स्टाेरी : नाम कहीं और का, चल कहीं और रहास्कूल शिफ्ट तो हुए, पर दूर हो गये बच्चे : फ्लैगपटना जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या सौ से भी अधिकअनुपम कुमारी, पटनानाम राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बोरिंग रोड. चल रहा डाकबंगला में. राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, चिरैयाटांड चल रहा देवीपद चौधरी शहीद स्मारक (मिलर) हाइस्कूल में. अगर आप शहर में अनजान है और किसी सरकारी स्कूल के दिये पते पर पहुंचना है, तो घूमते रह जायेंगे. क्योंकि न ही स्कूल मिलेगा और न ही छात्र. जी हां, ये हाल है राजधानी के सरकारी स्कूलों का. जो चल कहीं और रहा है और बोर्ड पर नाम कहीं और का लिखा है. ऐसे में इन स्कूलों में शिक्षक तो हैं, पर छात्र नहीं. क्याेंकि इन स्कूलों को उनके मूल स्थान से अलग दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया गया है. इससे उनमें पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं की दूरी उन स्कूलों से बन गयी है.500 से घट कर हो गयी 25राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बोरिंग रोड की स्थापना 1962 में बोरिंग केनाल रोड में हुई थी. करीब 35 वर्ष बाद केनाल रोड से उसे डाकबंगला में शिफ्ट कर दिया गया. पूर्व में यहां छठी से दसवीं तक की पढ़ाई होती थी. लेकिन, विद्यालय शिफ्ट हाेने के बाद बच्चों की संख्या घटती चली गयी. अंत में विद्यालय वर्ष 2007 में सिर्फ 9वीं-10वीं तक हो गयी. स्कूल शिफ्ट होने के बाद विद्यालय में पढ़नेवाले छात्राओं की संख्या मात्र 25 है. इनमें 9वीं में पढ़नेवाले छात्राओं की संख्या 14 और 10वीं में 11 है. इसके लिए भी स्कूल के प्राचार्य और शिक्षक को मशक्त करनी पड़ रही है. उन्हें लोगों के घर-घर जाकर अभिभावकों को इस बात के लिए तैयार करना पड़ता हैं कि वह अपने बेटियों को स्कूल भेजें.दो बार किया गया शिफ्ट ठीक वैसी ही स्थिति राजकीय कन्या उच्च विद्यालय चिरैयाटांड की है. वर्ष 1958 में स्थापित विद्यालय पूर्व में चिरैयाटांड में संचालित की जा रही थी. वर्ष 1998 में इसे बुद्धा पार्क में दो कमरों के भवन के साथ शिफ्ट किया गया. इसके बाद दोबारा उसे वर्ष 2008 में बुद्धा पार्क निर्माण होने के कारण उसे वहां से मिलर हाइस्कूल में शिफ्ट कर दिया गया. वह भी यह कह कर कि कुछ महीने बाद उन्हें अपने भवन में शिफ्ट कर दिया जायेगा. बावजूद इसके आठ साल बीत गये पर अब तक अपना भवन नहीं मिल सका. इससे स्कूल में नामांकित लड़कियों की संख्या 50-60 रह गयी है. ये तो कुछ उदाहरण है. पटना जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या सौ से भी अधिक है. जिनके मूल स्थान कहीं और है और चल कहीं और रहे हैं. ऐसे में बच्चों की सुविधा के लिए खोले गये स्कूल उनकी सुविधा से ही दूर है.कोट पूर्व में यह विद्यालय बोरिंग रोड में था. बाद में इसे राजकीय कन्या मध्य विद्यालय अदालतगंज में शिफ्ट कर दिया गया. इससे यहां छात्राओं की संख्या 80 है. इसके लिए हमें घर-घर जाकर अभिभावकों से मिन्नतें करनी पड़ती है. ताकि बच्चियां स्कूल आ सकें. विनिता कुमारी, जेडी बालिका उच्च विद्यालय अदालतगंजविद्यालय शिफ्ट तो कर दिये गये, पर न तो उन्हें भवन दिया गया और न ही किसी प्रकार की कोई सुविधा. साथ ही स्कूल दूर होने से उन इलाकों के बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं. इसके लिए यदि सरकार बच्चों के लिए सुविधा प्रदान करती है, तो वह अच्छा होगा.कंचन कुमारी, प्राचार्य, राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बोरिंग रोड स्कूलों की स्थिति बहुत ही खराब है. कहीं बच्चे नहीं है, तो कहीं शिक्षक नहीं. कुछ स्कूलों का अपना भवन नहीं होने से उन्हें दूसरे स्कूलों में शिफ्ट कर दिया गया है. जैसे-तैसे स्कूल चल रहे हैं. इसके लिए विभाग को लिखा गया है. ताकि संशोधन किया जा सकें. डाॅ अशोक कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी\\\\B
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स्टोरी : नाम कहीं और का, चल कहीं और रहा
स्टाेरी : नाम कहीं और का, चल कहीं और रहास्कूल शिफ्ट तो हुए, पर दूर हो गये बच्चे : फ्लैगपटना जिले में ऐसे स्कूलों की संख्या सौ से भी अधिकअनुपम कुमारी, पटनानाम राजकीय कन्या उच्च विद्यालय बोरिंग रोड. चल रहा डाकबंगला में. राजकीय कन्या उच्च विद्यालय, चिरैयाटांड चल रहा देवीपद चौधरी शहीद स्मारक (मिलर) हाइस्कूल […]
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