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इतिहास का महत्व आज के परिवेश में कम है

इतिहास का महत्व आज के परिवेश में कम हैलाइफ रिपोर्टर.पटनाइतिहास का महत्व आज के परिवेश में कम हो गया है. इतिहास के स्टूडेंट्स को अब नौकरी नहीं मिल पाती है. ज्यादातर नौकरी प्राइवेट कंपनी के पास है और उनमें साइंस के स्टूडेंट्स को ही नौकरी मिल पाती है. सरकारी नौकरी में भारी गिरावट आयी है. […]

इतिहास का महत्व आज के परिवेश में कम हैलाइफ रिपोर्टर.पटनाइतिहास का महत्व आज के परिवेश में कम हो गया है. इतिहास के स्टूडेंट्स को अब नौकरी नहीं मिल पाती है. ज्यादातर नौकरी प्राइवेट कंपनी के पास है और उनमें साइंस के स्टूडेंट्स को ही नौकरी मिल पाती है. सरकारी नौकरी में भारी गिरावट आयी है. इसलिए इतिहास के स्टूडेंट्स परेशानी महसूस करते हैं. यह बातें पटना यूनिवर्सिटी पीजी हिस्ट्री डिपार्टमेंट के डॉ ओम प्रकाश प्रसाद ने कही. वह 31 दिसंबर 2015 को रिटायर्ड हो रहे हैं. उन्होंने प्रभात खबर से अपनी बात रखते हुए शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा कि अभी छल-कपट से काम करना पड़ता है. शिक्षा व्यवस्था किसी तरह से चल रही है. मेरे समय में गंभीर तरीके से और ईमानदारी से पढ़ाया जाता था. अब गंभीर बात पढ़ने से लड़के ऊब जाते हैं. भविष्य शून्य हैबिहार का भविष्य शिक्षा के क्षेत्र में शून्य है. इसमें धीरे-धीरे गिरावट की संभावना ही ज्यादा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि तमाम आइएएस, आइपीएएस, मुख्यमंत्री-मंत्री आदि के बच्चे पहले पीयू में पढ़ते थे, लेकिन अब इनमें किसी का बच्चा नहीं पढ़ता अत: सरकारी मदद की संभावना नहीं बनती. बस किसी तरह शिक्षा व्यवस्था को चलाया जा रहा है. अभी पढ़ाना और पढ़ाना है सेवानिवृत्त होने की खुशी मिल रही है, लेकिन पढ़ने व पढ़ाने का सिलसिला लगातार जारी रहेगा. क्लास का माहौल सही रहा तो पढ़ाने का सिलसिला बिना किसी आर्थिक सहयोग के जारी रहेगा. प्रो प्रसाद ने कहा कि जब मैं पढ़ता था, तब पीयू में 40 टीचर केवल इतिहास के थे. अब मुश्किल से 10 बचे हैं. 1971 में पीयू पीजी के हिस्ट्री डिपार्टमेंट में एडमिशन लिया. 1974 में फाइनल रिजल्ट आया. 1975 से 1980 तक प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ आरए नंदी के गाइडेंस में पीएचडी किया. इसके बाद 13 मई 1980 को पीयू में टीचर बना और पटना कॉलेज में आइए की क्लास लेने लगा. इस दौरान प्रो आरएस शर्मा का काफी सहयोग मिला. पीयू में प्रो प्रसाद ने अनेक कार्यभार भी संभाले. 18 पुस्तक लिख चुके हैं डॉ ओम प्रकाश प्रसादइतिहासकार डॉ ओम प्रकाश प्रसाद ने कहा कि रिटायर होने की खुशी है. क्योंकि कुछ समय पढ़ाई के लिए और आगे किताब लिखने के लिए मिल जायेगा. अभी महाभारत पर किताब लिखना है. आम आदमी यही समझता है कि महाभारत एक धार्मिक ग्रंथ है, किंतु पढ़ने से पता चलता है कि यह एक नास्तिक ग्रंथ है. अभी आगे इसी पर काम चल रहा है. अब तक करीब 18 किताब जिसमें कोई राजकमल प्रकाश, दिल्ली यूनिवर्सिटी हिंदी कार्यान्वय निदेशालय, खुदाबख्श लाइब्रेरी आदि से प्रकाशित है. इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस प्रोसिडिंग्स में इनके आठ शोधलेख प्रकाशित हैं. प्रभात खबर में इनके नौ शोध आलेख प्रकाशित हैं. डॉ प्रसाद पीयू के इतिहास एवं इतिहास विभाग के इतिहास के भी रचनाकार है. इनकी किताब ‘इतिहास में विज्ञान’ तीन खंडों में राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित होने वाली है.

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