पटना: विधानसभा चुनाव में पराजित हो चुके नीतीश विरोधी नेता एक बार फिर उनके दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं. पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि, पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के बेटे अजय प्रताप और सुमित कुमार सिंह और शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी अब तक नीतीश कुमार से मिल कर उन्हें जीत की बधाई दे चुके हैं.
वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू से अलग हो चुके नागमणि इस बार के विधानसभा चुनाव के पहले दो चरण तक उन्हें घोर नीतीश विरोधी माना जाता था. समरस समाज पार्टी के नाम से उनकी पार्टी ने तीसरे मोरचे की वकालत की थी. उम्मीदवार भी खड़े किये थे, लेकिन बाद के दिनों में महागंठबंधन की ओर उनका झुकाव दिखने लगा. चुनाव परिणाम घोषित हो जाने के अगले दिन नागमणि ने नीतीश कुमार से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की और उन्हें जीत की बधाई दी.
नागमणि शहीद जगदेव प्रसाद के पुत्र हैं और प्रदेश में कुशवाहा राजनीति का अपने को प्रमुख केंद्र बताते हैं. विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के पुराने मित्र नरेंद्र सिंह इस बार भाजपा खेमे में रहे. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख नेता नरेंद्र सिंह के दोनों विधायक बेटे इस बार महागंठबंधन के विरोध में चुनाव में उम्मीदवार थे. 2010 के चुनाव में जमुई से विधायक बने बड़े बेटे अजय प्रताप को जमुई की सीट पर एनडीए में भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया था. उन्हें राजद के विजय प्रकाश से पराजय का सामना करना पड़ा. दूसरे बेटे सुमित कुमार चकाई से विधायक थे. इस बार वह निर्दलीय उम्मीदवार थे. उन्हें राजद की गायत्री देवी ने पराजित किया.
नरेंद्र सिंह विधिवत अभी भी जदयू से विधान परिषद के सदस्य हैं. अब जदयू ने स्वेच्छा से पार्टी त्यागने को आधार बनाते हुए उनकी सदस्यता समाप्त करने की विधान परिषद के सभापति से की है. इधर, चुनाव परिणाम से निराश हम के वरिष्ठ नेता शकुनी चौधरी ने राजनीति से त्यागपत्र देने की घोषणा की है. उनके बेटे सम्राट चौधरी जदयू से विधान पार्षद हैं. सम्राट चौधरी ने भी महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार से मुलाकात की है. इन नेताओं के मुलाकातों को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है.
सोचा नहीं है : वृशिण पटेल
हम पार्टी के वरिष्ठ नेता वृशिण पटेल ने कहा कि उन्होंने जीत की बधाई नीतीश कुमार को नहीं दी है. क्या आप आगे उनके पास जायेंगे, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी यह सोचा नहीं है. हार के कारणों की समीक्षा के लिए पार्टी ने 21 नवंबर को बैठक बुलायी है. तात्कालिक कारण बताते हुए पूर्व मंत्री श्री पटेल ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण के संदर्भ में दिया गया बयान, अगड़ा-पिछड़ा, दादरी की घटना ये सब कारक रहे. पटेल ने कहा, एक बात तो यह हुआ कि लोगाें ने मिलकर एनडीए के खिलाफ सूनामी ला दिया.
लंबी लड़ाई की तैयारी में हैं भीम सिंह
नीतीश सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री रहे डा भीम सिंह महागंठबंधन के नेता नीतीश कुमार को बधाई देने के मूड में नहीं हैं. कुरेदे जाने पर कहा, वह फिलहाल पठन-पाठन में लीन हैं. अति पिछड़ों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए डा भीम सिंह ने कहा कि वह लंबी लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. नीतीश कुमार को वह अति पिछड़ों के हितों के सवाल पर एक्सपोज करेंगे.