की जायेगी. अभी तक इसी तरह से रिपोर्ट भेजने की परिपाटी रही है. लेकिन, पुराना रिपोर्टिंग सिस्टम फरवरी से बदल जायेगा. राज्य स्वास्थ्य समिति ने नये सॉफ्टवेयर तैयार किये हैं, जिनके माध्यम से अस्पतालों की दैनिक गतिविधियों की जानकारी अपलोड की जायेगी. नये सॉफ्टवेयर और कामएचआइएमएस : इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से पैथोलाजी जांच, टीकाकरण, परिवार कल्याण कार्यक्रम की सभी तरह की सूचनाएं अपलोड की जायेंगी. एचआरआइएस : इसके माध्यम से अस्पतालों में पदस्थापित डॉक्टरों व कर्मचारियों के तबादले की जानकारी अपलोड की जायेगी. संजीवनी : इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से ओपीडी के आंकड़े दर्ज किये जायेंगे. किस अस्पताल में ओपीडी में कितने मरीज आये, कितने मरीजों को दवा मिली, मरीज को क्या क्या दवा मिली, इसकी जानकारी रहेगी.आरबीएसके : इसमें बच्चों के स्वास्थ्य कार्ड की सूचनाएं अपलोड की जायेंगी. कितने बच्चों का स्वास्थ्य कार्ड बना और कितने बच्चों को नीचे के अस्पताल से ऊपर के अस्पताल में रेफर किया गया, यह जानकारी दर्ज होगी. पीएफएमएस : यह सॉफ्टवेयर अस्पतालों के बजट को बतायेगा. अस्पतालों में कितने पैसे किस मद में खर्च किये गये, इसका ब्योरा दर्ज रहेगा. क्या होगा लाभसमिति के वेबपोर्टल पर अपलोड की गयी सभी तरह की सूचनाओं को जिला स्तर, राज्य स्तर और केंद्र सरकार में बैठा कोई भी पदाधिकारी देख सकता है. सिर्फ उसके पास सॉफ्टवेयर का यूजर आइडी व पासवर्ड होना चाहिए. इससे हर स्तर की सूचना 24 घंटे उपलब्ध रहेगी. 24 घंटे के अंदर बेस फोन ठीक करने का निर्देश इधर राज्य सरकार ने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को 24 घंटे के अंदर बेसिक फोन को ठीक कर लेने की चेतावनी दी है. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक जितेंद्र श्रीवास्तव ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों और क्षेत्रीय उपनिदेशकों से कहा है कि वे इस निर्देश का अनुपालन कराएं. सिविल सर्जनों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी चिकत्सिा पदाधिकारियों को मंगलवार तक अस्पताल के बेसिक फोन को ठीक कराने का अल्टीमेटम दिया गया है. यदि ऐसा नहीं हुआ, तो संबंधित जिले के सिविल सर्जन और पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी दोषी माने जायेंगे और उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. क्षेत्रीय उपनिदेशक को टेलीफोन की मॉनीटरिंग की जिम्मेवारी दी गयी है.गायब पाये जानेवाले डाक्टरों पर गठित होगा प्रपत्र कडयूटी से गायब पाये जानेवाले डाक्टरों के खिलाफ प्रपत्र क गठित करने का भी निर्णय लिया गया है. विभाग की समीक्षा में पाया गया है कि आरा सदर अस्पताल के चार, जमुई के एक, बांका के एक और मुजफ्फरपुर के एक ऐसे डाॅक्टर हैं, जिनको अनुपस्थित रहने की आदत पड़ गयी है. यह देखा जा रहा है कि कई बार की चेतावनी के बाद भी अस्पताल में उनकी उपस्थिति नहीं हो रही है. ड्यूटी से गायब रहनेवाले ऐसे डाॅक्टरों की पहचान कर ली गयी है. सिविल सर्जन को उनसे शो-कॉज के बाद प्रपत्र क गठित करते हुए कार्रवाई की अनुशंसा भेजने को कहा गया है.

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