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मछली ”मारने” की सरकार को मिली आजादी
पटना : वन विभाग की बिहार में सात बड़ी-छोटी झीलों में मछली निकासी का रास्ता साफ हो गया है. सातों झीलों में मछली उड़ाही का मामला कोर्ट की रोक के कारण अटका हुआ था. कोर्ट ने मछली निकासी पर लगे बैन को वापस ले लिया है, वन पर्यावण विभाग सबसे पहले पटना के संजय गांधी […]
पटना : वन विभाग की बिहार में सात बड़ी-छोटी झीलों में मछली निकासी का रास्ता साफ हो गया है. सातों झीलों में मछली उड़ाही का मामला कोर्ट की रोक के कारण अटका हुआ था. कोर्ट ने मछली निकासी पर लगे बैन को वापस ले लिया है, वन पर्यावण विभाग सबसे पहले पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान की सबसे पुरानी झील से मछली निकासी का टेंडर फाइनल करेगा.
संजय गांधी जैविक उद्यान की झील की नीलामी के बाद वन विभाग गया, मुंगेर और पटना सिटी की अन्य छह झीलों का मछली उड़ाही के लिए नीलामी करेगा. संजय गांधी जैविक उद्यान की पुरानी झील का टेंडर 16 दिसंबर को फाइनल होगा. सातों झीलों में मछली उड़ाही से विभाग को 16 लाख रुपये से अधिक की आय होने की उम्मीद है.
उड़ाही में पहले हो चुकी हैं हिंसक वारदातें : वन विभाग की झीलों से पिछले तीन-चार वर्षों से मछली उड़ाही नहीं होने के कारण कई झीलों में एक-एक मछलियां 70 से 80 किलो की हो गयी हैं. वन विभाग ने मछली िनकासी के लिए बड़े जाल डालने पर प्रतिबंध लगा रखा है, यानी मछली िनकासी का टेंडर लेने वालों को बड़ी मछलियों की िनकासी करने में नाको चने चबाने पड़ेंगे.
वन विभाग ने झीलों से महज चार दिन ही मछली िनकासी कराने का प्रावधान तय किया है. झीलों से पूर्व के वर्षों में िनकासी गयी मछलियों की बिक्री के दौरान हुए हिंसक विवादों से वन विभाग ने सबक सीखा है. विभाग ने इस बार निकासी गयी मछलियों का तय दर पर िनकासी स्थल पर ही भुगतान करने का बाद मछलियों का उठाव कराने का प्रावधान किया है.
विभाग इसके लिए झीलों के आस-पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी कर रहा है. यही नहीं, झीलों से उड़ाही गयी मछलियों की शुद्ध तौल खुद निविदाकर्मी करायेंगे, इस पर वन विभाग के अधिकारियों की कड़ी निगरानी होगी.
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