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संपादकों के संपादक थे पारस बाबू

संपादकों के संपादक थे पारस बाबूपारसनाथ सिंह स्मृति सभा में पत्रकार-छायाकारों ने सुनाये पारस बाबू के कई संस्मरण संवाददाता, पटना पारसनाथ सिंह सिर्फ एक संपादक ही नहीं, बल्कि कई संपादकों के अक्षय प्रेरणास्रोत थे. संपादकों के संपादक के रूप में चर्चित पारस बाबू पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मील के पत्थर बन गये. प्रख्यात पत्रकार […]

संपादकों के संपादक थे पारस बाबूपारसनाथ सिंह स्मृति सभा में पत्रकार-छायाकारों ने सुनाये पारस बाबू के कई संस्मरण संवाददाता, पटना पारसनाथ सिंह सिर्फ एक संपादक ही नहीं, बल्कि कई संपादकों के अक्षय प्रेरणास्रोत थे. संपादकों के संपादक के रूप में चर्चित पारस बाबू पत्रकारिता के क्षेत्र में एक मील के पत्थर बन गये. प्रख्यात पत्रकार अच्युतानंद मिश्र ने उन्हें पराड़कर युग का अंतिम पत्रकार कहा था. ये बातें शनिवार को पत्रकार प्रमोद सिंह ने कहीं. वे पारसनाथ सिंह की स्मृति में आयोजित सभा में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि पारसबाबू हिन्दी पत्रकारिता के सिद्धहस्त व मजे हुए पत्रकार थे. वे रोजगार देने के नाम पर विदक जाते थे. लेकिन, पत्रकारिता के लिए समर्पित लोगों को सतत प्रोत्साहित करते रहते थे. भाषायी ज्ञान और समाचार की समझ को समृद्ध करने के लिए वे नये लोगों को सतत प्रोत्साहित करते रहते थे. छायाकार देवव्रत राय ने अपना संस्मरण सुनाते हुए पारस बाबू के सौम्य और समर्पित व्यक्तित्व की चर्चा की. पत्रकार धर्मेंद्र प्रताप ने पारस बाबू के पत्रकारिता के सूझ-बूझ और नैतिक गुणों की चर्चा आज के संदर्भ में की, जबकि ज्ञान प्रकाश सिंह ने एक उन्हें एक सजग पत्रकार बताया. ज्ञान प्रकाश ने विश्व संवाद केंद्र की ओर से पारस बाबू को राजेंद्र प्रसाद पत्रकारिता शिखर सम्मान प्रदान करने के प्रसंग को भी सुनाया. अवसर पर पत्रकार सुजीत कुमार तथा माधव कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किये. मंच संचालन संजीव कुमार कर रहे थे.

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