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बिक्रम : विकास का मुद्दा पीछे छूटा, चेहरा देख वोट
बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में वोटर थोड़े सुस्त नजर आये. पिछले चुनाव के मुकाबले भले ही एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन लोकसभा चुनाव के मुकाबले तीन फीसदी घट गया. 53 फीसदी से अधिक वोटरों ने पसंद के उम्मीदवार पर बटन दबाया. क्षेत्र में कई जगह इवीएम में खराबी की शिकायत भी सुनने को मिली. बूथों […]
बिक्रम विधानसभा क्षेत्र में वोटर थोड़े सुस्त नजर आये. पिछले चुनाव के मुकाबले भले ही एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई, लेकिन लोकसभा चुनाव के मुकाबले तीन फीसदी घट गया. 53 फीसदी से अधिक वोटरों ने पसंद के उम्मीदवार पर बटन दबाया. क्षेत्र में कई जगह इवीएम में खराबी की शिकायत भी सुनने को मिली. बूथों पर केंद्रीय बलों से लेकर बिहार पुलिस व होमगार्ड के जवाब सुरक्षा में तैनात रहे.
बिक्रम : चुनाव में विभिन्न राजनीतिक दल विकास के मुद्दे पर जितनी भी चर्चा कर ले. लेकिन, वोट देने के मामले में वोटर चेहरा भी देखती है यह विक्रम विधानसभा क्षेत्रों के कई बूथों पर देखने और सुनने को मिला. वोटरों ने साफ तौर पर कहा कि पार्टियां मुद्दे को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करती है. लेकिन, चुनाव के समय चेहरा भी मायने रखता है. कई वोटरों ने खुल कर कहा कि हमने उसको वोट किया है, जिसने हमारे लिए काम किया है. यह काम भले ही सार्वजनिक नहीं हुआ हो. लेकिन, व्यक्तिगत लाभ का असर वोट में देखा गया है. संग्रामपुर में वोटिंग करने के बाद खास वर्ग के वोटरों ने पूछने पर बताया कि हमारे इलाके में विकास कुछ नही हुआ फिर भी वोट दिये है. वोट देने का कारण पूछा, तो बताया की हम चेहरा के आधार पर वोट दिये है.
वोटरों को पार्टी के लोगों ने पहले से बता रखा है कि अमुक आदमी को वोट देना है. ये ऐसे वोटर थे, जिन्हें जितनेवाले प्रतिनिधि से शायद ही मुलाकात हो. यह दीगर की बात है कि वोटरों में वोट करने को लेकर उत्साह देखा गया. बूथ पर वोट करने के लिए आनेवाले युवाओं में विकास के प्रति ललक दिखी. लेकिन, बुजुर्ग मतदाताओं ने सामाजिक समीकरण का ध्यान में रखा. महिलाओं में भी वोट के प्रति काफी उत्साह देखा गया. लेकिन, उनका वोट अपने मनसे कहीं ज्यादा घर के लोगों के कहने के अनुसार गिरा.
इवीएम ने डाला खलल : मध्य विधालय महजपुरा के बूथ संख्या 94 पर वोटिंग करने आये वोटरों में खासा उत्साह देखा गया. लेकिन, इवीएम मशीन में गड़बड़ी आने के कारण उनका उत्साह कुछ कम हो गया. एक घंटे तक इवीएम गड़बड़ी के कारण पुरुष और महिला वोटरों की लंबी लाइन लग गयी. प्रशासन की आेर से धुप से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं होने के कारण मतदाताओं को काफी परेशानी हुई. खास कर छोटे बच्चे लेकर आयी महिलाएं काफी परेशान रहीं. हालांकि सुरक्षा में तैनात कर्मियों ने ऐसी महिलाओं को पहले वोट कराने में सहायता की. इस तरह की परेशानी बूथ संख्या 120 परियावा गावं में भी हुई. वहां पर आधा घंटा बाद वोट देने का काम शुरू हुआ.
वहीं, बूथ संख्या 129, 130, 62 पर भी इवीएम की गड़बड़ी को लेकर मतदान में बाधा पहुंची.पहले चार घंटे 40 फीसदी बाद में सिर्फ 13
सुबह में बूथों पर वोटरों की लाइन कम रही. लेकिन, दिन चढ़ते ही वोटरों की संख्या बढ़ने लगी. दोपहर बारह बजे तक 40 प्रतिशत वोटिंग हो चुकी थी. अंधरा चौकी बूथ संख्या 91 पर 1131 में 478 वोटर अपना मत डाले थे. वहीं, उतरी मध्य विधालय बूथ संख्या 115 पर 1139 में 548 और उर्दू मध्य विधालय पर बूथ संख्या 111 पर 1469 में 475 वोटरों ने वोट डाला.
वहीं, बूथ संख्या 96 मध्य विधालय सिकरिया में 11 बजे मतदानकर्मी निश्चित पाये गये. पूछने पर बताया कि सुबह में भीड़ थी. लेकिन, अब वोटर नहीं आ रहे है.
गंठबंधन के दोनों प्रत्याशी यहां के वोटर नहीं
इस विधानसभा क्षेत्र के कई इलाके बिहटा, बिक्रम व नौबतपुर प्रखंड में पड़ते है. चुनाव लड़ रहे दोनों प्रमुख गंठबंधन के प्रत्याशी विधानसभा क्षेत्र के वोटर नही है. दोनों बिहटा थाना अंतर्गत एक ही गावं अमहारा के निवासी है. चुनाव में भाजपा के अनिल कुमार, कांग्रेस के सिद्धार्थ, जन अधिकार पार्टी के सुरेंद्र यादव समेत कुल उन्नीस उम्मीदवार है.
जे हमारा के देखत, ओकरे न देखतई
बिक्रम : बिक्रम विधानसभा क्षेत्र धान के कटोरा के लिए प्रसिद्ध है. वहीं लगभग दो दशक पहले खूनी संघर्ष के लिए चर्चित हुआ था. राघोपुर में सवर्ण जाति के लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. इसके प्रतिक्रिया में हेबसपुर में बड़े संख्या में नरसंहार हुआ था. लेकिन, इसके बाद फिर कभी इस तरह का सामाजिक संघर्ष नहीं देखा गया.
सामाजिक समीकरण क्षेत्र होने के बावजूद भी लोगों के बीच समरसता कायम रही. चुनाव में पूरे क्षेत्र में कहीं कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली है. वोटरों ने बढ़-चढ़ कर मतदान में हिस्सा लिया. इस क्षेत्र के संग्रामपुर, बेगवा, अमवां, सिकरिया, महजपुरा, अंधरा चौकी, उदरचक, पैनापुर, मोजक्का, करसा गांवो के बूथों पर सभी समाज के लोग बड़ी संख्या में वोट में शामिल हुए.
बातचीत से पता चला कि विकास का कोई खास मुद्दा नहीं है उनके लिए नेता जी का चेहरा ही काफी है. तभी तो अपने चहेते उम्मीदवार को वोट करने के बाद अपने-अपने काम में मस्त देखे गये. वोटिंग करने के बाद अमवां में पेड़ की छावं में तास की चौकरी जमाये वोट की चर्चा में मशगूल देखे गये. रविदास समुदाय के लोगों में 65 वर्षीय महगू मोची ने बताया कि सबेरे ही वोट डाल आये है.
पूछने पर जबाब देने से ज्यादा उनका ध्यान अपने ताश के पत्तों पर अधिक रहता था, ताकि चाल न गड़बड़ हो जाय. हमने भी उन्हें ज्यादा तंग करना उचित नहीं समझा. भ्रमण के दौरान बूथ संख्या 91 पर वोटरों ने कहा कि जे हमारा के देखत, ओकरे न देखतई ऐसे सामाजिक समीकरण को लेकर वोटरों में असमंजस भी दिखायी दिया.
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