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छह मेडिकल कॉलेजों में बनेंगे रिसर्च सेंटर
पटना : स्वास्थ्य मंत्रलय सूबे के पुराने छह मेडिकल कॉलेजों में मल्टी डिसिप्लनरी रिसर्च यूनिट व वायरोलॉजिकल सेंटर खोलेगा. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने स्वास्थ्य मंत्रलय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है. केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद सभी मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू होगी. सेंटर स्थापित करने में […]
पटना : स्वास्थ्य मंत्रलय सूबे के पुराने छह मेडिकल कॉलेजों में मल्टी डिसिप्लनरी रिसर्च यूनिट व वायरोलॉजिकल सेंटर खोलेगा. स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने स्वास्थ्य मंत्रलय को अपनी रिपोर्ट भेज दी है.
केंद्र सरकार से अनुमति मिलने के बाद सभी मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च सेंटर खोलने की प्रक्रिया शुरू होगी. सेंटर स्थापित करने में केंद्र व राज्य सरकार राशि देगी. केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से पीएमसीएच में वायरोलॉजिकल लैब आ चुका है.
केंद्र सरकार की अनुमति के बाद डीएमसीएच, मुजफ्फरपुर,गया, एनएमसीएच व भागलपुर में लैब व मल्टी डिसिप्लनरी रिसर्च यूनिट खुलेगा. इसके लिए जगह का भी चयन हो चुका है. इसके अलावा बेतिया व पावापुरी मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रस्ताव बना कर केंद्र सरकार को भेज दिया गया है. प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र ने बताया कि वायरोलॉजिकल लैब व मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट खोलने के लिए केंद्र सरकार से प्रस्ताव आया था. रिपोर्ट केंद्र को भेज दी गयी है. यह पीएमसीएच छोड़ सभी पुराने मेडिकल कॉलेजों के लिए है.
अधीक्षक व सिविल सजर्न को विभाग का निर्देश
पटना. स्वास्थ्य विभाग ने सभी अधीक्षक व सिविल सजर्न को निर्देश जारी किया है कि अगर एक माह बाद भी कोई दवा एक्सपायर होती है और वह बीएमएसआइसीएल के भंडार में पड़ी है, तो उसे मंगवा लें.
पूर्व में नियमानुसार अस्पताल ऐसी कोई दवा को नहीं मंगवाता था, जिसकी एक्सपायरी में 50 प्रतिशत का समय बचा हुआ था. विभाग ने इस आदेश का नोटिफिकेशन गुरुवार को वेबसाइट पर डाल दिया है. उधर मेडिकल कॉलेज के सूत्र बताते हैं कि विभाग के इस पहल से भी दवा की कमी दूर नहीं की जा सकती है, क्योंकि भंडार में जितनी दवाएं बची हुई हैं, उनमें जीवन रक्षक दवाइयां बहुत कम हैं.
प्रहलाद
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के डॉक्टरों की उम्र सीमा भी बढ़ कर 65 से 67 होगी. मुख्यमंत्री के निर्देश पर 12 अगस्त को संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) की बैठक में इस प्रस्ताव को लाया जायेगा. बीओजी की स्वीकृति के बाद सरकार को संस्थान की ओर से एक पत्र जायेगा, जिसके बाद सरकार नोटिफिकेशन कर देगी.
ऑटोनोमस संस्थान होने की वजह से यह निर्णय फिलहाल अस्पताल में लागू नहीं है. बिहार सरकार अगर आइजीआइएमएस के डॉक्टरों को बढ़ी उम्र सीमा से अलग रखती है, तो बहुत से डॉक्टर जो संस्थान के मेडिकल कॉलेज में काम कर रहे हैं, वह नौकरी छोड़ देंगे. ये सभी डॉक्टर लियन पर संस्थान के मेडिकल कॉलेज में कार्यरत हैं. अगर यह छोड़ देंगे, तो मेडिकल कॉलेज में शिक्षकों की कमी हो जायेगी.
सूत्रों की मानें तो मेडिसिन, सजर्री, एनेसथिसिया के एचओडी सहित अन्य विभाग के डॉक्टर व शिक्षक रिटायर्ड होनेवाले हैं. ऐसे में यदि डॉक्टरों की उम्र सीमा बढ़ाने का नियम संस्थान में लागू नहीं होगा, तो दोबारा से डॉक्टर मिलना मुश्किल हो जायेगा.
स्वास्थ्य विभाग के राज्य अध्यादेश से यह निर्णय लिया गया कि यहां की सभी सेवा शर्ते एम्स, दिल्ली का लागू होगा. ऐसा करने के पीछे यह कारण था कि यहां की चिकित्सा व शिक्षा व्यवस्था बेहतर रहे.
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