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1900-1995 तक के दस्तावेजों को सहेजने की कवायद

जिला निबंधन कार्यालय में वर्षों से रखे पुराने दस्तावेजों को किया जा रहा सुरक्षित, वर्ष 1857 तक के हैं पुराने दस्तावेज अनुपम कुमारी पटना : जिला निबंधन कार्यालय में वर्षों से रखे पुराने दस्तावेजों को अब सुरक्षित किया जा रहा है. इसके लिए वैसे दस्तावेज,जो पूरी तरह से खराब हो चुके हैं. उन दस्तावेजों की […]

जिला निबंधन कार्यालय में वर्षों से रखे पुराने दस्तावेजों को किया जा रहा सुरक्षित, वर्ष 1857 तक के हैं पुराने दस्तावेज
अनुपम कुमारी
पटना : जिला निबंधन कार्यालय में वर्षों से रखे पुराने दस्तावेजों को अब सुरक्षित किया जा रहा है. इसके लिए वैसे दस्तावेज,जो पूरी तरह से खराब हो चुके हैं. उन दस्तावेजों की बाइंडिंग की जा रही है, ताकि उन्हें सुरक्षित रखा जा सकें. इसमें 1900 से 1995 तक के पुराने दस्तावेजों को सुरक्षित करने का काम शुरू कर दिया गया है. इसके लिए मेरठ के बुक बाइंडिंग एजेंसी को बुलाया गया है. इस काम में चार लोगों की टीम लगी है. रेकॉर्ड रूम में रखे पुराने दस्तावेजों की साफ-सफाई की जा रही है.
अवधेश बुक बाइंडिंग एजेंसी के हेड अवधेश कुमार बताते हैं कि विभाग की ओर से लगभग 50 हजार से अधिक दस्तावेजों का काम दिया गया है. इसमें करीब डेढ़ वर्ष का समय लगेगा. क्योंकि जगह नहीं होने से चार से अधिक लोग काम नहीं कर सकते हैं. इस काम को वे रात और दिन कर रहे हैं. काफी पुराने दस्तावेज होने से एक वॉल्यूम पर करीब डेढ़ घंटे का समय लग रहा है.
प्रति वॉल्यूम 35 रुपये का खर्च
इस दस्तावेजों को सुरक्षित करने का काम वर्ष 2004 से ही प्रस्तावित था. उस समय की दर से प्रति वॉल्यूम 35 रुपये दिये जायेंगे. अवधेश बुक बाइंडिंग के अनुसार पूर्व में तय रेट के अनुसार इसे किया जा रहा है. प्रतिदिन 50 वॉल्यूम बनाने का लक्ष्य है.
रखे हैं 155 सालों के दस्तावेज
जिला निबंधन कार्यालय में 1857 के पुराने
दस्तावेज हैं. दस्तावेजों को रखने की उचित व्यवस्था नहीं होने से खराब हो गये हैं. लगभग 155 सालों के कीमती दस्तावेजों को या तो दीमक चाट रहे है. या यूं ही पड़े खराब हो रहे हैं.
विभाग के जर्जर भवन में पटना जिला के अलावा नालंदा के भी दस्तावेज रखे पड़े हैं. इनके रखने की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने से बरसात में इनकी स्थिति और भी बुरी हो जाती है. इन कीमती दस्तवेजों पर पानी पड़ने से ये लगातार खराब हो रहे हैं. इन दस्तावेजों की हालत बिल्कुल रद्दी के समान हैं.
1995 से 2005 तक का कंप्यूटराइजेशन
हालांकि, निबंधन विभाग के दस्तावेजों को ऑनलाइन करने के लिए 1995 से लेकर 2005 तक के दस्तावेजों को स्कैंनिंग कर वेबसाइट पर डाला गया है. कुछ का काम अभी भी किया जा रहा है.
दिल्ली की सीबीएसएल एजेंसी (कैपिटल बिजनेस स्टाइल लिमिटेड ) की ओर से वर्ष 2010 से स्कैंनिंग कर डाटा इंटर करने का काम शुरू किया गया था. अब इन दस्तावेजों को ऑनलाइन देखा जा सकता है. इसे टास्क-वन व टास्क-टू के तहत दस्तावेजों को संरक्षित किया गया है. टास्क-वन में 1995 से लेकर 2005 तक के दस्तावेजों की सूची है. वहीं, टास्क-टू में 2005 से अब तक के दस्तावेजों की सूची बनायी गयी है, जो ऑनलाइन है.
जिला निबंधन कार्यालय में पुराने दस्तावेजों को रखने की उचित व्यवस्था नहीं होने से खराब हो रहे हैं. इन्हें सुरक्षित करने के लिए बाइंडिंग करायी जा रही है. इसके बाद इनका कंप्यूराइजेशन भी किया जायेगा.
प्रशांत कुमार, जिला अवर निबंधक, पटना

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