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बिहार में पानी की तरह आ रहा पैसा पानी में ही जा रहा

सालाना आठ हजार करोड़ रुपये की फसल क्षति : राधामोहन राज्य में फसलों की कटाई के बाद की क्षति आठ हजार करोड़ रुपये की पांच जिलों में फसलों की कटाई के बाद होनेवाली क्षति को होगा आकलन पटना : केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि आजादी के 68 साल बाद भी […]

सालाना आठ हजार करोड़ रुपये की फसल क्षति : राधामोहन
राज्य में फसलों की कटाई के बाद की क्षति आठ हजार करोड़ रुपये की
पांच जिलों में फसलों की कटाई के बाद होनेवाली क्षति को होगा आकलन
पटना : केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि आजादी के 68 साल बाद भी देश के 60 प्रतिशत खेत को सिंचाई के लिए पानी नहीं पहुंच सका है. 40 प्रतिशत खेतों को सिंचाई सुविधा मिली भी है, तो वह बड़े जोतदारों के खेत में ही मिला है. अब भी देश के 85 प्रतिशत खेतों में सिंचाई ऊपर वाले के भरोसे सिंचाई होता है.
वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) द्वारा वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित ‘ बिहार में छोटी जोत पर फसलों की कटाई के बाद नुकसान में कमी परियोजना’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बिहार में प्रति वर्ष फसलों की कटाई से भंडारण तक में आठ हजार करोड़ रुपये की क्षति होती है. 10 प्रतिशत अनाज में क्षति और पांच से 30 प्रतिशत क्षति फल-सब्जी में होती है.
इसे कम करने के लिए राज्य के पांच जिलों में आकलन किया जायेगा. इनमें समस्तीपुर, बेगूसराय, मोतिहारी, भागलपुर और बांका शामिल हैं. राजेंद्र कृषि विवि, पूसा और इलिनॉय विश्वविद्यालय, संयुक्त राज्य अमेरिका के संयुक्त प्रयास से क्षति को कम करने के लिए एडीएएमआइ (आदमी) केंद्र स्थापित कया जायेगा. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्र से कृषि, ग्रामीण विकास, मनरेगा और सिंचाई मद में पाइप लाइन में पानी की तरह पैसा आ रहा है.
दस साल में बहुत पैसा मिला. पैसा आने वाली इस पाइप लाइन में इतने छेद है कि वह उचित जगह पर पहुंच नहीं पाता है. करोड़ों रुपये पानी के तरह बह गये और सिंचित क्षेत्र में वृद्धि नहीं हुई. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि भारत दुनिया का पेट भरने के लिए अनाज का उत्पादन करे और किसानों की जेब भरने वाली कृषि हो.
इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए पीएम सिंचाई योजना पर केंद्र सरकार 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. देश में सिंचाई सुविधा के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है, लेकिन इसे राज्य सरकार द्वारा लागू किया जायेगा. राज्यों को गाइडलाइन जारी कर दिया गया है. कहा गया है कि जिला के स्तर पर योजना बनाएं. बंद पड़े नहर, तालाब, बोरिंग को चालू करो.
कार्यक्रम को बोरलोग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया, पूसा के महानिदेशक डा हरिशंकर गुप्ता, एमेरिटस, इलीनॉय विवि के अध्यक्ष डा राबर्ट इस्टर, एडीएम संस्थान, इलीनॉय विवि, संयुक्त राज्य अमेरिका के डा प्रशांत कुमार कलिता, आइटीआरए के निदेशक डा नरेंद्र आहुजा व राजेंद्र कृषि विवि के कुलपति डा आरके मित्तल ने संबोधित किया.धन्यवाद ज्ञापन आइसीएआर के निदेशक डा बीपी भट्ट ने किया.
छह माह में देश की 585 बड़ी मंडी को वेबसाइट से जोड़ा जायेगा
कृषि मंत्री ने कहा कि देश के किसानों को मंडी की समस्या है. इससे निबटने के लिए सभी राज्यों के कृषि मंत्री की बैठक भी की गयी. उन्होंने कहा कि छह माह के अंदर किसानों को उपज की बिक्री के लिए देश के 585 मंडी को वेबसाइट से जोड़ा जायेगा. इसका लाभ किसानों को मिलेगा.
अंगरेजों के वक्त की सिंचाई योजना भी ध्वस्त : रामकृपाल
केंद्रीय पेयजल राज्यमंत्री राम कृपाल यादव ने कहा कि राज्य में 83 प्रतिशत सीमांत किसान हैं. अब बड़े जोत वाले किसान नहीं रहे. यादव ने कहा कि बिहार में उद्योग नहीं है जो है वह कृषि ही है. अंगरेजों के वक्त की सिंचाई योजना भी ध्वस्त हो गयी है. बिहार का दुर्भाग्य है कि उत्तर बिहार बाढ़ और सुखाड़ से त्रस्त रहता है. यह बिहार के लिए चिंता का विषय है.

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