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दिल्ली से एनएसजी की टीम आयेगी बम डिफ्यूज करने, पटना में देर रात मिला था बमों का जखीरा

पटना : शहर के रामकृष्ण नगर में बरामद हुए बमों के जखीरे को डिफ्यूज करने के लिए नयी दिल्ली से एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) की विशेष टीम पटना आयेगी. शनिवार की सुबह यह टीम पटना पहुंच जायेगी और मौके पर पहुंच कर बम को डिफ्यूज करने का काम शुरू कर देगी. बिहार पुलिस ने बरामद […]

पटना : शहर के रामकृष्ण नगर में बरामद हुए बमों के जखीरे को डिफ्यूज करने के लिए नयी दिल्ली से एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) की विशेष टीम पटना आयेगी. शनिवार की सुबह यह टीम पटना पहुंच जायेगी और मौके पर पहुंच कर बम को डिफ्यूज करने का काम शुरू कर देगी.
बिहार पुलिस ने बरामद हुए बम के इस जखीरे को नष्ट करने के लिए एनएसजी से मदद मांगी थी, जिसकी स्वीकृति केंद्र ने देर शाम को दे दी.
इससे पहले शुक्रवार को बिहार पुलिस की स्पेशल ब्रांच की टीम ने बम के करीब 22 केनों में आधा से ज्यादा को एक्स-रे से स्कैन कर लिया है. इन 22 केन बम में 12 केन बम पूरी तरह से तैयार थे. अन्य केन बम को अंतिम रूप दिया जा रहा था. ये अधूरे बम तैयार बम से कम खतरनाक हैं.
राज्य की एंटी बम स्कॉयड की टीम ने सभी बमों का गहन परीक्षण करके यह देखा कि इनमें कोई जटिल सर्किट सिस्टम का प्रयोग किया गया है या नहीं. जटिल सर्किट या बैट्री से जुड़े केन बम बेहद खतरनाक होते हैं. इनका ढक्कन गलती से भी खोलने से ये तुरंत फट सकते हैं. हालांकि अब तक जितने केन बम या डब्बों का स्कैन किया गया है, उनमें इस तरह की जटिल संरचना नहीं पायी गयी है. बचे हुए केन बमों का स्कैन एनएसजीकी टीम के सामने किया जायेगा. एनएसजी की टीम इस तरह के बम को डिफ्यूज करने में पूरी तरह से एक्सपर्ट होती है.
इन कारणों से बुलाना पड़ा एनएसजी को
पुलिस मुख्यालय के अनुसार, इस तरह के बमों का जखीरा जब कहीं भी बरामद होता है, तो एनएसजी के तहत काम करनेवाली नेशनल बम डाटा सेंटर की टीम आकर स्थल मुआयना करती और इनकी उपस्थिति के बिना बम को डिफ्यूज नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा बिहार पुलिस के पास कुछ बेहद उन्नत सामानों या एक्यूपमेंट्स की कमी है, जो इस तरह के बड़े विस्फोटकों को डिफ्यूज करने में बेहद सहायक होते हैं.
घनी आबादी बड़ी समस्या
सबसे बड़ी समस्या यह है कि बम का यह जखीरा बेहद घनी आबादी में मौजूद है. इस वजह से बिहार पुलिस कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. 10 फीसदी यह भी संभावना है कि अगर कोई विस्फोट किया जाता है, तो इसके सप्लिंटर (टुकड़े) उड़ कर किसी को भी लग सकते हैं. अगर यह बम खुले मैदान में होता, तो राज्य की एंटी बम स्क्वायड इसे नष्ट कर सकती थी. घनी आबादी के कारण एनएसजी से मदद ली जा रही है. गौरतलब है कि राज्य के एंटी बम स्क्वायड को एनएसजी बम डिफ्यूज करने की ट्रेनिंग देता है.
बहादुरपुर ब्लास्ट के आरोपित सोनू व छोटू ने लिया था कमरा
पटना : रामकृष्णा नगर में रामप्रवेश मुखिया के लॉज में बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में हुए बम ब्लास्ट के मामले में आरोपित सोनू व छोटू ने पढ़ाई करने के नाम पर दो कमरा किराये पर लिये थे. ये वहीं सोनू व छोटू हैं, जिसे पुलिस बहादुरपुर बम ब्लास्ट मामले में खोज रही थी. ये दोनों नालंदा के चिकसौरा रहनेवाले हैं. पीएलएफआइ का मास्टरमाइंड अवधेश मुखिया भी इसी गांव का है.
पुलिस ने बम ब्लास्ट के बाद वहां से तीन बम बरामद किये थे और इस मामले में कुंदन (एकंगरसराय, बादराबाद) कमलेश कुमार (मसौढ़ी, चांदचक ) और सुगंधी कुमार (भगवानगंज, लखनौर बेदौली) को पकड़ा था. सुगंधी कुंदन का फुफेरा भाई है.
इसके बाद पुलिस ने विक्की को भी नालंदा से पकड़ा था. कुंदन, विक्की व अन्य ने उस समय पुलिस को जानकारी दी थी कि सोनू ने ही उनलोगों को बम दिया था. इसके बाद पुलिस ने जब सोनू के संबंध में जानकारी ली, तो पता चला कि वह झारखंड में आजसू नेता तिलेश्वर साहू हत्याकांड में भी शामिल रहा था और झारखंड पुलिस उसे खोज रही थी. सोनू का नाम रामकृष्णा नगर में बरामद बम के मामले में सामने आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि बम बनाने का कच्च माल इसी लॉज में रखा गया था और बम का निर्माण होने के बाद सोनू ने चार बम कुंदन को दे दिये थे.
अनुसंधान में पुलिस को यह जानकारी मिली है कि सोनू व छोटू ने पढ़ाई के नाम पर तीन मार्च, 2015 को दो कमरा किराये पर लिया था, जबकि बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी में 30 मार्च को घटना हुई थी. इससे स्थिति स्पष्ट है कि लॉज से ही सोनू व छोटू ने बम को कुंदन के आवास पर पहुंचाया था. सूत्रों के अनुसार इधर पुलिस ने लॉज संचालक को हिरासत में लेकर पूछताछ की, तो यह पता चला कि उसने छात्र बन कर पढ़ाई के नाम पर कमरा किराये पर लिया था और अपना आइडी प्रूफ भी दिया था. इस आइडी प्रूफ को लॉज संचालक ने पुलिस के हवाले कर दिया है. हालांकि, अब भी संचालक से पूछताछ जारी है.
बताया जाता है कि लॉज पिछले साल दीपावली के बाद खाली हो गया था. उस समय पूरे लॉज में किरायेदार रहते थे. लेकिन फिर रामप्रवेश राय ने सबको खाली कराने के बाद छात्रों को कमरा दे दिया था. लॉज में करीब 30 कमरे हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार इस लॉज में दीपावली के समय मारपीट भी हुई थी और उस दौरान भी पुलिस आयी थी. बताया जाता है कि रामप्रवेश मुखिया वार्ड संख्या 44 से वार्ड पार्षद का चुनाव भी लड़ चुका है. लेकिन, हार गया था. इसके गोतिया के परिवार में भू माफिया टूनटून यादव भी है, जो इस समय जेल के अंदर है.
रिमोट बम भी बनाने की थी योजना
पुलिस के अनुसंधान में यह बात भी सामने आयी है कि टाइमर बम के साथ ही इन लोगों की रिमोट बम बनाने की योजना थी. लॉज से छह रिमोट बरामद किये गये जो इस बिंदु पर इंगित करते हैं. मामले की छानबीन पुलिस कर रही है.

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