पटना : छठ पूजा की तैयारी को लेकर हुई मीटिंग में नगर निगम और बुडको की लापरवाही तो दिखी ही, वहीं घाटों के निरीक्षण के दौरान भी जिला प्रशासन की लापरवाही सामने आयी. प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर, नगर आयुक्त जय सिंह, अपर नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक व सिटी एसपी चंदन कुशवाहा संबंधित अधिकारियों के साथ घाटों का निरीक्षण करने निकले. मगर 1:15 बजे गांधी घाट पहुंचे, तो नाव ही गायब मिली. यह हाल तब थे, जब दस बजे ही इसकी सूचना आपदा प्रबंधन के वरीय उप समाहर्ता प्रवीण कुमार गुप्ता अौर एडीएम मकसूद आलम को दी गयी थी.
नाराज कमिश्नर ने कहा कि अब हम शनिवार को 12:30 में निरीक्षण करेंगे. कमिश्नर ने जिम्मेदार दोनों अधिकारियों को शो-कॉज किया है. इनके एक दिन की सैलरी भी कटेगी.
‘पैरवी करायी और आ गये पटना में आराम करने’
समय पर नाव नहीं पहुंचने पर प्रमंडलीय आयुक्त ने बिफरते हुए कहा-यह क्या मजाक बना रखा है आप लोगों ने? जब यह पता था कि सभी छठ घाटों का निरीक्षण करना है तो नाव क्यों नहीं मंगवायी गयी. 10 बजे सूचना मिलती है और आप सवा एक बजे तक नाव नहीं ला सके. यदि अभी हादसा हो जाये तो क्या करेंगे? पांच घंटे में एक नाव लायेंगे. जब अधिकारियों के निर्देश के बाद यह हाल है, तो और क्या-क्या होता होगा. पैरवी करायी और आ गये पटना में आराम करने. आप सब यहां रहने लायक नहीं हैं. हादसे होते हैं और इसके सबसे बड़े जिम्मेवार प्रशासनिक अधिकारी ही हैं.
एक से बढ़ कर एक बहाने
इसके बाद एक से बढ़ कर एक बहाने बनाये जाने लगे. सर कहीं कम्यूनिकेशन गैप हुआ है. सूचना मिली तो इनीसिएट किया. पटना सिटी के एसडीओ ने फोन ही नहीं उठाया. हम क्या करें?
कमिश्नर – क्या करें? आपको जब पता था कि वे हमारी ही मीटिंग में बैठे थे तो कलेक्ट्रेट से चल कर कमिश्नरी नहीं आ सकते थे क्या? आप लोगों के कारण सभी प्रभावित हो रहे हैं, लोगों के मन में प्रशासन के प्रति कोई विश्वास नहीं है.