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29 आरोपितों की उम्रकैद की सजा चार साल के कारावास में बदली

– हत्याकांड में आरोपितों को पटना हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत- मधुबनी में बाप-बेटे को जिंदा जलाने का मामला – फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दी थी आजीवन कारावास की सजा विधि संवाददाता. पटनापटना हाइकोर्ट ने मधुबनी के एक हत्याकांड में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाये 29 लोगों को बड़ी राहत दी है. […]

– हत्याकांड में आरोपितों को पटना हाइकोर्ट से मिली बड़ी राहत- मधुबनी में बाप-बेटे को जिंदा जलाने का मामला – फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दी थी आजीवन कारावास की सजा विधि संवाददाता. पटनापटना हाइकोर्ट ने मधुबनी के एक हत्याकांड में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाये 29 लोगों को बड़ी राहत दी है. सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश समरेंद्र प्रताप सिंह और न्यायाधीश एके लाल के खंडपीठ ने 29 आरोपितों को मिली उम्रकैद को चार साल के कारावास की सजा में बदल दी. कोर्ट ने सभी आरोपितों पर दो-दो हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जिन लोगों को आजीवन कारावास की सजा मिली है, उनमें से दो की मौत हो चुकी है. खंडपीठ ने अपने फैसले में पुलिस पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि अनुसंधान ठीक से नहीं किया गया और साक्ष्य भी नहीं जुटाये गये. यह घटना वर्ष 1997 की है. मधुबनी जिले के बेनीपट्टी अनुमंडल के बरबसिया गांव में माओवादी संगठन से जुड़े राजेंद्र दास को गांववालों ने घर में बंद कर आग लगा दी थी. इस घटना में राजेंद्र के साथ उसका बेटा कैलाश नंदन की भी मौत हो गयी थी. उसकी पत्नी और बड़े बेटे ने पांच अप्रैल, 1997 को प्राथमिकी दर्ज करायी, जिसमें गांव के ही 36 लोगों को नामजद बनाया गया. सात अप्रैल को दोनों शवों का पोस्टमार्टम कराया गया. बाद में 31 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया. मधुबनी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 30 जून, 2008 को सभी 29 अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनायी. इसके बाद आरोपितों ने पटना हाइकोर्ट में अपील याचिका दायर की थी.

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