– पंकज कुमार सिंह –
केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, पटना के वैज्ञानिक ने खोजी नयी वेराइटी
पटना : अब झुलसा रोग से आलू की फसल नष्ट नहीं होगी. केंद्रीय आलू अनुसंधान केंद्र, पटना के वरिष्ठ वैज्ञानिक शंभु कुमार ने 10 वर्षो के शोध के बाद लाल आलू की नयी वेराइटी की खोज की है, जो झुलसा रोधी व कम समय में तैयार होगी.
इसका स्वाद भी अन्य वेराइटी से अच्छा है. इसका नाम 2001 पी 55 है. यह वेराइटी बिहार सहित पूर्वी भारत के राज्यों के किसानों के मील का पत्थर साबित होगा.
सामान्य लाल आलू 100 से 120 दिनों में तैयार होता हैं, जबकि यह वेराइटी 75 से 90 दिनों में तैयार हो जायेगा. उत्पादकता 350 से 370 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी. कलर हल्का लाल और गुदा पीला होगा. इसमें शुष्क पदार्थ 18 प्रतिशत तक है.
अन्य आलू की अपेक्षा पानी की मात्र कम रहने से अधिक दिनों तक खराब नहीं होगा. इसमें सड़न व गलन कम होगी. गुदा को मसने पर मोम की तरह होगा. अगले वर्ष से किसानों को इस वेराइटी के बीज उपलब्ध होंगे.
15 क्विंटल इस वेराइटी के आलू अभी हैं. इसे टीशु कल्चर के माध्यम से पौधे से अधिक बीज तैयार किये जायेंगे, ताकि अगले वर्ष से अधिक–से–अधिक किसानों बीज मिले. कुछ संस्थानों और प्रगतिशील किसानों को इस वर्ष इसका कुछ बीज मिलेगा. पूरे देश में आलू की लगभग 70 से 75 वेराइटी हैं. इनमें दर्जन भर वेराइटी अधिक प्रचलित हैं.