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फाइलों में दबीं गरीबों की कईं योजनाएं
बीपीएल परिवार को बकरी देने और मिनी डेयरी योजना नहीं हुई शुरू पटना : गरीबों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पशुपालन विभाग की योजना कागज पर सिमट कर रह गयी है. राज्य सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे के परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सभी परिवार को पांच-पांच मुरगे -मुरगे […]
बीपीएल परिवार को बकरी देने और मिनी डेयरी योजना नहीं हुई शुरू
पटना : गरीबों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए पशुपालन विभाग की योजना कागज पर सिमट कर रह गयी है. राज्य सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे के परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सभी परिवार को पांच-पांच मुरगे -मुरगे देने की याेजना शुरू की थी. 2007 से चल रही इस योजना में अब तक राज्य के 66 हजार गरीब परिवारों को मुरगा दिया गया है, जबकि राज्य में ऐसे परिवारों की संख्या लगभग डेढ़ करोड़ है.
जीविका के सीइओ अरविंद कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य के 4.5 लाख स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अब तक 66 हजार परिवार को मुर्गियों के चूजे दिये गये हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि बीपीएल परिवार को चूजा देने के लिए राज्य में 225 इकाई स्थापित की गयी है. जल्द ही सभी बीपीएलए परिवार को चूजा देने के लक्ष्य को पूरा कर लिया जायेगा. गरीबों को बकरी देने के बारे में उन्होंने बताया कि जनवरी में ही पशुपालन विभाग के साथ बैठक कर बकरी देने की योजना शुरू की जायेगी़
दो लाख परिवार को देनी थी बकरी
गरीबी दूर करने के लिए पशुपालन विभाग द्वारा जीविका के माध्यम से दो लाख बीपीएल परिवारों के बीच छह लाख बकरी बांटने की योजना बनायी गयी थी. पशुपालन विभाग ने इतनी ही संख्या में बकरी खरीद का टेंडर किया, पर इतनी बड़ी संख्या में बकरी की सप्लाइ करने के लिए कोई एजेंसी आगे नहीं आयी. इसके कारण इस योजना परअब तक अमल नहीं किया गया है. पशुपालन विभाग के अधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री ने कृषि रोड मैप में भी इसे शामिल किया था. इसके बावजूद इस पर अब तक अमल नहीं किया गया है.
नहीं शुरू हुई मिनी डेयरी योजना
राज्य में बेरोजगारी दूर करने के लिए राज्य सरकार ने मिनी डेयरी योजना शुरू की थी. राज्य सरकार ने दो, चार और पांच गाय की डेयरी शुरू करने की योजना पिछले पांच साल से लंबित है.
इस योजना के तहत बेरोजगारों को गाय की खरीद पर 50 प्रतिशत सब्सिडी देने का प्रावधान है, लेकिन बैंक से सहयोग नहीं मिलने और पशुपालन विभाग के डेयरी इकाई द्वारा गंभीरता से नहीं लेने के कारण इस मद के एक सौ करोड़ रुपये का उपयोग नहीं हो सका. विभागीय अधिाकरी ने बताया कि इस योजना पर विभाग नये सिरे से शुरू करने की योजना बना रही है.
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