24.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बाढ़ : किसी को चित्तौड़ की चिंता, कोई जाति के प्रत्याशी का राग अलाप रहा

पटना : बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगरमी चरम पर है. यहां किसी को चित्तौड़गढ़ बचाने की चिंता है, तो कोई अपनी जाति के प्रत्याशी के पक्ष में राग अलाप रहा है. विकास पर चर्चा अब यहां बेमानी हो गयी है और महागंठबंधन और एनडीए के प्रत्याशी के पक्ष में जाति आधारित गोलबंदी शुरू हो […]

पटना : बाढ़ विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगरमी चरम पर है. यहां किसी को चित्तौड़गढ़ बचाने की चिंता है, तो कोई अपनी जाति के प्रत्याशी के पक्ष में राग अलाप रहा है. विकास पर चर्चा अब यहां बेमानी हो गयी है और महागंठबंधन और एनडीए के प्रत्याशी के पक्ष में जाति आधारित गोलबंदी शुरू हो गयी है. बाढ़ को जिला बनाने की पुरानी मांग हो या शिक्षा, सड़क, नाला, स्वास्थ्य की बात, इस पर लोग चर्चा भी नहीं करना चाहते.
बाढ़ के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू जहां एनडीए प्रत्याशी के रूप में हैं, तो महागंठबंधन से मनोज कुमार प्रत्याशी हैं.जातिगत आधार पर लोग इन दोनों प्रत्याशियों के पक्ष में हैं, जिस कारण ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू व मनोज कुमार के बीच में सीधी टक्कर हो गयी है. हालांकि इसी विधानसभा क्षेत्र से जन अिधकार पार्टी शंभू सिंह भी अपना भाग्य अाजमा रहे हैं और इनकी अपनी जाति में अच्छी पकड़ है, जिसके कारण उस जाति में वोट बिखराव संभव है.यहां एक जाति विशेष के लोग अपना पत्ता नहीं खोल रहे हैं और मौन स्थिति में हैं. इस जाति के लोगों की भी अच्छी-खासी संख्या है.
जाति की यहां काफी बहुलता रही : लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उस जाति के एक विधायक भी महागंठबंधन प्रत्याशी मनोज कुमार को अंदर ही अंदर समर्थन नहीं कर रहे हैं, लेकिन सतह पर नहीं आ रहे हैं. इसका असर उनके विधानसभा क्षेत्र में भी पड़ सकता है. मनोज कुमार उस विधायक के काफी करीबी रहे हैं, जिससे यह संभावना जतायी जा रही है.
यहां एक जाति विशेष के लोग ही विधायक बनते रहे हैं और जिसके कारण लोग बाढ़ को उस जाति विशेष का चित्तौड़गढ़ मानते हैं. केवल एक बार विश्वमोहन चौधरी बाढ़ से विधायक बने थे, जो दूसरी जाति से थे. एक जाति विशेष का यहां से हमेशा विजयी होने का एक कारण यह भी रहा कि उस जाति की वहां काफी बहुलता रही है. बाढ़ विधानसभा में बेलछी प्रखंड को मिला दिया गया है. इस प्रखंड में दूसरी जाति की बहुलता है, जिससे महागंठबंधन को बल मिल रहा है.
क्या है बाढ़ विधानसभा क्षेत्र : इस क्षेत्र में बेलछी, अथमलगोला और पंडारक शामिल है. पंडारक का आधा हिस्सा मोकामा विधानसभा में भी पड़ता है. इन तीनों प्रखंडों में अलग-अलग जातियों की बहुलता है, जो हमेशा चुनाव को प्रभावित करते हैं.
यहां सिर्फ वोट मांगने आते हैं नेता जी
कुछ लोगों का मत है कि अपनी विधायिकी काल में वे क्षेत्र की जनता का हाल तक पूछने नहीं आये. सहरी पंचायत में करीब पांच हजार मतदाता हैं और यहां के लोगों की विधायक से नाराजगी है. सहरी के ही विनय कुमार का कहना है कि पांच साल पहले चुनाव के समय वे यहां वोट मांगने आये थे, लेकिन फिर वे कभी नहीं आये.
एनटीपीसी में उन लोगों की कई बीघा जमीन चली गयी और न तो सही ढंग से मुआवजा मिला और न ही दिया गया आश्वासन पूरा किया गया. हालांकि विनय कुमार का कहना है कि बाढ़ उन लोगों की जाति का चित्तौड़गढ़ रहा है और उन लोगों की मजबूरी है कि स्थानीय विधायक को समर्थन दें.
उन्होंने बताया कि शिक्षा व बिजली की समस्या भी ठीक नहीं है. नवादा पंचायत के गुलाबबाग के कारू का भी विधायक के प्रति कुछ ऐसा ही नजरिया है और बताते हैं कि वे चुनाव जीतने के बाद उन लोगों के इलाके में एक बार भी नहीं आये. हालांकि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि विधायक ने क्षेत्र में काम किया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें