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पालीगंज : हर किसी को जीत के लिए तीसरे का भरोसा
नक्सल प्रभावित पालीगंज विधानसभा में 54 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. पिछले चुनाव के मुकाबले यहां पर पांच फीसदी अधिक मतदाताओं ने वोट डाले. बुधवार को संगीनों के साये में मतदाताओं ने वोट डाले. सुबह-सुबह हर बूथ पर लंबी-लंबी कतारें दिखी. दोपहर में बूथों पर भीड़ घटी, लेकिन शाम होते-होते फिर बढ़ […]
नक्सल प्रभावित पालीगंज विधानसभा में 54 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. पिछले चुनाव के मुकाबले यहां पर पांच फीसदी अधिक मतदाताओं ने वोट डाले. बुधवार को संगीनों के साये में मतदाताओं ने वोट डाले. सुबह-सुबह हर बूथ पर लंबी-लंबी कतारें दिखी. दोपहर में बूथों पर भीड़ घटी, लेकिन शाम होते-होते फिर बढ़ गयी. मतदान यहां पर शाम चार बजे ही समाप्त हो गया.
पालीगंज : पालीगंज विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव का नजारा सुबह से ही दिखने लगा. सुबह से ही मतदान केंद्रों पर लोगों की लंबी कतार दिखीं. लेकिन, दोपहर बाद ये लाइनें अधिकांश केंद्रों पर नहीं के बराबर थी. इसके कारण कई हो सकते हैं. शायद अर्द्ध संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण यहां मतदान का समय शाम 4 बजे तक ही रखा गया था. सभी मतदान केंद्रों पर लोग शांतिपूर्वक लाइन में खड़े होकर अपने पसंदीदा उम्मीदवार को मतदान करने के लिए आतूर दिखे.
चेहरे की यह बेचैनी अधिकांश लोगों ने जाहिर नहीं की. इसी क्रम में दुल्हिन बाजार के बूथ संख्या 42, रामलखन सिंह यादव उच्च विधालय के बूथ पर सुबह 8 बजे तक कुल 937 वोटों में 62 वोट पड़ चुके थे. पालीगंज बाजार में स्थित बूथ संख्या 144, कन्या प्राथमिक विधालय में सुबह 9ः 30 बजे तक कुल 1186 में 275 वोट पड़ चुके थे. चंढ़ोस हाइस्कूल में मौजूद बूथ संख्या 133 और 134 में लोग लंबी कतार में वोट देने के लिए लगे हुए थे. इसमें महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा थी. रास्ते में स्थित सेंहरा हाइस्कूल में मौजूद 136 नंबर बूथ पर कुछ लोग अपनी परची लेकर नाराजगी जता रहे थे. हालांकि बाद में पीठासीन अधिकारी ने पूरे मामले की छानबीन कर इसे दूर कर दिया.
सबसे ज्यादा कांग्रेस के कब्जे में रही है यह सीट : पालीगंज क्षेत्र का प्रतिनिधित्व अब तक सबसे ज्यादा बार कांग्रेस ने किया है. यह 14वां विधानसभा चुनाव हो रहा है. इससे पहले 13 बार में करीब 9 बार कांग्रेस के खेमे में ही यह सीट रही थी. सबसे ज्यादा चार बार इस क्षेत्र से रामलखन सिंह यादव बतौर विधायक रहे है.
वर्तमान में उनके पोते जयवर्द्धन यादव राजद की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरी तरफ भाजपा ने अपनी सीटिंग विधायक उषा विद्यार्थी का टिकट काट कर कभी बिक्रम के विधायक रहे रामजन्म शर्मा पर अपना दांव खेला है. भाकपा-माले ने मो अनवर हुसैन को मैदान में उतारा है. महागंठबंधन और एनडीए दोनों इस फिराक में हैं कि कौन ज्यादा वोट काटता है. ताकि उनके हाथ यह सीट लग जाये. असल में वोट काटने के लिए निर्दलीय युवा नेता चंदन कुशवाहा मैदान में अपनी ताकत आजमा रहे हैं.
चंदन पियरपुरा पंचायत के मुखिया हैं. वह पूरे क्षेत्र में सबसे कम उम्र के मुखिया हैं. करीब 29 साल के चंदन को यह भरोसा है कि वह कुशवाहा का सबसे ज्यादा वोट काटेंगे. जिससे भाजपा को नुकसान होगा. दूसरी तरफ भाकपा माले के प्रत्याशी अगर अल्पसंख्यक समाज के लोगों का ज्यादा-से-ज्यादा वोट पाने में कामयाब होते हैं, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को होगा.
पैसा वितरण करते एक गिरफ्तार
पालीगंज के अकबरपुर मुसहरी से पंचायत समिति सदस्य के पति मनोज सिंह को गिरफ्तार किया गया. उस पर चुनाव के लिए पैसा वितरण करने का आरोप है. इस संबंध में एएसपी मिथलेश कुमार ने बताया कि सूचना मिली है की पैसा वितरण किया जा रहा है.
तब छापेमारी कर उसे गिरफ्तार किया गया. वहीं, मौके से तीन मोटरसाइकिल भी जब्त किया गया है. सिगोड़ी में पूर्व जिला पार्षद मो रिजवान को मतदान में व्यवधान और सिगोड़ी पंचायत के मुखिया पति वासू चंदवंशी को धारा 107 में गिरफ्तार किया गया. हालांकि शाम को दोनों को कागजी खानापूर्ति के बाद छोड़ दिया गया.
केवल कहने के लिए मॉडल बूथ
विधानसभा में पांच जगहों पर मॉडल बूथ बनाया गया था. जिसमें धरहरा, बालीपांकरड़, पालीगंज प्रखंड कार्यालय, रकसिया, उलार का बूथ शामिल था. कहने को तो मॉडल बूथ था. लेकिन, सुविधा के नाम पर केवल टेंट लगा था. न तो पीने के पानी और न ही बैठने का प्रबंध किया गया था. वहीं रकसिया में स्कूल के बाहर काफी लंबी कतार लगी रही.
नेहरू से मोदी तक दिया वोट
– सिंगोड़ी में हिन्दू-मुसलिम एकता की मिसाल लोकतंत्र के इस महापर्व में भी रही कायम
पालीगंज : पालीगंज विधानसभा का सिंगोड़ी एक ऐसा गांव हैं, जहां हिन्दू आबादी अल्पसंख्यक है. वाबजूद इसके यहां भाईचारे की मिसाल इस लोकतंत्र के महापर्व में भी नहीं दरक पायी. करीब तीन हजार घरवाले इस गांव के बीचो-बीच स्थित मदरसा में 218 नंबर बूथ स्थित है.
इस बूथ पर भारतीय लोकतंत्र का लंबे समय तक गवाह बने 80 वर्षीय मो निजामुद्दीन ने भी बुधवार को अपने मत का उपयोग किया. उम्र ने भले ही शरीर का साथ छोड़ दिया है, परंतु हौसला इतना मजबूत कि जवान भी इनके हौसले के सामने पस्त हो जाये. मो निजामुद्दीन बताते है कि पहली बार उन्होंने नेहरू जी को वोट किया था, उस समय देश को गढ़ने का जज्बा हर युवा मन में कौंद रहा था. इसके बाद लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी बाजपेयी जैसे तमाम हस्तियों को वोट करने की यादें उनके जेहन में तरो-ताजा है. लेकिन, हाल के कुछ वर्षों में लोकतंत्र की हालत और एवं स्थिति से वे काफी क्षुब्ध दिखे.
उनका कहना है कि हाल के दशकों में नेताओं ने देश की क्या दुर्गति कर दी है, हालत बदतर हो गये है. कानून-व्यवस्था की हालत बेहद खराब हो गयी है. परंतु वे जब अपने राज्य की बात करते है, तो राहत महसूस करते है. उन्होंने कहा कि पिछली सरकार में उन्हें कॉलोनी (इंदिरा आवास) दी, पेंशन दी और तमाम जन सरोकार से जुड़ी सुविधाएं मुहैया करायी. जिनके वे कायल है. उन्हीं काम से इंप्रेस होकर वे राज्य सरकार के साथ बने रहना चाहते है.
हालांकि उनकी कुछ समस्याएं है, जिन पर खुल कर बात नहीं करते है.पुनपुन नदी के किनारे बसे इस गांव में मजहबी एकता को चुनाव जैसे संवेदनशील पर्व भी नहीं दरका पाये. सभी ने अपने-अपने मत और अभिमत के अनुसार अपने-अपने उम्मीदवारों को वोट किया है. चुनावी मतभेद हो सकते है, लेकिन मनभेद नहीं हो सकता कभी.
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