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ठंड नहीं पड़ी तो घटेगी आलू की पैदावार, गेहूं में दाने होंगे कम

पटना : पूस में बदले मौसम के मिजाज से रबी की फसल को खतरा हो सकता है. बढ़ते तापमान से फसलों के विकसित (फ्रूटिंग और फ्लावरिंग) होने की प्रक्रिया बाधित होने की आशंका पैदा हो गयी है़ इससे राज्य में हजारों एकड़ में खड़ी रबी की फसल बर्बाद हो सकती है. राज्य में गेहूं, चना, […]

पटना : पूस में बदले मौसम के मिजाज से रबी की फसल को खतरा हो सकता है. बढ़ते तापमान से फसलों के विकसित (फ्रूटिंग और फ्लावरिंग) होने की प्रक्रिया बाधित होने की आशंका पैदा हो गयी है़ इससे राज्य में हजारों एकड़ में खड़ी रबी की फसल बर्बाद हो सकती है.
राज्य में गेहूं, चना, सरसों और मसूर रबी की मख्य फसलें हैं. रबी की फसल को विकसित होने के लिए जिस तापमान की जरूरत है, वह उसे अभी नहीं मिल रहा है.
इसका सीधा प्रभाव फसल की उत्पादकता पर पड़ेगा. विशेषज्ञों की माने तो बढ़ते तापमान की वजह से फसलों का विकास समय से पहले होगा. इससे पौधे तो बड़े हो जाएंगे, लेकिन उसमें दाने नहीं होंगे. इसलिए इस बार रबी की फसल उत्पादकता प्रभावित होगी. राज्य सरकार मौसम में आये बदलाव का फसल पर पड़ने वाले असर को लेकर वेट एंड वाच की स्थिति में है़
फसलों को कैसे प्रभावित करेगा तापमान
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अमूमन गेहूं के एक बीज से दस बालियां निकलती हैं. तापमान बढ़ने से बालियां के बढ़ने की रफ्तार तेज होगी, लेकिन उनकी संख्या एक-दो ही रह जाएगी. इसी तरह जमीन के ऊपर आलू का पौधा खूब बड़ा दिखेगा, लेकिन जमीन के अंदर आलू नहीं होगा. इससे उत्पादकता में कमी आएगी. इस वर्ष बिहार में गेहूं उत्पादन का लख्य 79 लाख टन रखा गया है. लेकिन, विशेषज्ञों की माने तो इस मौसम में इसे पाना आसान नहीं है.
विशेषज्ञ बोले
ज्यादा तापमान से फसलों को ज्यादा ऊर्जा मिलेगी. इससे उनका विकास समय से पहले होगा. लेकिन, यह विकास अधूरा होगा क्योंकि इसमें पौधों की लंबाई तो बढ़ेगी पर उनमें दाने नहीं निकलेंगे. इससे उत्पादकता प्रभावित होगी.
डॉ एके मिश्रा, पूसा कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अमूमन गेहूं के एक बीज से दसबालियां निकलती हैं. तापमान बढ़ने से बालियां के बढ़ने की रफ्तार तेज होगी, लेकिन उनकी संख्या एक-दो ही रह जाएगी. इसी तरह जमीन के ऊपर आलू का पौधा खूब बड़ा दिखेगा, लेकिन जमीन के अंदर आलू नहीं होगा. इससे उत्पादकता में कमी आएगी. इस वर्ष बिहार में गेहूं उत्पादन का लख्य 79 लाख टन रखा गया है. लेकिन, विशेषज्ञों की माने तो इस मौसम में इसे पाना आसान नहीं है.
विशेषज्ञ बोले
इस समय जो तापमान है वह रबी की फसलों को अच्छी तरह से विकसित नहीं होने देगा. इससे उत्पादकता प्रभावित होगी. फसलों का विकास तो होगा, लेकिन उनमें दाने या फल नहीं होंगे.
डॉ बीडी सिंह, कृषि विज्ञान केंद्र, बाढ़
तापमान में कैसे आया बदलाव
वर्ष 2015
तारीख अधिकतम न्यूनतम
1 जनवरी 25 12
2 जनवरी 23 17
3 जनवरी 20 18
4 जनवरी 22 17
5 जनवरी 22 14
6 जनवरी 20 09
7 जनवरी 21 09
(तापमान डिग्री सेल्सियस में)
वर्ष 2016
तारीख अधिकतम न्यूनतम
1 जनवरी 23 08
2 जनवरी 25 09
3 जनवरी 23 10
4 जनवरी 26 10
5 जनवरी 25 09
6 जनवरी 25 10
7 जनवरी 26 11
(तापमान डिग्री सेल्सियस में)
हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. तापमान में बदलाव का फसल पर पड़ने वाले असर का पूरे राज्य में अध्ययन कराया जा रहा है। यह सही है कि रबी के लिए मौसम में आया बदलाव ठीक नहीं है़ हम उम्मीद करते हैं कि अब भी तापमान गिर सकता है जो रबी के लिए अनुकूल होगा़ विजय प्रकाश, कृषि उत्पादक आयुक्त

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