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दारोगा के बेटे ने मारी थी गोली
खुलासा. फुलवारी के एएसपी पर फायरिंग करनेवाले दोनों युवक पकड़ाये पटना : आठ अक्तूबर की शाम वाहन चेकिंग के दौरान कोतवाली थाने के छज्जूबाग क्षेत्र में एएसपी राकेश कुमार और उनके बॉडीगार्ड सुरेश कुमार को गोली मारने की गुत्थी सुलझा ली गयी है. सोमवार को कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में डीजीपी पीके ठाकुर ने […]
खुलासा. फुलवारी के एएसपी पर फायरिंग करनेवाले दोनों युवक पकड़ाये
पटना : आठ अक्तूबर की शाम वाहन चेकिंग के दौरान कोतवाली थाने के छज्जूबाग क्षेत्र में एएसपी राकेश कुमार और उनके बॉडीगार्ड सुरेश कुमार को गोली मारने की गुत्थी सुलझा ली गयी है. सोमवार को कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में डीजीपी पीके ठाकुर ने कहा कि इस घटना को अंजाम देनेवाले दोनों युवकों अमित कुमार व रोहित कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
इसमें अमित कुमार एएसआइ का बेटा है. पुलिस ने घटना में उपयोग होनेवाली बाइक, देसी पिस्तौल और तीन राउंड गोली भी बरामद कर ली है. उन्हाेंने कहा कि इस मामले का स्पीडी ट्रायल कराया जायेगा. साथ ही मामले को सुलझाने के लिए गठित एसआइटी (स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम) के सभी सदस्यों को पुरस्कृत भी किया जायेगा.
डीजीपी ने कहा कि पूरे मामले के तमाम पहलुओं पर अनुसंधान जल्द ही पूरा कर लिया जायेगा. अभी तक हुई पूछताछ और जांच में यह बात सामने आयी है कि गिरफ्तार हुए दोनों युवकों का पहले से कोई अापराधिक बैकग्राउंड नहीं है. घटनावाले दिन इन युवकों की किसी दूसरे युवकों के ग्रुप से वर्चस्व को लेकर लड़ाई हुई थी.
इसके बाद ये लोग भाग रहे थे. इसी दौरान छज्जूबाग में वाहन चेकिंग के दौरान जब इन्हें रोका गया, तो इन्हें लगा कि विपक्षी दल के लोगों की साजिश है. इससे घबराकर इन दोनों युवकों ने फायरिंग शुरू कर दी. हमला करने का इनका पहले से कोई इरादा नहीं था. हालांकि गोली किसने पहले चलायी और किसकी गोली से कौन जख्मी हुआ, यह अनुसंधान के बाद ही स्पष्ट होगा.
ऐसे आये पकड़ में दोनों आरोपित
इस मामले की जांच करने के लिए पटना एसएसपी के नेतृत्व में विशेष एसआइटी का गठन किया गया था. घटना में शामिल अपराधियों का कोई पिछला ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होने से इसकी जांच करने में बेहद मशक्कत करनी पड़ी.
परंतु, तकनीक की मदद और पदाधिकारियों की बेहतर सूझ-बूझ के कारण पूरे मामले का खुलासा हो गया. मामले की छानबीन के दौरान पटना तथा आसपास के कई संदिग्ध अपराधियों के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लिया गया. कई मोबाइल नंबरों की बातचीत रिकॉर्ड की गयी. इसी क्रम में पुलिस को यह जानकारी मिली कि अमित और रोहित नामक दो युवकों ने इस घटना को अंजाम दिया है. इनके संभावित ठिकानों पर पुलिस ने सादे लिबास पर निगरानी रखनी शुरू कर दी. इसी क्रम में अमित पुलिस के हत्थे चढ़ गया. इसकी निशानदेही पर दूसरे सहयोगी रोहित की गिरफ्तारी की गयी.
आठ अक्तूबर की आधी रात की घटना
आठ अक्तूबर की देर रात छज्जूबाग के निकट उस समय घटना हुई थी, जब एएसपी ने तेजी से बाइक से जा रहे दो युवकों को रोकने का प्रयास िकया था. तभी युवक ने उन्हें गोली मार दी थी. एएसपी राकेश कुमार के सिर से एक गोली छूते हुए निकल गयी थी, तो दूसरी गोली उनकी बांह व पीठ में लगी. वहीं एक गोली बॉडीगार्ड सुरेश कुमार के पेट में लगी. इसके बाद भी एएसपी व बॉडीगार्ड ने हिम्मत का परिचय देते हुए अपनी सरकारी पिस्टलों से अपराधियों पर फायरिंग शुरू कर दी. पुलिस द्वारा की गयी फायरिंग के बाद वे लोग नहीं टिके और वहां से बाइक से मंदिरी की ओर फरार हो गये.
एएसपी पर फायरिंग के तुरंत बाद अमित को जब इसकी गंभीरता का अहसास हुआ, तो उसने एक बार पुलिस को भी चकमा देने की पूरी कोशिश की. इसमें वह बहुत हद तक सफल भी हो गया. घटना के बाद बदहवास हालत में अमित सचिवालय थाना पहुंचा और कहा कि उसे जान से मारने की कोई कोशिश कर रहा है.
वह सचिवालय सिक्युरिटी में पदस्थापित एएसआइ कामाख्या प्रसाद सिंह का बेटा है. उसे पुलिस सुरक्षा की जरूरत है. उस समय अमित की हालत देख कर पुलिस वाले भी उसकी बात पर विश्वास कर बैठे, परंतु बाद में जांच के दौरान पूरी हकीकत सामने आयी. घटना के दिन कामाख्या प्रसाद सिंह नवादा में चुनावी ड्यूटी पर थे.
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