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दरवाजे पर मॉनसून, पीएमसीएच बीमार
पीएमसीएच में 194 की जगह 35 दवा ही हैं मौजूद, डेंगू वार्ड में भी नहीं है एक भी दवा आसमान पर बादल, पर अभी नहीं बरसेंगे पटना : पीएमसीएच में दवाओं की कमी के चलते यहां आनेवाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल में 194 तरह की दवाओं में सिर्फ 35 […]
पीएमसीएच में 194 की जगह 35 दवा ही हैं मौजूद, डेंगू वार्ड में भी नहीं है एक भी दवा
आसमान पर बादल, पर अभी नहीं बरसेंगे
पटना : पीएमसीएच में दवाओं की कमी के चलते यहां आनेवाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अस्पताल में 194 तरह की दवाओं में सिर्फ 35 ही उपलब्ध हैं. आम तौर पर यूज होनेवाले ओआरएस, मनोरोग, मधुमेह सहित बुखार व एंटीबायोटिक दवाएं नहीं होने से मरीजों की जेब पर आर्थिक भार पड़ रहा है.
अस्पताल प्रशासन व्यवस्था बनाने में नाकाम साबित हो रही है.
हैरत की बात यह है कि मॉनसून भी दस्तक देनेवाला है और ऐसे समय में मौसमी बीमारियों की संभावना अधिक रहती है. लेकिन, अस्पताल में उल्टी-दस्त के मरीजों के लिए ही दवा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर गरमी में मरीजों को दवा नहीं मिल पायी, तो मॉनसून में क्या होगा समझ से परे है.
पीएमसीएच सहित पूरे सरकारी अस्पतालों में बीएमएसआइइएल दवा मुहैया कराती है. अस्पताल सूत्रों की माने, तो दोनों में तालमेल के अभाव के चक्कर में यह परेशानी हो रही है. बीएमएसआइइएल के भंडार में जहां दवा नहीं है, वहीं पीएमसीएच प्रशासन भी इस बात को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है.
पीएमसीएच ओपीडी में 8 और इंडोर में 16 दवाएं
पीएमसीएच ओपीडी में 8 और इंडोर में 14 दवाएं मौजूद हैं. इस कारण से अधिकांश मरीजों को बाहर से दवाएं खरीद कर लानी पड़ रही हैं. सरकार की योजना के मुताबिक अस्पताल के ओपीडी में कम-से-कम 42 दवाएं और इंडोर मरीजों के लिए 122 दवाएं होनी चाहिए, लेकिन पिछले दो माह से ओपीडी व इंडोर में दवाएं नहीं हैं.
इस कारण से ओपीडी व इंडोर में इलाज करनेवाले डॉक्टरों को मरीज व उनके परिजनों से झिड़की सुनने को मिलती है. आम तौर पर मिलनेवाली दवा ओआरएस व आइबी सेट, बीटी सेट परिजनों को मार्केट से खरीदनी पड़ रही है. डायजापाम सहित अन्य दवा, दर्द बुखार की टेबलेट, एंटीबायोटिक सहित कई दवाएं यहां नहीं मिल रही हैं.
दवा की कमी को लेकर अस्पताल प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों से बात कर ली है. बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रर में भी दवा की कमी है. इसलिए यह परेशानी हो रही है. जैसे ही दवा आ जाती है. अस्पतालों में मिलनी शुरू हो जायेगी.
एसएन सिन्हा, प्रिंसिपल, पीएमसीएच
डेंगू से निबटने की नहीं दिख रही तैयारी
बारिश होने में कई प्रकार के कीड़ों का जन्म होता है. इससे मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों के फैलने का डर बना रहता है. मॉनसून में खासकर डेंगू व मलेरिया के मरीजों की संख्या अधिक हो जाती है. पीएमसीएच में 40 बेड के बनाये गये डेंगू वार्ड में
दवा नहीं है. इतना ही नहीं अस्पताल में अभी तक डेंगू के लिए कोई विशेष तैयारी भी नजर नहीं आ रही है.
पटना. रविवार को बादल के कारण धूप का असर कम था. राजधानी का अधिकतम तापमान 37.5 डिग्री रेकार्ड किया गया. राजधानी में सुबह की आद्रता 55 प्रतिशत व शाम की आद्रता 43 प्रतिशत रेकार्ड की गयी. सुबह-शाम आद्रता में अंतर कम होने के कारण ऊमस अधिक महसूस हुई. मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एके सेन ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र मजबूत हुआ है, जिससे टर्फलाइन पश्चिम बंगला पहुंच गया है. दो से तीन दिनों में सूबे में टर्फ लाइन पहुंचने के साथ बारिश भी शुरू हो जायेगी. सूबे में मॉनसून विलंब से है. वजह बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र काफी कमजोर था,लेकिन अब मजबूत हुआ है. संभावना है कि सूबे में सोमवार या मंगलवार तक टर्फ लाइन पहुंच जायेगा.
80 फीसदी नाला उड़ाही का दावा
पटना : नगर निगम ने अब तक मात्र 80 फीसदी नालों की ही उड़ाही की है जबकि 10 जून तक ही सौ फीसदी उड़ाही का लक्ष्य था. नाला उड़ाही के लिए पांच करोड़ रुपये राशि आवंटित थी
खास बात यह है कि रिपोर्ट सिर्फ कागज पर ही है जबकि हकीकत कुछ और ही है. दस दिन पूर्व हुई प्री मॉनसून की 4.5 एमएम बारिश में ही राजधानी के कई इलाकों में जलजमाव हो गया था.
स्टेशन रोड पर होगी परेशानी. जीपीओ गोलंबर से स्टेशन व वीणा सिनेमा से आगे फ्लाइ ओवर का निर्माण हो रहा है. फ्लाइ ओवर के निर्माण के कारण तीन चैंबर क्षतिग्रस्त हो गये हैं. जलजमाव की आशंका को लेकर वार्ड पार्षद विनय कुमार पप्पू ने शिकायत भी की. बावजूद क्षतिग्रस्त चैंबर दुरुस्त नहीं किये गये. उन्होंने कहा कि गोरिया टोली, जमाल रोड, एग्जिबिशन रोड,एसपी वर्मा रोड और डाकबंगला इलाकों में जलजमाव की समस्या रहेगी.
बीएमएसआइसीएल ने मांगी 30 दवाओं की सूची, मिली सिर्फ एक
पटना : बीएमएसआइसीएल ने पीएमसीएच प्रशासन को पत्र लिख कर 30 ऐसी दवाओं की सूची मांगी है, जो अस्पताल के लिए जरूरी है. लेकिन, जब दवाओं की सूची तैयार होने लगी, तो कई जरूरी दवाओं के नाम हटाने के बाद भी यह सूची 50 तक पहुंच गयी.
सबसे हास्यास्पद बात तो यह है कि जब यह सूची बीएमएसआइसीएल के पास भेजी गयी, तो अस्पताल को महज सिर्फ फैक्टर दिया गया, वह भी माह भर में खत्म हो जायेगा. वहीं बाकी दवाओं को जल्द देने का आश्वासन दिया गया है.
दवा नहीं रहने के कारण पीएमसीएच ओपीडी में आनेवाले हर दिन 1400 मरीजों को बाहर से दवाएं लानी पड़ रही हैं. इनके अलावा इमरजेंसी में एडमिट 130 मरीजों को भी बाहर से दवाएं लानी पड़ती हैं. फिलहाल इमरजेंसी व ओपीडी में मरीजों को ऐसी कोई दवा नहीं दी जा रही है .
बड़े टेंडर की जरूरत
बीएमएसआइसीएल से फैक्टर भेजा गया है. बाकी दवाओं को जल्द भेजने का आश्वासन दिया गया है, लेकिन ओपीडी व इमरजेंसी में फिलहाल दवा नहीं होने से परेशानी हो रही है और मरीजों को सभी दवा के लिए बाहर जाना पड़ रहा है. दवा खरीद को लेकर लोकल स्तर पर प्रक्रिया चल रही है, लेकिन जितनी भीड़ अस्पताल पर है, उसके लिए बड़े स्तर पर टेंडर की जरूर है.
डॉ लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच
केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह, गिरिराज सिंह व राजीव प्रताप रूडी, बिहार प्रभारी भूपेंद्र यादव, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, विस में विपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव, प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन, सांसद अश्विनी चौबे व डॉ सीपी ठाकुर, पूर्व अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह, विधान सभा के उपाध्यक्ष अमरेंद्र सिंह, पूर्व मंत्री चंद्रमोहन राय व प्रेम कुमार, डॉ एसएन आर्य.
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