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16% स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय भी नहीं

पटना: शिक्षा के अधिकार कानून के बावजूद स्कूलों में इसका पालन नहीं हो रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. आज भी राज्य के 16.66 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए सेपरेट वॉशरूम की सुविधा नहीं है. वहीं, आठ फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जहां लड़कियों के लिए एक भी वॉशरूम […]

पटना: शिक्षा के अधिकार कानून के बावजूद स्कूलों में इसका पालन नहीं हो रहा है, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो रही है. आज भी राज्य के 16.66 फीसदी स्कूलों में लड़कियों के लिए सेपरेट वॉशरूम की सुविधा नहीं है. वहीं, आठ फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जहां लड़कियों के लिए एक भी वॉशरूम नहीं है.

यह कहना है कृषि उत्पादन आयुक्त विजय प्रकाश का. वे शनिवार को एएन सिन्हा इंस्ट्टीयूट में एसोसिएशन फॉर प्रोमोशन ऑफ क्रिएटिव लर्निंग व आॅस्फेम के संयुक्त तत्वावधान में ‘ शिक्षाधिकार हेतु शिकायत निवारण प्रणाली ‘ पर आयोजित राज्यस्तरीय सम्मेलन में बोल रहे थे. उन्हाेंने कहा कि एपीसीएल द्वारा कराये गये सर्वे के अनुसार शिक्षाधिकार कानून को प्रभावी ढंग से लागू करना होगा.

जमीनी हकीकत के बाद सुधार : बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष निशा झा ने बताया कि एपीसीएल द्वारा किया गया सर्वे शिक्षा व्यवस्था की हकीकत बयां कर रही है. आंकड़ों पर इसे जमीनी स्तर पर सुधार करना होगा, ताकि स्कूलों को कानून के दायरे में लाया जा सके. शिक्षाविद प्रोफेसर विनय कंठ ने बताया कि इसके लिए कार्य करने वाली सभी सरकारी व गैरसरकारी संगठनों को एकजुट होकर काम करना होगा.

एपीसीएल की कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ मृदुला प्रकाश ने बताया कि इसके लिए शिकायत निवारण प्रणाली का गठन किया गया है. स्कूलों का सर्वेक्षण कराया जा रहा है, जिसके तहत नौ प्रमंडलों के 25 जिले के 54 स्कूलों का सर्वे कराये गये हैं. मौके पर ऑक्सफेम के प्राेग्राम मैनेजर संजय सुमन, योग्रेंद लाल दास व प्रदीप मिश्र समेत अन्य उपस्थित रहे.

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