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यथार्थवादी साहित्य, जीवन की वास्तविक तस्वीर दिखाता है

लाइफ रिपोर्टर@पटनाबीएन कॉलेज में गुरुवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ. सेमिनार में हिंदी उपन्यास लेखन की यथार्थवादी परंपरा: उपलब्धियां एवं चुनौतियां, विशेश संदर्भ: उपन्यासकार हिमांशु श्रीवास्तव विषय पर विशेषज्ञ ने अपने विचार वक्तव्य किये. यूजीसी के सहयोग से कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा यह आयोजन कॉलेज के ही सेमिनार हॉल में शुरू […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनाबीएन कॉलेज में गुरुवार को दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ. सेमिनार में हिंदी उपन्यास लेखन की यथार्थवादी परंपरा: उपलब्धियां एवं चुनौतियां, विशेश संदर्भ: उपन्यासकार हिमांशु श्रीवास्तव विषय पर विशेषज्ञ ने अपने विचार वक्तव्य किये. यूजीसी के सहयोग से कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा यह आयोजन कॉलेज के ही सेमिनार हॉल में शुरू हुआ. कार्यक्रम तीन सत्रों में हुआ. शुक्रवार को कार्यक्रम का समापन होगा. इस मौके पर दिलीप राम की दो आलोचनात्मक ग्रंथ ‘पृथ्वीराज रासो मूल्यांकन-पुनर्मूल्यांकन’ एवं कामायनी: एक अनुशीलन’ का विमोचन हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो राम वचन राय ने कहा कि यथार्थवादी साहित्य, जीवन की वास्तविक तस्वीर दिखाता है न कि कोरा आदर्शवाद की अलंकृत अभिव्यक्ति करता है. उन्होंने कहा कि हिमांशु श्रीवास्तव व्यक्तिगत जीवन में बहुत ही समान्य, सहज और मितभाषी थे. जीवन में भौतिकतावाद से प्रभावित हुए बिना अपने संघर्ष भरे जीवन में लगातार साहित्यिक क्षेत्र में निरंतर परिष्कृत लेखनी से अपनी पहचान बनाये रखे. मदन कुमार चौरसिया ने हिमांशु श्रीवास्तव के उपन्यासों पर चरचा किया. इस मौके पर हिमांशु श्रीवास्तव के सुपुत्र पद्म संभव ने भी शिरकत किया उन्होंने उनके जीवन पर प्रकाश डाला. मौके पर डॉ सुशील कुमार, डॉ आनंद बिहारी, रमेश कुमार के साथ कई टीचर के साथ कुछ शोध छात्रा एवं छात्राएं मौजूद थे.

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