पटना सिटी: अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार स्थित मध्य विद्यालय, कुम्हरार में संचालित आवासीय केंद्र में रहनेवाले 14 बच्चों की तबीयत बिगड़ गयी. बीमार पड़े बच्चों को उपचार के लिए नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग इमरजेंसी में लाया गया. इनमें सात बच्चों को ओपीडी में उपचार करने के बाद केंद्र जाने की अनुमति दी गयी, जबकि सात बच्चों को उपचार के लिए भरती किया गया. भरती बच्चों की उम्र सात से 12 वर्ष के बीच है.
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नाश्ते में मिला चूड़ा-दही खाते ही 14 बच्चे बीमार
पटना सिटी: अगमकुआं थाना क्षेत्र के कुम्हरार स्थित मध्य विद्यालय, कुम्हरार में संचालित आवासीय केंद्र में रहनेवाले 14 बच्चों की तबीयत बिगड़ गयी. बीमार पड़े बच्चों को उपचार के लिए नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के शिशु रोग विभाग इमरजेंसी में लाया गया. इनमें सात बच्चों को ओपीडी में उपचार करने के बाद केंद्र जाने की […]
आवासीय केंद्र में रहनेवाले बच्चों ने बताया कि गुरुवार की सुबह करीब आठ बजे चूड़ा -दही नाश्ता में दिया गया था. केंद्र की प्रभारी सुनीता कुमारी सिन्हा ने बताया कि खटाल से दूध मंगा कर बुधवार की रात को दही जमायी गयी थी ताकि सुबह में चूड़ा -दही नाश्ता में दिया जाये. इसी बीच चूड़ा- दही खाने के आधा से एक घंटे के बीच में संस्थान में रहनेवाले 55 बच्चों में 14 बच्चों को उलटी होने लगी. इसके बाद प्रभारी शिक्षक रजा सुलतान के साथ मिल कर उलटी करनेवाले 14 बच्चों को उपचार कराने के लिए नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल लेकर गयीं.
अस्पताल के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में डॉ वीर प्रकाश जायसवाल की यूनिट में बच्चों का उपचार किया गया. हालांकि ,उपचार के लिए अस्पताल में लाये गये बच्चों में सात को ओपीडी में प्राथमिक उपचार कर ठीक किया गया, जबकि सात बच्चों को तबीयत गंभीर होने की स्थिति में भरती किया गया. केंद्र के 14 बच्चों के बीमार होने की खबर पाकर विभागाध्यक्ष डॉ एके जायसवाल, डॉ वीर प्रकाश जायसवाल, डॉ अजीत कुमार सिंह व सुजीत कुमार बच्चों के उपचार में जुट गये. विभागाध्यक्ष डॉ एके जायसवाल व यूनिट इंचार्ज बीपी जायसवाल ने बताया कि दही में संक्रमण होने या गरमी की वजह से बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी. फिलहाल भरती बच्चों की स्थिति ठीक है. मामला ज्यादा गंभीर नहीं है.
कौन हैं ये बच्चे
कुम्हरार मध्य विद्यालय के ही चार कमरों में ज्ञान- विज्ञान समिति रैनबो का केंद्र संचालित होता है. इनमें ऐसे बच्चों को रखा जाता है, जो विद्यालय जाने से वंचित हैं. दरअसल मामला यह है कि शहर में कचरा चुननेवाले, भीख मांगनेवाले व विद्यालय नहीं जानेवाले बच्चों को केंद्र में लाकर खाना खिलाने व पढ़ाने की व्यवस्था शिक्षा परियोजना की ओर से की गयी है. इसी के तहत 24 मार्च , 2014 को यह केंद्र आरंभ हुआ था. बच्चों को पढ़ाने के लिए चार शिक्षक, तीन मां व गार्ड रहते थे, जो बच्चों की देखभाल करते थे. केंद्र में अभी 55 बच्चे हैं.
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