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क्या हमें रहता है हादसों का इंतजार

क्या हमें रहता है हादसों का इंतजारफ्लैगहादसे के बाद भी नहीं संभल रहे स्कूल, बच्चे को छोड़ देते हैं सड़क पर केस : 1 सेंट जेवियर्स स्कूल का मुख्य गेट. स्कूल की छुट्टी हुई थी. छठी क्लास का एक छात्र रोड क्राॅस कर रहा था. तभी एक सिटी बस उसे राैंदते हुए निकल गयी. छात्र […]

क्या हमें रहता है हादसों का इंतजारफ्लैगहादसे के बाद भी नहीं संभल रहे स्कूल, बच्चे को छोड़ देते हैं सड़क पर केस : 1 सेंट जेवियर्स स्कूल का मुख्य गेट. स्कूल की छुट्टी हुई थी. छठी क्लास का एक छात्र रोड क्राॅस कर रहा था. तभी एक सिटी बस उसे राैंदते हुए निकल गयी. छात्र की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी. केस : 2 डीएवी बीएसइबी का मुख्य गेट. स्कूल की छुट्टी हो चुकी थी. नौवीं की एक छात्रा स्कूल से निकल कर रोड की दूसरी ओर खड़ी अपनी स्कूटी लेने गयी. तभी एक सिटी राइड बस उसे रौंदते हुए निकल गयी. संवाददाता, पटनास्कूल से छूटने और घर पहुंचने से पहले के बीच का समय छात्रों के लिए मनमर्जी का समय होता है. कैंपस से बाहर आकर वे अपनी मरजी से जो चाहे करते हैं. इस दौरान न रोकने वाला कोई होता है और न ही कोई टोकने वाला. कई बार तो स्कूल की दूसरी तरफ वाहन लगे होते हैं और और वाहनों में बैठने के लिए हर बच्चा जान जोखिम से डाल कर रोड पार करता है. इन वाहनों तक पहुंचने और बैठने के दौरान बच्चे को देखने के लिए न तो बस का मालिक होता है और न बस कंडक्टर व ड्राइवर. बच्चों की सुरक्षा भगवान भरोसे होती है. इस तरह से कई हादसे भी हो चुके हैं. हादसों के कुछ दिन बाद तक सब कुछ ठीक करने की प्रक्रिया चलती है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही सब भुल जाते हैंबीच रोड पर ही उतार देते हैं बच्चों को सेंट कैरेंस हाइस्कूल, सेंट डॉमिनिक हाइस्कूल, इशान इंटरनेशनल हाइस्कूल, लोयेला हाइस्कूल, नॉट्रेडेम एकेडमी आदि स्कूल के बच्चों को तो बीच सड़क पर ही बस वाले उतार देते हैं. ऐसे में जो स्कूल वाहन लगने वाले साइड में है, तो वहां के बच्चे गाड़ियों से उतर कर सीधे कैंपस में चले जाते हैं. लेकिन, असली समस्या रांग साइड वाले स्कूलों की है. वहां के बच्चे रोड क्राॅस कर स्कूल पहुंचते हैं. इस दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्पीड को रोकनेवाला कोई नहीं होता है. ऐसे में किसी भी दिन अनहोनी हो सकती है. कोटयह सही है कि कैंपस के बाहर स्कूली बसों के लगने के कारण जाम लगता है. इस पर सभी स्कूल संचालकों को इनीशिएटिव लेना चाहिए. बच्चे अगर स्कूल कैंपस में लगे वाहनों पर बैठे, तो उनकी सुरक्षा बनी रहेगी. इस पर स्कूल प्रशासन को आगे आना होगा.- जीजे गॉलस्टॉन, प्रिंसिपल, सेंट डॉमिनिक सोवियोज हाइस्कूल बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता में शामिल है. इस कारण स्कूल की छुट्टी के बाद मैं खुद मुख्य गेट पर आता हूं. सारे बच्चे के रोड पार करने के बाद ही वापस लौटता हूं. प्राइवेट कंवीयेंस से बच्चे स्कूल आते हैं. सारी सवारी गाड़ियां रोड की दूसरी तरफ लगी रहती हैं.- फादर जैकब, प्रिंसिपल, सेंट जेवियर हाइस्कूल हमने डीएम से बात की है. उन्हें आवेदन भी दिया है कि स्कूलों में प्राइवेट स्कूल बस और ऑटो को लगाने की जगह दी जाये. सोमवार तक अगर डीएम इस पर कोई फैसला नहीं लेते हैं, तो फिर हम उनसे मिल कर उन्हें आवेदन देंगे. यह काम होना चाहिए, क्याेंकि यह स्कूली बच्चों की सुरक्षा का मामला है़- डीके सिंह, बिहार राज्य प्राइवेट चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन\\\\B

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