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तीन टीचर मिल कर चला रहे यूजी, पीजी व एमसीए डिपार्टमेंट

तीन टीचर मिल कर चला रहे यूजी, पीजी व एमसीए डिपार्टमेंट एमसीए डिपार्टमेंट की शुरुआत 2010 में हुईराजभवन ने उसी समय तीन टीचर को बहाल करने का निर्देश दिया थातीन की बहाली हो गयी थी लेकिन, राज्य सरकार ने बहाली पर लगायी रोकस्टैटेस्टिक्स के भरोसे चल रहा है एमसीए डिपार्टमेंट पटनापटना यूनिवर्सिटी व राज्य सरकार […]

तीन टीचर मिल कर चला रहे यूजी, पीजी व एमसीए डिपार्टमेंट एमसीए डिपार्टमेंट की शुरुआत 2010 में हुईराजभवन ने उसी समय तीन टीचर को बहाल करने का निर्देश दिया थातीन की बहाली हो गयी थी लेकिन, राज्य सरकार ने बहाली पर लगायी रोकस्टैटेस्टिक्स के भरोसे चल रहा है एमसीए डिपार्टमेंट पटनापटना यूनिवर्सिटी व राज्य सरकार की लवारवाही के कारण एमसीए डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स का भविष्य अधर में है. स्टूडेंट्स का कहना है कि यूनिवर्सिटी तो मोटी रकम लेती है वोकेशनल कोर्स के नाम पर लेकिन सुविधा नहीं मिल पाती है. यहां न रेगुरल टीचर हैं और न विभाग का अपना क्लास रूम. यहां तक लैब की भी व्यवस्था भी प्रयाप्त नहीं है. यहां के स्टूडेंट्स स्टैटेस्टिक्स विभाग के लैब से काम चला रहे है. कम पैसा मिलने के कारण एडहॉक पर भी अच्छे टीचर नहीं मिल पा रहे हैं. स्टूडेंट्स कहते हैं कि स्टैटेस्टिक्स के प्रयास से कुछ बेहतर चल रहा है. लेकिन जिस प्रकार इसे सुविधा मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पा रही है. एमसीए डिपार्टमेंट स्टैटेस्टिक्स डिपार्टमेंट के भरोसे चल रहा है. जगह के साथ मैन पावर की है कमीस्टूडेंट्स कहते है कि डेवलपमेंट के नाम पर 7500 रुपया लिया जाता है, लेकिन कोई सुविधा प्रदान नहीं किया जाता है. हाल में वाय-फाय की सुविधा प्रदान कि गयी है. डिपार्टमेंट खुलने के से ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया. बिल्कुल ही स्टैटेस्टिक्स डिपार्टमेंट के भरोसे छोड़ दिया गया है. एमसीए के पूर्व निदेशक प्रो अमरेंद्र मिश्र कहते हैं कि एमसीए को एक स्वतंत्र डिपार्टमेंट रखना चाहिए. इसका सब कुछ अलग होना चाहिए यह बहुत जरूरी है. जब एमसीए में सभी सुविधा स्टूडेंट्स को मिलेगी तभी स्टूडेंट्स अच्छा कर पायेंगे. इस कोर्स को सेल्फ फाइनांस से नहीं जोड़ना चाहिए. यह शर्म कि बात है कि अभी तक पीयू के पास कंप्यूटर साइंस का डिपार्टमेंट नहीं है. वैसे मैन पावर की काफी कमी है. जब स्टैटेस्टिक्लस डिपार्टमेंट में मैन पावर के साथ टीचर्स की कमी है तो एमसीए डिपार्टमें में तो कुछ है ही नहीं. इस पर यूनिवर्सिटी ध्यान भी नहीं देती है. जगह की काफी कमी है. स्टैटेस्टिक्स में ही एमसीए का क्लास चला रहा है. सब कुछ मैनेज करके क्लास चलाया जाता है. मात्र तीन क्लास रूम व दो कंप्यूटर लैब है. इसी में स्टैटेस्टिक्स यूजी के पांच बैच, पीजी के दो बैच इसके बाद तीन एमसीए का क्लास करवाना पड़ता है. सभी को टाइम के साथ मैनेज करना पड़ रहा है. यह बहुत बड़ी समस्या है. स्टैटेस्टिक्स में तो 15 में से अब मात्र तीन लोग बचे है और तीन लोगों ही यूजी, पीजी व एमसीए को चला रहे है. यह तो काफी खराह स्थिति है. हाल में ही एमसीए के निदेशक पद से रिटायर्ड हुए आरएस मिश्र कहते है कि बहुत खराब स्थिति है. एमसीए स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल की सुविधा सही से नहीं मिल पा रही है. स्टूडेंट्स को परेशानी हो रही है. बहुत मुश्किल और खराब स्थिति से शिक्षा दी जा रही है. क्योंकि कोई भी रेगुलर टीचर नहीं है इन लोगों को जहां पैसे मिलते है वहां चले जाते है. क्योंकि यहां कोई भी रेगुलर टीचर नहीं है. कोर्स की शुरुआत 2010 में हुई लेकिन, अभी तक एडहॉक पर टीचर की बहाली नहीं हुई है. कोर्स मंजूरी के समय राजभवन ने आदेश दिया था कि तीन टीचरों को बहाल करना है. लेकिन अभी तक बहाली नहीं हुई. जब बहाली हो रही थी तो राज्य सरकार ने रोक लगा दी थी और मामला अधर में लटका हुआ है. विभाग में जैसा पढ़ाई हम चहते है वैसा नहीं हो रहा है. एमसीए के स्टूडेंट्स इस प्रकार देते हैं फीस 6 सेमेस्टर है, प्रत्येक में पांच-पांच पेपरप्रथम सेमेस्टर में 36 हजार फीस, इसके बाद प्रत्येक सेमेस्टर नौ-नौ हजार रुपया फीसप्रथम सेमेस्टर कि फीस इस प्रकार हैएडमिशन फीस- 9000डेवलपमेंट – 7500मिसनेलीयस फीस – 4500 री-फंड मनी – 5000ट्यूशन फीस – 9000एग्जाम फीस – 1000

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